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मेडिक्लेम से बरेली के अस्पतालों में इलाज कराना है मुश्किल, पहले पेमेंट जमा करा लेते हैं, क्लेम आने के बाद वापस करने का करते हैं दावा

बीते मार्च से अब तक कोरोना संक्रमण के चलते स्थितियां ऐसी बिगड़ीं कि लोग अपनी सेहत और इलाज के प्रति फिक्रमंद हो गए। संक्रमण के दौर में मेडिक्लेम कराने वालों की संख्यास 15 से 20 फीसद का इजाफा हुआ है। लोग इंश्योरेंस एजेंटों को फोन कर जानकारी ले रहें।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Tue, 04 May 2021 09:40 AM (IST)Updated: Tue, 04 May 2021 09:40 AM (IST)
मेडिक्लेम से बरेली के अस्पतालों में इलाज कराना है मुश्किल, पहले पेमेंट जमा करा लेते हैं, क्लेम आने के बाद वापस करने का करते हैं दावा
मेडिक्लेम से इलाज कराने को लेकर निजी अस्पतालों के स्टाफ से होती बहस।

बरेली, जेएनएन। बीते मार्च से अब तक कोरोना संक्रमण के चलते स्थितियां ऐसी बिगड़ीं कि लोग अपनी सेहत और इलाज के प्रति फिक्रमंद हो गए। संक्रमण के दौर में मेडिक्लेम कराने वालों की संख्यास 15 से 20 फीसद का इजाफा हुआ है। लोग इंश्योरेंस एजेंटों को फोन कर जानकारी ले रहें या ऑनलाइन सर्च कर मेडिक्लेम करा रहे हैं। वहीं कोरोना महामारी के लगातार बढ़ने के चलते कई कंपनियों ने कोरोना कवच नाम की पॉलिसी ही ले आईं है, जिनकी आजकल काफी मांग है। लेकिन इन दिनों समस्या निजी अस्पताल बने हुए हैं।जिनका ध्यान पहले पेमेंट लेने हैं। मेडिक्लेम के जरिए इलाज कराने के नाम पर वह बिदक जाते हैं। मरीजों से कहते हैं आप पहले पेमेंट जमा करा दीजिए, क्लेम आ जाएगा तो हम आपको रिटर्न कर देंगे। मजबूरी में मरीजों के तीमारदार पहले रुपये जमा करा रहे हैं। हालांकि बाद में क्लेम आने पर उनकी रकम वापस भी की जा रही है।

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मेडिक्लेम में भी कवर है कोरोना

इन दिनों मेडिक्लेम पॉलिसी लेने वाले लोग सबसे पहले कोरोना कवर है या नहीं, यही सवाल करते हैं। जिले में सक्रिय सरकारी ओर प्राइवेट मिलाकर करीब 10 से 12 कंपनियां हैं, जो मेडिकक्लेम कर रही है। सभी के मेडिक्लेम पॉलिसी में कोरोना कवर है। आइआरडीए (इंश्योरेंस रेगुलेटिरी एंड डेवलेपमेंट अथॉरिटी) ने हाल ही में कोरोना से जुड़े क्लेम को 24 से 48 घंटे में निस्तारण करने के लिए कंपनियों को निर्देश भी दिए हैं। इसके चलते कई कोविड मरीजों को मेडिक्लेम या कोरोना कवच पॉलिसी का लाभ भी मिला है।

12 दिन बाद वापस मिली रकम

शहर के स्टेडियम रोड स्थित एक निजी कोविड अस्पताल में ग्रीन पार्क निवासी कारोबारी ने अपना कोविड का इलाज कराया था। उनके पास मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी थी, लेकिन अस्पताल ने उनसे पहले पैसे जमा कराने के लिए कहा। पचास हजार रुपये जमा कराने के बाद उनका उपचार शुरू हुआ। कोविड इलाज का कुल डेढ़ रुपये खर्च हुआ। इलाज के बाद अस्पताल की ओर से कंपनी सूचना देने के बाद सभी दस्तावेज उपलब्ध कराए गए तो 12 दिन के अंदर पूरा पैसा उन्हें वापस मिल सका।

कैशलेस मिला इलाज

एक इंश्योरेंस कंपनी के अनुसार सिविल लाइंस निवासी उनके एक ग्राहक के तीन दिन में डेढ़ लाख रुपये खर्च हुए। मेदांता में इलाज चल रहा था। उन्होंने वहां अपना कार्ड दिखाया तो अस्पताल की ओर से सूचना मिलते ही कंपनी ने तत्काल प्रोसिस शुरू कर दी। अस्पताल को जानकारी मिली तो उन्होंने इलाज शुरू कर दिया। तीन दिन के इलाज में करीब डेढ़ लाख रुपये खर्च हुआ। सभी दस्तावेज पूरे होते ही तत्काल क्लेम सेटल कर दिया गया। इसमें ग्राहक को पूरी तरह कैशलेस इलाज मिला, उन्हें अस्पताल को कोई रकम नहीं देनी पड़ी।

बीमारी छिपाई तो आ सकती दिक्कत

मेडिक्लेम पॉलिसी कराते समय ध्यान रखें कि किसी भी बीमारी को न छिपाएं। इंश्योरेंस एडवाइजर या एजेंट को पूरी जानकारी दें। बीमारी संबंधित जानकारी छिपाने से मेडिक्लेम पास कराते समय दिक्कत आ सकती है। इलाज के दौरान आप द्वारा बताई गई जानकारी से कोई इतर बीमारी सामने आती है तो उसकी समय सीमा देखी जाएगी। अगर वह बीमार कई दिनों से है तो उसकी पुरानी रिपोर्ट दिखानी होगी। अगर पुरानी रिपोर्ट नहीं दिखा सके तो क्लेम में परेशनी आएगी।

जल्द सेटल किए जा रहे कोविड क्लेम 

नेश्नल इंश्योरेंस के डिवीजनल कार्यालय के असिस्टेंट मैनेज प्रखर जौहरी ने बताया कि कोविड के बाद से लोगों ने मेडिक्लेम में दिलचस्पी दिखाना शुरू किया है। लोग एडवाइजर से सलाह भी ले रहे हैं और आनलाइन जाकर भी मेडिक्लेम पॉलिसी खरीद रहे हैं। डीआरडीएआई की गाइड लाइन के अनुसार कोविड क्लेम को जल्द से जल्द सेटल कराया जा रहा है। प्रयास होता है कि 6 से 24 घंटे के भीतर कोविड क्लेम सेटल हो जाए।

कोविड के चलते जागरूकता के साथ बढ़ी चिंता

चीफ इंश्योरेंस सलाहकार नरेंद्र कुमार कोहली जो नेशनल इंश्योरेंस कंपनी से रिटायर्ड हैं। बताते हैं कि लोगों में कोविड के बाद जागरूकता काफी बढ़ी है। लोगों में चिंता है कि अगर अचानक स्थिति बिगड़ गई तो वह इलाज कैसे कराएंगे। ऐसे में अलग अलग तरह की मेडिक्लेम पॉलिसी या कोरोना कवच जैसी पॉलिसी उन्हें समझ आ रही हैं। बताते हैं कि बीते एक साल में मेडिक्लेम कराने वालों की संख्या में 15 से 20 फीसद की बढ़त हुई है। वहीं बीते अप्रैल माह में कोरोना कचव की सबसे ज्यादा पॉलिसी की गईं।

स्टाफ न होने पर आती दिक्कत

मेडिक्लेम या कोरोना की पॉलिसी के जरिए इलाज करने में कोई दिक्कत नहीं है। सभी के क्लेम सेटल कराने में पूरी मदद भी की जाती है। लेकिन इन दिनों मेडिक्लेम देखने वाला स्टाफ कोविड पॉजिटिव है, इसलिए परेशानी हो रही है। मरीज को दिक्कत न आए इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है।


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