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गन्ना का भुगतान लटका तो ताइवान के पपीते की शुरु की खेती, युवाओं के लिए गौरव बने नजीर

देश के करोड़ों युवा रोजगार की चाहत में विदेश जाते हैं लेकिन इस युवा ने अपनी मिट्टी में ताइवान का पपीता उगाकर साबित कर दिया कि जुनून से बढ़कर कुछ नहीं है। अपने देश में रहकर भी अच्छी कमाई की जा सकती है।

By Sant ShuklaEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 04:22 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 04:22 PM (IST)
गन्ना का भुगतान लटका तो ताइवान के पपीते की शुरु की खेती, युवाओं के लिए गौरव बने नजीर
यहां के किसान गौरव युवाओं के लिए नजीर बनकर उभरे हैं।

अंकित शुक्ला

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बरेली, जेएनएन।  देश के करोड़ों युवा रोजगार की चाहत में विदेश जाते हैं, लेकिन इस युवा ने अपनी मिट्टी में ताइवान का पपीता उगाकर साबित कर दिया कि जुनून से बढ़कर कुछ नहीं है। अपने देश में रहकर भी अच्छी कमाई की जा सकती है।

बहेड़ी तहसील का छोटा सा गांव है काशीनाथपुर। यहां के किसान गौरव युवाओं के लिए नजीर बनकर उभरे हैं। वैसे तो यहां के किसान पहले से ही केला आदि की बागवानी करते हैं, लेकिन गौरव ने उनको नया व बेहतर विकल्प दे दिया। तराई की माटी में ताइवान का पपीता उपजाकर वह मालामाल हो रहे हैं। लागत के सापेक्ष बेहतर उत्पादन से उनके हौसले बुलंद हैं। उत्पादन के बेहतर आसार देखकर किसान काफी उत्साहित है। गौरव ने मौजूदा समय में छह एकड़ में ताइवान पपीता लगा रखा है।

 एक बार खेती, दो बार पैदावार

गौरव बताते हैं कि पपीता की एक बार फसल करने के बाद दो वर्ष तक पौधे अच्छी पैदावार देते हैं। बताया कि ताइवान पपीता की खेती मुनाफे का सौदा है। हापुड़ से 18 रुपये के छह हजार पौध मंगाए। एक बीघा में सात सौ पेड़ लगे हैं। अच्छी फसल होने पर अधिकतम दो क्विंटल व न्यूनतम एक से डेढ़ क्विंटल वर्ष में पैदावार होती है।

 गन्ना की फसल में लेट भुगतान से बदली फसल

गौरव अपनी ग्राम पंचायत से प्रधान होने के साथ ही जागरूक किसान भी है। कुल 50 एकड़ जमीन में अभी तक वह गन्ना, गेहूं व धान की फसल करते थे। गन्ने का भुगतान अधिकांश बार लटक जाता था। इसलिए इस फसल पर रुझान किया। यह फसल नगदी की है। इसको लगाने के लिए इंटरनेट के साथ ही रुद्रपुर जाकर किसानों से सलाह ली। पपीता को पाला से बचाने के लिए पॉली बैग से इसे कवर किया है। इसलिए कुछ लागत बढ़ी है। गौरव के मुताबिक 50 से 75 हजार रुपये प्रति एकड़ का खर्च इस खेती में आता है। जबकि बचत काफी व नगदी की फसल है।

 सहफसली कर अतिरिक्त मुनाफा

गौरव ने पपीता के साथ सहफसली में मटर की खेती की है। जो कि तैयार है। रेट कम होने के कारण इसे रोक रखा है। बताया कि अभी तक जहां 50 हजार रुपये एकड़ खड़ी फसल का मिल रहा था। वहीं अब रेट 20 हजार रुपये प्रति एकड़ हो गया है। रेट अच्छा होते ही इसे वह बेचेंगे।

 जिला उद्यान अधिकारी पुनीत कुमार पाठक का कहना है कि काशीनाथ पुर के गौरव पढ़े लिखे होने के साथ ही युवा जागरूक किसान है। पपीता के साथ सहफसली कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। गौरव अन्य किसानों के लिए नजीर बने हुए हैं। 


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