विसर्जन : बेटी की तरह से की मां दुर्गा की विदाई, अगले बरस का दिया आमंत्रण Bareilly News
ढाक ढोल कांसर घंटे की थाप पर लाल पाड़ की साड़ी पहने धुनुची लिए थिरकतीं महिलाएं। रामगंगा के घाट पर बहती मंद हवा और हवा से उड़ती धूल जब धुनुची के धुएं में जा घुली।
जेएनएन, बरेली : ढाक, ढोल, कांसर, घंटे की थाप पर लाल पाड़ की साड़ी पहने धुनुची लिए थिरकतीं महिलाएं। रामगंगा के घाट पर बहती मंद हवा और हवा से उड़ती धूल जब धुनुची के धुएं में जा घुली, तो समां भक्ति रंग में रंग गया। विदाई की बेला निकट आई तो मां दुर्गा के गालों पर पान के पत्ते रखकर कहा ..आशछे बौछोर आबार हौबे यानी अगले बरस जल्दी आने का निमंत्रण। उस पर होंठ और जीभ के जरिए ऊलु की ध्वनि से मन भावविभोर हो गया। कुछ इसी तरह बंगाली पंडालों में मायके आई मां दुर्गा की विदाई बेटी की तरह की गई।
पति की लंबी उम्र की कामना
मंगलवार को ढोल-नगाड़े बजाते हुए बंगाली समुदाय रामगंगा तट पहुंचा। मां दुर्गा की प्रतिमा के साथ ‘चाला’ स्थापित किया और पति की लंबी उम्र की कामना की। इसके बाद प्रतिमाओं की परिक्रमा कराकर उन्हें विसर्जित किया गया। इसके बाद पुरोहित ने सभी के ऊपर शांति जल छिड़ककर विश्व शांति का आह्वान किया।
नदी तट पर गड्ढे में हुआ विसर्जन
रामगंगा नदी के तट पर प्रतिमा विसर्जन के लिए गड्ढा बनाया गया था। वहां मां दुर्गा की मूर्ति को पूरे विधि विधान से विसर्जित किया गया। जिसमें उनकी भव्य आरती के साथ विशेष पूजन किया।