Lockdown -3 Health : लॉक डाउन ने सुधारी सेहत 50 फीसद तक कम हुई दमा के मरीज Bareilly News
इस गंभीर बीमारी में लॉक डाउन का काफी असर है लोगों की सेहत में सुधार हुआ है करीब 50 फीसद तक दमा के मरीजों में कमी आई है इसकी बड़ी वजह इस दौरान वातावरण प्रदूषण की कमी बताई जा रही है।
बरेली जेएनएन। दमा के मरीजों की संख्या पूरे विश्व में करीब 300 मिलियन है। हर साल करीब ढाई लाख मरीजों की मौत इस बीमारी के कारण हो रही है अपने देश में अस्थमा दमा 6 फीसद बच्चों में और करीब 2 फीसद बड़ों में पाया जाता है। इस गंभीर बीमारी में लॉक डाउन का काफी असर है लोगों की सेहत में सुधार हुआ है करीब 50 फीसद तक दमा के मरीजों में कमी आई है इसकी बड़ी वजह इस दौरान वातावरण प्रदूषण की कमी बताई जा रही है। चिकित्सक इसे किसी चमत्कार से कम नहीं मान रहे हैं। उनके पास सांस के मरीजों की संख्या बेहद कम हो गई है।
प्रदूषण बीमारी का सबसे बड़ा कारण
विशेषज्ञों के अनुसार दमा की बीमारी दो कारणों से होती है एक बाहरी और दूसरा अंतरिक आंतरिक कारण शारीरिक विन्यास में अस्थमा की प्रवृत्ति के कारण जिसमें फेफड़ों में कुछ एंजाइम्स असामान्य हो जाते हैं दूसरा बाहरी कारण प्रदूषण है वातावरण में प्रदूषण गैस धूल कण धुआ आदि लोगों के फेफड़ों तक पहुंच रहा है जिससे सांस की दिक्कत बढ़ रही है। इसके साथ ही प्रदूषित वातावरण में वायरस, बैक्टीरिया, फंगस भी रहते हैं। जो शरीर में प्रवेश करने से बीमार बना देते हैं।
50 से 70 फीसद मरीजों की कमी
बीते 22 मार्च से शुरू हुए लाख डाउन के कारण वातावरण में प्रदूषण का स्तर काफी कम हो गया है लोग घरों में ही रहते हैं जिससे इंफेक्शन का स्तर कम हुआ है इस मौसम में पराग कण निकलते थे और फिर गेहूं कटाई के बाद भूसा उड़कर सांस की मर्ज उपहार देता था वातावरण साफ होने के कारण पंगत बैक्टीरिया वायरस केमिकल से होने वाली एलर्जी भी कम हो गई है डॉक्टरों के पास सांस के मरीजों की संख्या 50 से 70 फ़ीसदी कम हुई है।
प्रदूषण से उखड़ जाता है मर्ज
शहर के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ पवन ने बताया कि यह वक्त सांस के मरीजों के बढ़ने का हुआ करता था परागकण और गेहूं की कटाई के बाद भूसा उड़कर सांस के मरीजों को बढ़ा देता था अब की पहली बार ऐसा हुआ है कि सांस के मरीजों के फोन नहीं आ रहे हैं उनकी संख्या आधी से भी कम रह गई है।
सांस चलने को निमोनिया मान लेते हैं लोग
वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रवि खन्ना ने बताया कि बच्चों में सांस की दिक्कत करीब 70 फीसद कम हुई है उनके हेल्पलाइन नंबर पर इस बाबत फोन ना के बराबर आ रहे हैं लोग अक्सर सांस फूलने को निमोनिया मान लेते हैं लेकिन कई बार वे दमा होता है इस दौरान इन्फेक्शन भी काफी कम हुआ है।