Bareillys Heritage News : यहां पर पैदा हुई थी द्रोपदी, आज भी महाभारत काल के मिलते हैं अवशेष
रुहेलखंड की धरती अहिच्छत्र के ऐश्वर्य वैभव और समृद्धि के इतिहास को संजोए हुए हैं। बरेली के आंवला स्टेशन से करीब 10 किमी उत्तर में प्राचीन अहिच्छत्र के अवशेष आज भी मौजूद हैं। ब्रिटिशकाल में अहिच्छत्र के टीलों की खोदाई में समृद्ध राज्य के अवशेष मिले।
बरेली, जेएनएन। रुहेलखंड की धरती अहिच्छत्र के ऐश्वर्य, वैभव और समृद्धि के इतिहास को संजोए हुए हैं। बरेली के आंवला स्टेशन से करीब 10 किमी उत्तर में प्राचीन अहिच्छत्र के अवशेष आज भी मौजूद हैं। ब्रिटिशकाल में अहिच्छत्र के टीलों की खोदाई में समृद्ध राज्य के अवशेष मिले। आइए अहिच्छत्र के इतिहास के कुछ पन्ने पलटते हैं...
पहला पन्ना : महाभारत कालीन इतिहास
महाभारत काल में अहिच्छत्र पांचाल नामक राज्य की राजधानी रहा। पांचाल का प्रमाणिक इतिहास ई.पू. छठी शताब्दी में मिलता है। महाभारत काल की राजकुमारी द्रोपदी इसी राज्य की थीं। चीनी यात्री हृेनसांग और 11 वीं सदी में अल बरूनी ने अहिच्छत्र काे एक वैभवशाली राज्य के रूप में उल्लेख किया है। संदर्भ कुछ ऐसे हैं कि उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, रामपुर, पीलीभीत, बरेली, बदायूं और शाहजहांपुर का पूर्वी भाग, उत्तराखंड के नैनीताल जिले का दक्षिणी भाग, गंगा पार के इटावा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद और एटा का दक्षिण भाग प्राचीन काल में पांचाल नाम से विख्यात था। इसी की राजधानी अहिच्छत्र थी। रुहेलखंड नाम से प्रसिद्धि प्राप्त करने से पहले बरेली समेत आसपास का बड़ा परिक्षेत्र प्राचीनकाल में पांचाल राज्य हुआ करता था।
आखिर क्यों कहलाया पांडवकालीन किला
यहां के पांडवकालीन किला की भी कथा है। महाभारत के प्रसंग के अनुसार राजा द्रुपद को परास्त करने के बाद गुरू द्रोणाचार्य आधे अहिच्छत्र के शासक बने। द्रोणाचार्य अधिकांश हस्तिनापुर में रहे, इसलिए उनका राज्य कौरवों के हवाले रहे। पांडवों और कौरवों के अधिपत्य में होने के कारण यहां का किला पांडवकालीन कहलाता है।
द्रोपदी का अहिच्छत्र में जन्म, विवाद काम्पिल्य में
महाभारत काल में द्रुपद उत्तर पांचाल (अहिच्छत्र) एवं दक्षिण पांचाल (काम्पिल्य) दोनों के राजा थे। उनकी पुत्री द्रौपदी जो पांचाली कहलाईं, उनका जन्म अहिच्छत्र में हुआ था। जबकि विवाह काम्पिल्य में हुआ था।