जानवरों को बीमार कर रहे बैक्टेरिया पर हर्बल दवाओं का कम दिखा असर
जानवरों में विभिन्न रोगों से फैलने वाले बैक्टेरिया के संक्रमण को रोकने में एटीं बायटिक के साथ-साथ हर्बल दवाएं भी बेअसर साबित हो रही हैं। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) के महामारी रोग नियंत्रण विभाग के एक शोध में यह बात सामने आई है।
बरेली, जेएनएन। जानवरों में विभिन्न रोगों से फैलने वाले बैक्टेरिया के संक्रमण को रोकने में एटीं बायटिक के साथ-साथ हर्बल दवाएं भी बेअसर साबित हो रही हैं। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) के महामारी रोग नियंत्रण विभाग के एक शोध में यह बात सामने आई है। विभाग के हेड व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. भोज राज सिंह के निर्देशन में उनकी टीम 2011 से इस पर अध्ययन कर रही थी। हाल ही में रिसर्च जनरल ऑफ वेटनरी साइंसेज में इससे जुड़ा उनका रिसर्च पेपर भी प्रकाशित हुआ, जिसमें यह दावे किए गए हैं।
विभाग के मुताबिक जानवरों में बैक्टेरिया के संक्रमण से दस्त, निमोनिया, घाव और फोड़े फुनसी, टायफायड, गर्भपात होता है। इस संक्रमण को रोकने के लिए एंटी बायटिक दी जाती है। शोध में पता चला कि अगर बैक्टीरिया का संक्रमण हो गया और उस पर दी गई एंटी बायोटिक दवाएं काम नहीं कर रहीं तो हर्बल दवाएं भी काम नहीं करेंगी। इसे जांचने के लिए वर्ष 2011 में सुपर बग, एमडीआर सहित 6171 वैक्टीरिया पर शोध किया। इनमें 3515 बीमार जानवरों से और 2656 सैम्पल वातावरण (हवा,पानी, खाना आदि, जानवरों के रहने जगह की मिट्टी) से लिए गए। फिर अध्ययन शुरू हुआ।
70 एंटी बायटिक और 26 हर्बल दवाओं पर किया शोध
वैज्ञानिकों ने बताया कि इन जीवाणुओं पर 70 एंटीबायटिक और 26 हर्बल दवाओं का असर देखा गया। शोध के अनुसार बैक्टेरिया में हर्बल और एंटी बायटिक दवाओं के लिए प्रतिरोधकता साथ-साथ बढ़ी। अगर एंटी बायटिक काम की नहीं रही तो हर्बल की संभावनाएं भी न के बराबर हैं। हालांकि इस शोध से यह भी पता कि कुछ हर्बल दवाएं जैसे अजवाइन का तेल, दाल चीनी का तेल, तुलसी का तेल और नींबू घास का तेल बैक्टेरिया नाशक हैं।