Prashan Pahar : आइएमए अध्यक्ष बोले - रक्तदान की तरह ही प्लाज्मा दान के लिए लानी होगी जागरूकता
दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे संक्रमण से खुद को बचाने का सबसे आसान तरीका तो एहतियात ही है। घर से बाहर न निकलें बाहर आएं तो मास्क लगा कर रखें।
बरेली, जेएनएन। दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे संक्रमण से खुद को बचाने का सबसे आसान तरीका तो एहतियात ही है। घर से बाहर न निकलें, बाहर आएं तो मास्क लगा कर रखें, किसी भी व्यक्ति से दो गज की दूरी बनाए रखें। इसके बाद भी अगर संक्रमित हो जाते हैं और लक्षण होने पर कोविड एल-2 व एल-3 अस्पतालों में आइसोलेट हों। जरूरत समझ आने पर चिकित्सकों से रॉय लेकर प्लाज्मा थेरेपी भी करा सकते हैं।
इसके लिए दिल्ली या अन्य बड़े शहरों में जाने की जरूरत नहीं है। आइएमए बरेली के ब्लड बैंक में ही प्लाज्मा मिल सकेगा। अब जरूरत इस बात की है कि रक्तदान की तरह ही प्लाज्मा दान के लिए संक्रमित होकर ठीक हो चुके लोगों को जागरूक किया जाए। जिससे अन्य लोगों की जान बचाई जा सके। उक्त बातें दैनिक जागरण के प्रश्न पहर के कार्यक्रम के दौरान आइएमए अध्यक्ष डा. राजेश अग्रवाल ने सुधि पाठकों के सवालों के जवाब देते हुए कहीं।
सवाल : प्लाज्मा थेरेपी क्या है, इस विधि से संक्रमित को क्या लाभ होगा ? - केशव अग्रवाल, फरीदपुर
जवाब : प्लाज्मा थेरेपी को मेडिकल साइंस की भाषा में प्लास्माफेरेसिस कहते हैं। प्लाज्मा थेरेपी ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें खून के तरल पदार्थ या प्लाज्मा को रक्त कोशिकाओं से अलग किया जाता है। इसका उपयोग कई समय से हो रहा है। लेकिन इस समय यह ज्यादा चर्चा मेंं है। इसका कारण कोरोना संक्रमण है। इस कोरोना संक्रमण की चपेट में आए व्यक्ति की जान बचाने में इसे कारगर माना गया है। इसे संक्रमण की चपेट में आकर ठीक हो चुके व्यक्ति की मदद से शुरू किया जाता है। इसके लिए पहले देखा जाता है कि ठीक हो चुके व्यक्ति में एंटीबॉडी की कितनी मात्रा है। कई प्रक्रियाओं के बाद प्लाज्मा लिया जाता है। जिसे संक्रमित व्यक्ति के शरीर में चढ़ाया जाता है।
सवाल : प्लाज्मादान का तरीका क्या है, क्या इसे रक्तदान की तरह ही समझें ?- अर्पित कुमार, मेगा सिटी
जवाब : प्लाज्मा दान करने की प्रक्रिया रक्तदान से मिलती जुलती है। प्लाज्मा निकालने के लिए सबसे पहले रक्त ही निकालना होता है। रक्त लेने के बाद इसे एक विशेष प्रकार की मशीन से अपकेंद्रित कर प्लाज्मा निकाल लेते हैं। इसके बाद बचे हुुए रक्त को संबंधित व्यक्ति के शरीर में ही वापस कर दिया जाता है या किसी अन्य कार्य में उपयोग कर लिया जाता है।
सवाल : प्लाज्मादान करने के बाद कोई कमजोरी या कोई बीमारी तो नहीं होती ?- हर्षित कुमार, मेगा सिटी
जवाब : प्लाज्मा रक्त से ही निकलता है। जो प्रक्रिया रक्तदान से पहले की जाती हैं वहीं इसमें भी होती है। प्लाज्मादान करने वाले व्यक्ति का चेकअप होने के बाद ही रक्त लिया जाएगा। इसके बाद भी संबंधित व्यक्ति को कुछ देर चिकित्सकीय देखरेख में रखा जाएगा। इससे डरने की आवश्यकता नहीं है।
सवाल : प्लाज्मा देने के बाद इम्युनिटी कमजोर हो जाए और व्यक्ति फिर संक्रमित तो नहीं हो जाएगा ?- संदीप देशाइ, नेहरू पार्क
जवाब : प्लाज्मा लिए जाने से पहले चेकअप किया जाएगा। ब्लड से चेक किया जाएगा कि प्लाज्मादाता में इम्नयुनिटी पावर कितनी है। अगर वह कमजोर होगी तो उस व्यक्ति का प्लाज्मा नहीं लिया जाएगा। अगर इम्युनिटी अच्छी है तो प्लाज्मा ले सकेंगे। एक बार पॉजिटिव होने के बाद निगेटिव हो चुका व्यक्ति दोबारा पॉजिटथ्व नहीं होता।
सवाल : अब तक 45 बार रक्तदान कर चुका हूं, पॉजिटिव नहीं आया लेकिन लक्षण थे, तो क्या मैं भी प्जाज्मा दान कर सकता हूं ?- जतिन मदान, बिहारीपुर ढाल
जवाब : कोरोना संक्रमित के प्लाज्मा के लिए प्लाज्मदाता वहीं हो सकता है जो पॉजिटिव होकर निगेटिव हो चुका है। निगेटिव होने के बाद 28 दिन पूरा कर चुके व्यक्ति का ही प्लाज्मा लिया जा सकता है। आइसीएमआर की गाइडलाइन यही हैं।