कॉमर्शियल के खेल में ‘उड़ी’ घरेलू उपभोक्ताओं की गैस Bareilly News
बड़े उद्योगपतियों और व्यवसाइयों को एलपीजी 35 रुपये के करीब मिलती है। यानी घरेलू गैस उपभोक्ताओं के हिस्से की गैस बेचने के लिए घटतौली का खेल जानबूझकर खेला जा रहा था।
बरेली, जेएनएन : परसाखेड़ा के भारत पेट्रोलियम प्लांट में घरेलू गैस सिलेंडर की लिक्विड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) यूं ही नहीं ‘उड़’ रही। इसके पीछे खेल हो सकता है कॉमर्शियल गैस सिलेंडरों का। जी हां, मामला यूं तो प्रति सिलेंडर 48 ग्राम एलपीजी कम निकलने का दिखता है। लेकिन गहराई तक जाएं तो हर महीने करीब तीस लाख रुपये का ‘ऊपरी’ मुनाफा हो रहा। जानकारों के मुताबिक यही बची गैस कॉमर्शियल सिलेंडरों को रीफिल करने में काम आती है। इसमें भी मोटा खेल दो नंबर में होता है। यानी सरकार और उपभोक्ताओं को सीधी चपत।
यूं समझे मोटे मुनाफे का गणित
परसाखेड़ा के प्लांट में रोजाना भारत गैस के करीब 15 हजार सिलेंडर रीफिल होते हैं। पेट्रोलियम यूनियन संरक्षक राजेंद्र गुप्ता बताते हैं कि अगर शुक्रवार को हुई जांच को ही मानक लें तो प्रति सिलेंडर 48 ग्राम घरेलू गैस कम निकली। इस पर अधिकांश सिलेंडर ऐसे होते हैं जिनमें 50 से 100 ग्राम गैस बची होती है। यानी, कम से कम 150 ग्राम एलपीजी गैस सिलेंडर में कम। रोजाना करीब आधा ट्रक गैस प्लांट में बचाई जा सकती है। इसकी कीमत करीब एक लाख रुपये रोजाना होगी। मतलब, महीने में कम से कम 30 लाख रुपये।
कोई खामी नहीं, जान-बूझकर ‘खेल’
दबिश में मौजूद टीम के एक अधिकारी ने बताया कि प्लांट में गैस रिफिलिंग की मशीन ऑटोमेटिक होती है। इसलिए खामी का सवाल नहीं। हां, कॉमर्शियल सिलेंडर में रिफलिंग मैन्युअल होती है। जानकार यह भी बताते हैं कि बड़े उद्योगपतियों और व्यवसाइयों को एलपीजी 35 रुपये के करीब मिलती है। यानी, घरेलू गैस उपभोक्ताओं के हिस्से की गैस बेचने के लिए घटतौली का खेल जानबूझकर खेला जा रहा था।
घर पर आए सिलेंडर तो यह रखें एहतियात
- सिलेंडर लेने से पहले इसे अपने सामने तौलवाएं।
- हो सके, तो वजन तौलने के लिए अपने पास भी पोर्टेबल डिजिटल मशीन रखें।
- एमटी (खाली सिलेंडर) का वजन के अलावा 14.2 किलोग्राम गैस घरेलू सिलेंडर में होनी चाहिए।
- खाली सिलेंडर का वजन सिलेंडर की नॉब के पास छपा होता है।
- गैस निकालकर वजन बढ़ाने के लिए पानी भरा होने के मामले भी सामने आते हैं।
- सिलेंडर में पानी भरा या नहीं यह पता करने के लिए किसी पिन से सिलेंडर की नॉब हल्की पुश करें।
बीपीसीएल प्लांट पर रेड से खुला बड़ा खेल, प्रति माह तीस लाख तक का ऊपरी मुनाफा, रोजाना पंद्रह हजार सिलेंडर रिफिल किए जाते हैं।
औसत जीरो तो कार्रवाई भी नहीं
सिलिंडर में 14.2 किलोग्राम गैस भरी जाती है। तौलने के दौरान 17 सिलेंडरों में 50 ग्राम से 500 ग्राम तक घरेलू गैस कम थी। कुल औसत 48 ग्राम प्रति सिलिंडर निकला। अधिकारी बताते हैं कि न्यूनतम 32 सिलेंडर निरीक्षण करने का प्रावधान है। कुल चेक सिलेंडर में ज्यादा निकली गैस की मात्र और कम निकली गैस बराबर होती है तो कार्रवाई नहीं होती।
दोबारा कमी मिलने पर सीज हो सकता है प्लांट
बाट-माप विभाग के अधिकारी बताते हैं कि गैस एजेंसी पर एक फीसद तक गैस कम होने पर छूट का प्रावधान है। लेकिन एजेंसी के लिए कोई छूट नहीं है।
इसलिए सिलेंडरों में ज्यादा निकली गैस
तौलने के दौरान करीब आधा दर्जन सिलिंडरों में एमटी के अलावा 50 ग्राम गैस ज्यादा मिली। चूंकि प्लांट में गैस रिफिलिंग के लिए ऑटोमैटिक मशीन होती है। इसलिए मशीन के जरिए ज्यादा गैस भरना मुमकिन नहीं था। अधिकारियों के मुताबिक गैस सिलेंडर खाली होने पर भी उसमें पचास से सौ ग्राम तक गैस होती है। जब तक कि सिलेंडर को उल्टा कर या गर्म पानी के अंदर रख गैस ऊपर की ओर ना कर ली जाए। जो गैस अतिरिक्त मिली वो शेष बची गैस ही थी।
गैस एजेंसियों की शिकायत पर कार्रवाई
प्लांट पर दबिश यूं ही नहीं पड़ी। इसके पीछे वजह थे जिले के तमाम बीपीसीएल गैस एजेंसी संचालक। विधिक माप विज्ञान विभाग (बाट-माप) के अधिकारियों के मुताबिक पिछले कुछ समय में गैस एजेंसियों में निर्धारित मानक से कम गैस मिली। चालान हुए लेकिन हर जगह एक ही तरह की शिकायत थी। प्लांट से ही गैस कम मिल रही। चूंकि, शिकायत एक-दो या दस एजेंसियों की नहीं बल्कि बड़े स्तर पर थी। इसलिए प्लांट पर दबिश डालना तय हुआ।
सिलिंडर का वजन थोड़ा कम होना बड़ी बात नहीं है। मैटल पार्टिकल होने की वजह से ऐसा हो जाता है। चेकिंग में कोई बड़ी कमी नहीं पाई गई है। - दिलीप कुमार मीना, प्लांट प्रबंधक, भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लि.
टीम ने परसाखेड़ा प्लांट पर छापेमारी की थी। जिसमें 32 सिलेंडर की जांच की गई। टीम को मौके पर कुछ सिलेंडर में 100-200 ग्राम, एक सिलेंडर में 500 ग्राम गैस कम निकली, जिसकी रिपोर्ट तैयार की गई है। - संजय ठाकुर, बीपीसीएल टेरेटरी मैनेजर
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप