सभागार के बाद लेबोरेट्री देखने पहुंची विजिलेंस टीम
केंद्रीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) में 22 करोड़ रुपये खर्च कर बना सभागार और सड़क निर्माण में गड़बड़ी की जांच शुक्रवार को जारी रही। दस्तावेज खंगालने के बाद चार सदस्यीय विजिलेंस टीम दोपहर करीब 12 बजे सभागार का निरीक्षण करने पहुंची।
बरेली, जेएनएन : केंद्रीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) में 22 करोड़ रुपये खर्च कर बना सभागार और सड़क निर्माण में गड़बड़ी की जांच शुक्रवार को जारी रही। दस्तावेज खंगालने के बाद चार सदस्यीय विजिलेंस टीम दोपहर करीब 12 बजे सभागार का निरीक्षण करने पहुंची। इसके बाद मॉड्यूल लेबोरेट्री बिल्डिग का निरीक्षण करने पहुंची। वापस आकर फिर फाइलें चेक कीं। कुछ इंजीनियरों से भी पूछताछ की। वहीं, सवालों के घेरे में आए निगरानी समिति के जिम्मेदारों से भी स्पष्टीकरण लेने के लिए नोटिस जारी किया जाएगा।
संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. आरके सिह पर स्वामी विवेकानंद सभागार, सड़क आदि निर्माण में संस्थान का पैसा बर्बाद करने सहित कई गंभीर आरोप हैं। इसकी जांच के लिए आइसीएआर की विजिलेंस टीम गुरुवार से संस्थान में है। टीम में आइसीएआर दिल्ली के एडिशनल डायरेक्टर जनरल कमेटी के चेयरमैन अवनीश त्यागी, इंजीनियरिग सेक्शन के सबसे वरिष्ठ इंजीनियर मनचंदा सहित दो अन्य सदस्य शामिल हैं। आंख मूंद कर बैठे रहे जिम्मेदार
आइवीआरआइ में किसी भी तरह के निर्माण कार्य में सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (सीपीडब्ल्यूडी) बरेली डिवीजन का बड़ा रोल है। सभागार से लेकर सड़क तक निर्माण की जिम्मेदारी इन्हीं के पास थी। वहीं, संस्थान के सूत्र बताते हैं कि निर्माण कार्यो की निगरानी के लिए बनी कमेटी में तीन इंजीनियर, प्रशासनिक अधिकारी और वैज्ञानिक हैं। अब सवाल है कि निर्माण के दौरान समिति ने क्या किया? विजिलेंस टीम इनसे भी पूछताछ कर रही है। कमियों की वजह से नहीं हुआ था हैंडओवर
करोड़ों रुपयों की लागत से बना सभागार करीब एक साल से बनकर तैयार है। लेकिन सभागार में पानी रिसाव तो कहीं आकार टेढ़ा होने की शिकायत थी। इसी वजह से आइवीआरआइ के इंजीनियर इसे हैंडओवर नहीं ले रहे थे। वहीं, सीपीडब्ल्यूडी निर्माण में कोई कमी नहीं मान रहा था। वर्जन..
विजिलेंस की जांच टीम ने सभागार का निरीक्षण कर स्थिति देखी है। कई लोगों से पूछताछ की है। सभागार और सड़क निर्माण की मॉनीटरिग के लिए एक कमेटी बनी है। उसको नोटिस जारी कर पूछा जाएगा कि आखिर पहले कमियां क्यों नहीं देखी गईं।
- देवाशीष मोइत्रा, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, आइवीआरआइ