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सख्ती के बाद दौड़े जांच अधिकारी, खंगाली ग्राम प्रधानों और सचिवों की वित्तीय कुंडली

पीलीभीत के ग्राम पंचायतों में प्रधानों व सचिवों की मनमानी चलती रही है। विकास कार्यों में जमकर वित्तीय अनियमितताएं अपने ग्राम पंचायतों में हुईं। इसकी शिकायतें भी अधिकारियों के पास पहुंचती रहीं। जांच के लिए अधिकारी नामित होते रहे लेकिन मौके पर जांच करने का समय ही नहीं निकाल सके।

By Ravi MishraEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 05:55 PM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 10:20 AM (IST)
सख्ती के बाद दौड़े जांच अधिकारी, खंगाली ग्राम प्रधानों और सचिवों की वित्तीय कुंडली
ग्राम प्रधानों और सचिवों की वित्तीय कुंडली तलाशने वाली खबर में फाइल फोटो

 पीलीभीत, जेएनएन। पीलीभीत के ग्राम पंचायतों में प्रधानों व सचिवों की मनमानी चलती रही है। विकास कार्यों में जमकर वित्तीय अनियमितताएं अपने ग्राम पंचायतों में हुईं। इसकी शिकायतें भी अधिकारियों के पास पहुंचती रहीं। जांच के लिए अधिकारी नामित होते रहे लेकिन वे मौके पर जांच करने का समय ही नहीं निकाल सके। यही वजह रही कि साल भर से ज्यादा समय तक जांच पत्रावलियां दबी पड़ी रहीं। पिछले दिनों डीएम की सख्ती के बाद विभिन्न विभागों के जांच अधिकारी हरकत में आए और गांवों की दौड़ लगानी शुरू कर दी। बहरहाल अब जांचें पूरी कर ली गई हैं लेकिन अभी संबंधित ग्राम प्रधानों, पंचायत सचिवों पर कार्रवाई का इंतजार है।

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विकास कार्यों में विभिन्न तरह की गड़बड़ी, कई तरह से सामान क्रय करने में वित्तीय अनियमितताओं आदि के आरोप जिले की कुल 78 ग्राम पंचायतों में लगाए गए। उन गांवों के पंचायत सदस्यों समेत अन्य ग्रामीणों ने शपथ पत्रों के साथ इसकी शिकायतें की थीं। तत्कालीन जिलाधिकारी ने शिकायतों की जांच के लिए विभिन्न विभागों के जिला स्तरीय अधिकारियों को नामित कर दिया। एक महीने के अंदर उन अधिकारियों को जांच करके अपनी रिपोर्ट देनी थी लेकिन साल भर तक जांच की ही नहीं गई।

डीएम पुलकित खरे के संज्ञान में जब यह मामला आया तो उन्होंने काफी गंभीरता से लेते हुए विगत 31 अगस्त को आदेश दिए कि सभी ग्राम पंचायतों में जांच कार्य 18 दिन में पूर्ण करके रिपोर्ट दें। डीएम की सख्ती से अधिकारियों ने गांवों की दौड़ लगाई और फटाफट जांच कार्य निपटाकर रिपोर्ट सीडीओ को दे दी। सीडीओ श्रीनिवास मिश्र का कहना है कि जांच रिपोर्ट की पत्रावलियां डीपीआरओ के पास भेजी हैं। इन्हें पांच-पांच की संख्या में जिलाधिकारी के पास भेजा जाएगा। तब संबंधित ग्राम प्रधानों व पंचायत सचिवों के खिलाफ कार्रवाई होगी।


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