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Guru Purnima 2020 : कच्ची माटी जैसे बचपन को आकार देते हैं गुरु

गुरु दो अक्षरों के इस शब्द में जीवन का सार छिपा है। बच्चा जब दुनिया में आता है तो वह कुछ भी नहीं जानता है। मां से वह खड़ा होना पिता से चलना सीखता है दोस्तों से सामाजिक होना सीखता है।

By Edited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 02:18 AM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 05:58 PM (IST)
Guru Purnima 2020 : कच्ची माटी जैसे बचपन को आकार देते हैं गुरु
Guru Purnima 2020 : कच्ची माटी जैसे बचपन को आकार देते हैं गुरु

बरेली, जेएनएन । गुरु, दो अक्षरों के इस शब्द में जीवन का सार छिपा है। बच्चा जब दुनिया में आता है तो वह कुछ भी नहीं जानता है। मां से वह खड़ा होना, पिता से चलना सीखता है, दोस्तों से सामाजिक होना सीखता है। वहीं, पर्यावरण से लेकर समाज, ज्ञान और शिक्षा का चहुंमुखी विकास गुरु से मिलता है। एक गुरु भी बच्चे को ठीक वैसे ही आकार देता है जैसे कुम्हार मिट्टीी के बर्तन तैयार करता।

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गुरु पूर्णिमा पर जानते हैं कुछ ऐसी ही शख्सियतों के बारे में जिनके जीवन को गुरुजनों ने आकार दिया। गुरु की सीख से सफलता की ओर बढ़े कदम कहते हैं ज्ञान के बिना जीवन बेकार है, और ज्ञान गुरू से मिलता है। मुझे जीवन में मिली सफलता का ज्ञान अपने गुरु प्रो.जीएल तिवारी से मिला। वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बॉटनी विभाग के एचओडी थे। आज मैं जिस लायक भी हूं उसमें प्रोफेसर सर का बहुत बड़ा योगदान है।

उनकी हर बात में गूढ़ ज्ञान का सार छिपा होता। पढ़ाई के दौरान उन्होंने एक बात कही थी- 'जो भी काम करो, उसमें अपना सब कुछ लगा दो। जब तक काम पूरा न हो जाए उसे छोड़ना नहीं चाहिए।' प्रोफेसर साहब की इस बात को गांठ बांधकर मैंने अपने जीवन का सार बना लिया। अब भी समय-समय पर प्रोफेसर साहब से बात हो जाती है। पिछले महीने भी हुई थी। खास बात कि उनसे बातचीत के दौरान हमेशा एक नई सीख मिलती है। - राजेश पांडेय, पुलिस उप महानिरीक्षक, बरेली रेंज 

असली शिक्षक वही जो जिज्ञासा पैदा करे असली शिक्षक वह नहीं, जो आपको पढ़ाए। बल्कि असली शिक्षक वह है जो जिज्ञासा पैदा करे। इतिहास जैसे नीरस विषय में जिज्ञासा पैदा हुई, तो इसका श्रेय उनकी गुरु शिवानी मुखर्जी को जाता है। वह नोएडा के एक निजी स्कूल में पढ़ाती थीं। बात वर्ष 2007 की है। मैं कक्षा सात में था। नेपोलियन पर तैयार एक प्रोजेक्ट पर शिक्षिका ने कुछ सवाल पूछे। मैंने उनसे कहा कि मुझे नहीं लगता कि नेपोलियन उतना बुरा इंसान था, जितना उसको दिखाया गया। मैडम ने प्रोजेक्ट और अच्छी तरह तैयार करने के लिए कहा। कुछ समय बाद मैडम ने दोबारा सवाल पूछे। जवाब सुनकर कहा कि कि आज नेपोलियन के बारे में तुम मुझसे अधिक जानते हो। उनके सिखाने के नायाब तरीकों ने मेरे जीवन को नया मोड़ दिया। उस वक्त जो जिज्ञासा पैदा हुई, वो अब तक जिंदा है। आइएएस ईशान प्रताप सिंह, एसडीएम सदर 

टैलेंट देख कोच ने सिखाया था हॉकी पकड़ना वर्ष 1982 में बरेली के साहू गोपी ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज में कक्षा छह की छात्रा थी। पढ़ाई के साथ स्टेडियम में प्रैक्टिस करने जाती थी। एक बार स्टेडियम में हॉकी कोच निशा बाजपेई ने मेरा खेल देखा। फिर स्कूल आकर प्रिंंसिपल और घर आकर पापा से कहा कि इस बच्ची को आगे लेकर जाना है। पापा ने कहा कि अकेले कैसे भेजेंगे? निशा मैम ने कहा- मैं खुद वापस छोडूंगी। तब पापा भेजने को तैयार हुए। उन्होंने हॉकी सही से पकड़ना सिखाया। फिर केडी ¨सह बाबू स्टेडियम में हॉकी ग‌र्ल्स टीम की कोच और वार्डन बुला गांगुली ने भी खेलने के तरीके सिखाए। दो साल बाद निशा बाजपेई मैम भी लखनऊ कोच बनकर आईं। दोनों की मेहनत की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेली। जब भी लखनऊ जाती हूं, दोनों कोच से जरूर मिलती हूं। - गीता अरोड़ा शर्मा, कोच, पूर्वोत्तर रेलवे महिला हॉकी टीम 

गुरु को साष्टांग प्रणाम ही करें 

बालाजी ज्योतिष संस्था के ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्मा के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को व्यास पूजा गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाई जाती है। गुरु परंपरा की सिद्धि के लिए परब्रह्म, ब्रह्मा, शक्ति, व्यास, शुकदेव, गौढ़पद, गो¨वद स्वामी, शंकराचार्य का नाम मंत्र से अवाहनादि पूजन करके अंत में अपने दीक्षा गुरु का देव तुल्य पूजन करना चाहिए। इस दिन सुबह स्नानादि दैनिक कर्मो से निवृत्त होकर प्रभु पूजा, गुरु की सेवा में उपस्थित होकर उन्हें उच्च आसन पर बैठाकर पुष्प माला अर्पित करें। फिर संकल्प करके षोडशोपचार से गुरु का पूजन करें। गुरु ब्रह्मा गुरुविष्णु: गुरुदेव महेश्वर:। गुरु साक्षात परब्रह्म तस्मैश्री गुरवे नम:। मंत्र का जाप करें। खास बात, इस बार कोरोना महामारी के चलते घर में गुरु का चित्र सामने रखकर संकल्प लेकर ही पूजा करना उचित होगा। आशीर्वाद लेने के लिए केवल साष्टांग प्रणाम करें, चरण स्पर्श न करें।


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