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स्वास्थ्य और सुरक्षा, जानिए अपने अधिकार

अशोक आर्य, बरेली : संविधान में देशवासियों के लिए तमाम अधिकार सृजित किए गए मगर अधिकतर लोगा

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Dec 2017 02:33 AM (IST)Updated: Fri, 08 Dec 2017 02:33 AM (IST)
स्वास्थ्य और सुरक्षा, जानिए अपने अधिकार
स्वास्थ्य और सुरक्षा, जानिए अपने अधिकार

अशोक आर्य, बरेली : संविधान में देशवासियों के लिए तमाम अधिकार सृजित किए गए मगर अधिकतर लोगों को उनके अधिकारों की जानकारी ही नहीं। इस कारण अक्सर उन्हें सरकारी तंत्र में फंसना पड़ता है। उन्हें असुविधा तो होती है, साथ ही नुकसान भी हो जाता है। राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस से पहले दैनिक जागरण अपने पाठकों को उनके अधिकारों के बारे में बता रहा है। आज से तीन दिन तक हम बताएंगे कि किस क्षेत्र में आपके क्या अधिकार हैं और उन्हें कैसे पा सकते हैं।

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जागरण संवाददाता, बरेली : स्वास्थ्य सुरक्षा सिर्फ बीमारी के समय इलाज तक सीमित नहीं है। इसका मतलब मरीज के शारीरिक, मानसिक और कल्याण को बढ़ावा दिया जाना है। उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार स्वास्थ्य का अधिकार मौलिक अधिकार है। यह मानव मानवाधिकार भी है। हर एक को ऐसे मापदंड के साथ जीने का अधिकार है जो उसके तथा उसके परिवार के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए पर्याप्त हो, जिसमें चिकित्सा अवधान और जरूरी समाज की सेवाएं एवं बीमारी, अपंगता, वृद्धावस्था आदि से संबंधित सुरक्षा का अधिकार शामिल हैं।

मरीजों के अधिकार

1. स्वास्थ्य सावधानी तथा मानव उपचार के अधिकार

- हर व्यक्ति को बिना धर्म, जाति, लिंग, आयु, वंश राजनीतिक संबंध, आर्थिक स्तर के भेदभाव के स्वास्थ्य सावधानी व उपचार का अधिकार

- मरीज का इलाज सावधानी, मर्यादा एवं इज्जत के साथ किया जाना चाहिए

- हर मरीज को आपातकालीन इलाज की सुविधा का अधिकार

- बच्चे को अस्पताल में भर्ती करने के साथ उसके साथ माता-पिता या अभिभावक रह सके।

- मरीजों की जाच सम्मानित तरीके से करना।

2. मनपसंद सुविधा का अधिकार

- मरीज को अपने इलाज का मेडिकल रिकॉर्ड लेने का अधिकार है। वह किसी अन्य व्यक्ति का लिखित रुप में इस रिकॉर्ड को लेने की जिम्मेदारी दे सकता है।

-मरीज को अपनी पसंद के अस्पताल एवं डॉक्टर से इलाज कराने का अधिकार है।

- मरीज को अपनी बीमारी के बारे में जानकारी मिलने के बाद यह अधिकार है कि वह इलाज करवाए या नहीं करवाए।

- यदि मरीज किसी डॉक्टर के इलाज से संतुष्ट नहीं है तो वह डॉक्टर बदल सकता है।

3. सुविधा ग्रहण करने का अधिकार

- इलाज एवं जाच से पहले मरीज को संबंधित इलाज तथा अन्य विकल्पों के बारे में जानने का पूरा अधिकार है।

- मरीज को इलाज से संबंधित खतरों, समस्याओं, इलाज के बाद प्रभावों, मृत्यु की संभावना, इलाज के असफल होने की संभावना के बारे में सूचना दी जा सकती है।

- मरीज से यह भी बताना चाहिए कि इलाज छात्रों के सामने होगा या छात्रों द्वारा किया जाएगा। मरीज किसी भी इलाज एवं जाच करवाने से मना कर सकता है।

4. सूचना और इच्छा का अधिकार

- मरीज को डॉक्टर के बारे में पूरी जानकारी लेने का अधिकार है। जो भी स्वास्थ्य कर्मचारी एवं डॉक्टर उसके इलाज के लिए जिम्मेदार है उसके बारे में सूचना ले सकता है।

- मरीज को बताई गई एवं खरीदी गयी सभी दवाइयों के बारे में सूचना का अधिकार है।

- यदि मरीज अस्पताल में है तो उसे ट्रासफर करने या इलाज बदलने, छुट्टी देते समय उससे सलाह लेना आवश्यक है।

- किसी भी मरीज का इलाज उसकी इच्छा के बिना नहीं किया जाएगा।

- नाबालिग मरीज की स्थिति में उसके माता-पिता या अभिभावक की इच्छा आवश्यक है।

- यदि मरीज इच्छा बताने में असक्षम है और इलाज में विलंब खतरनाक साबित हो सकता है तो डॉक्टर जरुरी इलाज या ऑपरेशन कर सकता है।

- कोई शोध कार्य करने से पहले मरीज की लिखित मंजूरी लेनी आवश्यक है।

- मरीज को सही तरीके से इस शोध कार्य के उद्देश्य, तरीके तथा इससे संबंधित नुकसान एवं फायदे बताए जाने चाहिए।

- मरीज को अपनी बीमारी, इलाज, स्थिति, पूर्वानुमान तथा अन्य सभी रिकॉडरें को देखने का अधिकार है।

5. शिकायत सुधारने का अधिकार

- मरीज को उचित क्षतिपूर्ति प्रक्रिया अपनाने का अधिकार।

- डॉक्टर, स्टाफ या किसी अन्य गलत प्रक्रिया के विरुद्ध मरीज को कानूनी सलाह लेने का अधिकार है।

- मरीज को अस्पताल स्टाफ या डॉक्टर की लापरवाही, गैर इंतजाम, गलत प्रक्रिया अपनाए जाने के कारण हुई चोट, तकलीफ, बीमारी के विरुद्ध मुआवजा लेने का अधिकार है।

6. भाग लेने तथा प्रतिवेदन का अधिकार

- मरीज के स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी निर्णय में मरीज को भाग लेने का अधिकार है।

- हर व्यक्ति को निवारक तथा रोक नाशक दवाइयों, अच्छा स्वास्थ्य एवं सुविधा की जानकारी लेने का अधिकार है।

7. स्वच्छ वातावरण का अधिकार

- हर व्यक्ति को अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ वातावरण का अधिकार है।

- मेडिकल लापरवाही पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अस्पताल अपने यहा नियुक्त डॉक्टर और कर्मचारियों की लापरवाही के लिए जिम्मेदार होगा।

- बालक के माता-पिता उपभोक्ता की तरह मानसिक पीड़ा के लिए मुआवजे के अधिकारी होंगे।

- कोई भी परामर्शदाता अपने जूनियर को यदि बिना उनकी काबिलियत जाने अपने जिम्मदारी का प्रत्यायोजन करता है तो यह लापरवाही मानी जाएगी।

- मरीज के प्रश्नों के प्रति डॉक्टर तथा स्टाफ उत्तरदायी होगा।

- डॉक्टर दवाइयों के नाम पूरे तथा साफ तरीके से लिखेंगे ताकि मरीज को समझने में आसानी हो।

- मरीज को उसकी बीमारी एवं इलाज के बारे में पूरी जानकारी देना जरूरी।

- मरीज अपने इलाज, खान-पान के संबंध में डॉक्टर द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन करेगा।

- डॉक्टरी रिकॉर्ड में पारदर्शिता होनी चाहिए, वह मरीज को उपलब्ध होने चाहिए।

- नर्सिग स्टाफ प्रशिक्षित होना चाहिए तथा उन्हें मेडिकल की वर्तमान जानकारी होनी चाहिए।

- मरीजों के प्रति डॉक्टरों, नर्सो तथा अस्पताल के अन्य कर्मचारियों का नजरिया मानवीय होना चाहिए।

मुआवजे के लिए दावा

- उपभोक्ता न्यायालयों में प्राइवेट अस्पतालों और डॉक्टरों की लापरवाही के खिलाफ मुकदमे किए जा सकते हैं। जिला उपभोक्ता फोरम में पांच लाख रुपए तक के दावे किए जा सकते हैं। राज्य उपभोक्ता आयोग में पांच लाख से 20 लाख तक के दावे किए जा सकते हैं और जिला उपभोक्ता फोरम के फैसले के विरुद्ध अपील की जा सकती है। राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में 20 लाख से ऊपर के दावे किए जा सकते हैं। राज्य उपभोक्ता आयोग के विरुद्ध अपील की जा सकती है । उपभोक्ता न्यायालय में मरीज और उसका मनोनीत एजेंट मुआवजे का दावा कर सकता है। उपभोक्ता न्यायालय में शिकायत दर्ज करने के लिए कोई शुल्क नहीं देना होता है। शिकायतकर्ता या उसका एजेंट शिकायत की प्रतिलिपि जमा करा सकते हैं। शिकायत डाक के द्वारा भी भिजवाई जा सकती है। शिकायत में शिकायतकर्ता का नाम, पता, हुलिया तथा प्रतिवादी का नाम, पता, हुलिया होना चाहिए। शिकायत से संबंधित दस्तावेज यदि हैं तो उन्हें प्रस्तुत करना चाहिए। शिकायत पर शिकायतकर्ता का हस्ताक्षर होना चाहिए। यदि दावा देश की किसी दीवानी अदालत में समक्ष विचाराधीन है तो आयोग ऐसे किसी भी मुद्दे पर विचार नहीं करेगा। सरकारी अस्पतालों की लापरवाही के खिलाफ केवल दीवानी न्यायालयों में मुकदमे किए जा सकते हैं। डॉक्टर के खिलाफ लापरवाही साबित करने की जिम्मेदारी मरीज या उसके आश्रितों पर होती है ।

भारतीय चिकित्सा परिषद का रोल

भारतीय चिकित्सा परिषद और राज्यों की चिकित्सा परिषदें गंभीर व्यावसायिक बुरे आचरण या चारित्रिक कमजोरी दिखाने वाले किसी कार्य के लिए पंजीकृत चिकित्सा कर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है। संबद्ध चिकित्सा परिषद अपने रजिस्टर से गलत आचरण वाले चिकित्साकर्मियों का नाम हटा सकती है। निम्नलिखित गलत आचरण करने पर डॉक्टर के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है।


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