जेल के बैरिकाें में गूंजी रामायण की चौपाइयां, जेल अधिकारियों ने उतारी बंदियों की आरती
जेल में आमतौर पर रोज का नजारा गिनती ताला कुंजी और मिलाई का रहता है। रोज की जिंदगी जहां सलाखों पर डंडे की खनखनाहट से टूटती है वहीं शनिवार को बैरिकों में रामायण की चौपाइयां गूंजी। खतरनाक माने जाने वाले बंदी पूरे भक्ति भाव से राम-राम जप कर रहे हैं।
बरेली, जेएनएन। जेल में आमतौर पर रोज का नजारा गिनती, ताला, कुंजी और मिलाई का रहता है। रोज की जिंदगी जहां सलाखों पर डंडे की खनखनाहट से टूटती है, वहीं शनिवार को बैरिकों में रामायण की चौपाइयां गूंजी। खतरनाक माने जाने वाले बंदी पूरे भक्ति भाव से राम-राम जप कर रहे हैं। यह नजारा पहली बार जिला कारागार का रहा। यहां पहली बार आयोजित हुई रामलीला मंचन में जेल के ही बंदियों द्वारा विभिन्न पात्रों का मंचन किया गया। यही नहीं आम दिनों में डांट फटकार लगाने वाले अधिकारियों ने पात्र बनें बंदियों की बकायदा आरती भी उतारी।
आपराधिक मानसिकता के लोगों में अध्यात्म की गंगा बहाने का काम किया जा रहा है। यह जिला जेल में पहली अनोखी पहल है, जो बंदियों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेगी। 17 अक्टूबर शनिवार को जिला जेल के अधीक्षक विजय विक्रम सिंह ने फीता काटकर रामलीला मंचन का शुभारंभ किया। इसके बाद रामलीला मंचन में नारद मोह से लेकर प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव तक की लीला का मंचन किया गया। इस रामलीला मंचन को जिला जेल के 45 बंदी कर रहे हैं। केवल बाहर से कुछ साजो सज्जा का सामान मंगाया गया। आपराधिक मानसिकता वाले बंदियों के बीच आध्यात्मिक मानसिकता भरने का काम जेल में किया जा रहा है।
जिला जेल अधीक्षक ने बताया की जेल में रामलीला अपने आप में एक अनोखी बात है। इसे और बेहतर बनाने का प्रयास किया जायेगा। इस रामलीला में जो भी कलाकार हैं, वह सभी किसी न किसी अपराध करने के बाद जेल में मुकदमे के दौरान सजा काट रहे हैं या जमानत न होने के कारण बंद हैं। उनका मानना है कि कितना भी बड़ा अपराधी क्यों न हो, उसके अंदर किसी कोने में इंसानियत जिंदा होती है। उसी को बाहर लाने के लिए रामलीला का मंचन शुरू कराया है। रामचरित मानस की चौपाइयों पर कलाकार लीला खेलते हैं। इसके लिए दो माह से बंदियों द्वारा इस लीला के मंचन की तैयारी की जा रही थी।
कोविड-19 के नियमों का पालन करने के लिए बैरिकों में लीला मंचन का सीधा प्रसारण किया गया। इस दौरान डॉ. राजीव वर्मा, डॉ. एसके जौहरी, जेलर राजीव मिश्रा, डिप्टी जेलर एके गुप्ता, राकेश वर्मा, आलोक और शिवराम मौजूद रहे। वन गमन की लीला का हुआ मंचनचौधरी तालाब में आयोजित रामलीला मंचन में केकैई-मंथरा संवाद, केकैई-दशरथ संवाद, राम वनगमन, सरयू पार करने की लीला का मंचन किया गया। यहां दीपेश अग्रवाल, समिति के अध्यक्ष रामगोपाल मिश्रा, प्रभू नारायण तिवारी, धीरेंद्र शुक्ला, रजनीश बाजपेई,बृजेश प्रताप सिंह, शिव नारायण दीक्षित, अभिषेक मिश्रा, आदित्य शुक्ला मौजूद रहें।
इसी प्रकार सुभाष नगर में कथावाचक राधेश्याम की रामायाण का संगीतमय पाठ किया गया। यहां राम जन्म, विश्वामित्र आगमन, ताड़का वध वा जनकपुर गमन तक की लीला का गायन किया गया। महंत रामलखन दास, नरसिंह दास, नमन, कौशल, पं. प्रदीप चौबे के द्वारा माता की भेंटो का गायन के बाद आरती वा प्रसाद वितरण किया गया। यहां अध्यक्ष अशोक शर्मा, मंत्री आलोक तायल, राज कुमार तिवारी, अखिलेश सिंह मौजूद रहें। इसी प्रकार उत्तराखंड सास्कृतिक समाज की 40 वीं रामलीला महोत्सव में रामायण पाठ के साथ ही बैठकी रामलीला का मंचन किया गया। पहले दिन आरंभ से दोहा 120 (क) बालकांड तक का पाठ करने के साथ ही बैठकी रामलीला में प्रार्थना व रामजन्म लीला का मंचन किया गया।