बरेली में केवल 12 दिन की सुनवाई में दुष्कर्मी को हुई उम्रकैद
अपने मस्तिष्क में गहरे जख्म छिपाए बैठी 13 वर्षीय किशोरी ने जिस उम्मीद से कानून का दरवाजा खटखटाया वह शनिवार को पूरी हो गई। सिर्फ 12 दिन सुनवाई हुई 14 गवाह पेश हुए। मजबूत साक्ष्य आधार बने और स्पेशल पाक्सो कोर्ट के जज रामदयाल ने 64 वर्षीय दुष्कर्मी दिनेश चंद्र मिश्रा को उम्रकैद की सजा सुना दी। जिले में यह पहला अवसर बताया जा रहा जब इतने कम समय में दुष्कर्मी को सजा सुनाई गई।
जागरण संवाददाता, बरेली: अपने मस्तिष्क में गहरे जख्म छिपाए बैठी 13 वर्षीय किशोरी ने जिस उम्मीद से कानून का दरवाजा खटखटाया, वह शनिवार को पूरी हो गई। सिर्फ 12 दिन सुनवाई हुई, 14 गवाह पेश हुए। मजबूत साक्ष्य आधार बने और स्पेशल पाक्सो कोर्ट के जज रामदयाल ने 64 वर्षीय दुष्कर्मी दिनेश चंद्र मिश्रा को उम्रकैद की सजा सुना दी। जिले में यह पहला अवसर बताया जा रहा, जब इतने कम समय में दुष्कर्मी को सजा सुनाई गई।
शहर के एक मुहल्ला में रहने वाली किशोरी अपनी मौसी के साथ रहती है। पिता की हत्या में उसकी मां व मामा जेल में है। 26 अगस्त को किला क्षेत्र में रहने वाले दिनेश चंद्र मिश्रा ने प्रसाद देने के बहाने उसे घर में बुलाया, दुष्कर्म किया। उसने किशोरी को इतना धमकाया कि दहशत के कारण किसी को घटना की जानकारी नहीं दी। कई दिन अंदर ही अंदर घुटती रही तो मौसी ने वजह पूछी। उसकी आपबीती सुनने के बाद 16 सितंबर को उन्होंने दिनेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। अगले ही दिन आरोपित गिरफ्तार कर लिया गया। अनुसूचित जाति की किशोरी से दुष्कर्म व पाक्सो का मुकदमा था, इसलिए सीओ अखंड प्रताप सिंह ने विवेचना शुरू की।
मेडिकल रिपोर्ट व गवाह बने आधार
सीओ अखंड प्रताप सिंह ने बताया कि मेडिकल में किशोरी से दुष्कर्म की पुष्टि हुई। गवाहों ने बताया कि खुद को पुजारी बताने वाले दिनेश ने किशोरी को कमरे में बुलाया था। कुछ अन्य साक्ष्यों के आधार पर 16 नवंबर को आरोप पत्र दाखिल किया। 18 नवंबर को कोर्ट ने संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू कर दी। दिनेश बदायूं के बिनावर के कादराबाद का मूल निवासी है। काफी समय से यहां किराये पर रहता था।
लगातार सुनवाई, समय से मिला न्याय
किशोरी से दुष्कर्म के मामले में कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया। 12 दिनों की सुनवाई में 14 लोगों की गवाही हुई। एक दिसंबर को दिनेश के बयान लिए गए। जज रामदयाल ने 26 पेज का निर्णय तैयार किया और दोषी को उम्रकैद की सजा सुना दी। जिसके बाद पेशी पर आए दोषी को पुलिस दोबारा जेल ले गई। डीजीसी क्राइम सुनीति कुमार पाठक ने बताया कि मामले में एडीजीसी रीतराम राजपूत, विशेष लोक अभियोजक सीपी गुप्ता व शुभव मिश्रा ने प्रकरण की पैरवी की।