जानिये बरेली में ब्राडबैंड सेवा परियोजना घोटाले की जांच दो महीने में कहां तक पहुंची
जनपद की चार तहसीलों की 60 ग्राम पंचायतों में 2016 में ब्राडबैंड लगाने का कार्य बीएसएनएल की ओर से किया गया था। जिसमें मीरगंज तहसील के कई गांव मं पाइप ही नहीं डाली गई। जबकि दस्तावेजों में काम पूरा किया जा चुका है।
बरेली, जेएनएन। ग्राम पंचायतों में ब्राडबैंड सेवा परियोजना में गोलमाल की जांच फाइलों में दब गई है। दो महीने से जांच टीम लेबर न होने के चलते जांच पूरी नहीं कर पा रही है। दरअसल लेबर से जगह-जगह खुदाई करा जांच की जानी है। इस पूरे प्रकरण में आरोप है कि एक अधिकारी ने अपनी सेवानिवृत्ति से तीन दिन पहले ही इस खेल को पूरा किया था। जिसमें ठेकेदार से मिलकर 45 लाख का भुगतान भी कराया गया था। जिसमें जांच अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। इस पूरे मामले को दबाने में जिम्मेदार जुटे हैं। वहीं खानापूर्ति के लिए केवल जांच टीम ही गठित की गई है।
बता दें कि जनपद की चार तहसीलों की 60 ग्राम पंचायतों में 2016 में ब्राडबैंड लगाने का कार्य बीएसएनएल की ओर से किया गया था। जिसमें मीरगंज तहसील के कई गांव मं पाइप ही नहीं डाली गई। जबकि दस्तावेजों में काम पूरा किया जा चुका है। यही नहीं बिना काम किए ही ठेकेदार को 45 लाख का भुगतान भी किया गया। ठेकेदार के भाग जाने पर इस ठेके को निरस्त कर दूसरी कंपनी को टेंडर दिया गया। जिसमें पाइप लाइन न डाले जाने की जानकारी हुई। बताया गया कि यह खेल मंडल की कई ग्राम पंचायतों में कर दो करोड़ का चूना लगाया गया है। मामले की शिकायत मुख्य सतर्कता अधिकारी से लिखित किए जाने पर जांच कमेटी गठित की गई थी। बता दें कि इस ब्राडबैंड सेवा से गांवों के पंचायत घर, कालेज, स्कूलों समेत ग्रामीणों को योजना का लाभ देना था। जिससे कि सभी को अच्छी स्पीड का इंटरनेट उपलब्ध कराया जाए। बीएसएनएल के जीएम चरण सिंह ने बताया कि मा्मले की जांच पांच सदस्यीय टीम कर रही है। लेबर न मिलने के चलते जांच रुकी हुई है। जल्द ही टीम से जांच पूरी कर रिपोर्ट मांगी गई है।