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सूदखोर का जंजाल : एक बार जाल में फंसे तो मौत पर जाकर जान छूटे Bareilly News

सूदखोर के जाल में ऐसे फंसे कि दो लाख के बदले चार लाख रुपये दे चुके थे इसके बावजूद उनसे और रुपये मांगे जा रहे थे। परेशान हरी प्रसाद को मौत अपनाने के अलावा कुछ नहीं सूझा।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Fri, 30 Aug 2019 08:51 AM (IST)Updated: Fri, 30 Aug 2019 10:13 PM (IST)
सूदखोर का जंजाल : एक बार जाल में फंसे तो मौत पर जाकर जान छूटे Bareilly News
सूदखोर का जंजाल : एक बार जाल में फंसे तो मौत पर जाकर जान छूटे Bareilly News

बरेली, जेएनएन : बुधवार को बीडीए कॉलोनी में रहने वाली हरी प्रसाद ने एसएसपी ऑफिस पहुंचकर जान दे दी थी। जहर खा लिया। वजह...सूदखोर के जाल में ऐसे फंसे कि दो लाख के बदले चार लाख रुपये दे चुके थे, इसके बावजूद उनसे और रुपये मांगे जा रहे थे। परेशान हरी प्रसाद को मौत अपनाने के अलावा कुछ नहीं सूझा। सूदखोरों के जाल में ऐसे कई लोग फंसे जो बाहर नहीं निकल सके...आखिरकार मौत पर जाकर ही छूटे। 

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सबकुछ ठीक चल रहा था कि अचानक 

हमारे बड़े भाई थे हेमंत। नगर निगम में संविदा पर सफाई कर्मचारी की नौकरी मिल गई थी। सबकुछ ठीक चल रहा था। वर्ष 2017 में उन्हें कुछ रुपयों की जरूरत हुई। उन्होंने नगर निगम में एक शख्स से रुपये उधार ले लिए। हर महीने ब्याज देना होता था, वह देते रहे। एक साल के अंदर दोगुनी से ज्यादा रकम वापस कर चुके थे इसके बावजूद सूदखोर उनसे और रुपये मांगता। हेमंत तनाव में रहने लगे। हम लोगों को तो कुछ बताया तक नहीं। दो अक्टूबर को वह घर आए तो पैर लड़खड़ा रहे थे। उल्टियां आ रहीं थीं। पता चला कि उन्होंने जहर खा लिया है। तुरंत डॉक्टरों को दिखाया, हर संभव कोशिश की मगर उनकी जान नहीं बचा सके। बाद में पता चला कि सूदखोर से परेशान होकर उन्होंने खुदकशी कर ली थी।

वाकया सुनाते हुए प्रेमनगर के जाटवपुरा निवासी हेमंत के भाई अंकित की आंखें भर आईं। कहने लगे, सूदखोर का जाल फैला हुआ है। एक बार जो फंस गया, फिर बाहर नहीं निकल पाता।

तीन बेटियों का हंसता खेलता परिवार उजड़ गया

हेमंत की पत्नी संगीता को अब ससुरालियों का सहारा है। उनकी तीन बेटी हैं। बड़ी बेटी आशू सातवीं की छात्रा है। जबकि दूसरे नंबर की बेटी आन्या तीसरी क्लास में पढ़ती हैं। तीसरी बेटी एनसी में पढ़ाई कर रहे हैं। हेमंत के बारे में बात करनी चाही तो उनके आंसू बहने लगे। बोलीं, हंसता-खेलता परिवार था, जो सूदखोर की भेंट चढ़ गया। ससुर हरीबाबू व देवर अंकित पूरे परिवार की देखभाल करते हैं। तीन बेटियां हैं, बड़े होने पर उनके हाथ पीले करने की चिंता सताती रहती है।

अपील के बाद भी नहीं मिली नौकरी

संगीता ने बताया कि उन्होंने पति की मौत के बाद नौकरी के लिए निगम में प्रार्थनापत्र दिया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। पति को खो चुकीं, अगर नौकरी लग जाती तो परिवार को खर्च आराम से चलता।

नगर निगम और रेलवे में बड़ा रैकेट

शहर में सूदखोरों का बड़ा कारोबार है। नगर निगम और रेलवे में बड़ा रैकेट है जोकि पहले तो जरूरतमंदों को रुपये देता है। बाद में ब्याज पर ब्याज लगाकर दोगुनी-चार गुनी रकम वसूलकर भी पीछा नहीं छोड़ता।

बंगले से लेकर लग्जरी वाहनों के मालिक बने सूदखोर

नगर निगम के कुछ कर्मचारी बताते हैं कि सूदखोरी इस कदर है कि पूरा रैकेट साल में छह-सात करोड़ रुपये इधर-उधर कर देता है। सूदखोरों ने बड़े बंगले बनवा लिए। सूदखोरों के जाल में फंसे पीडि़तों ने कई बार शिकायत की मगर पुलिस उनकी जगह सूदखोरों का ही पक्ष लेती है। सूद की मोटी कमाई से चंद नोट पर ही पुलिसकर्मी उनकी ही बोली बोलने लगते हैं।

मकान पर दिलाया कब्जा

सूदखोर ने जिस मकान को हरिप्रसाद मीणा से अपने नाम लिखा लिया था। पुलिस ने उस मकान का कब्जा हरिप्रसाद के बच्चों को दिला दिया। हरिप्रसाद का शव उसी मकान पर ले जाया गया। मकान के नाम पर महज एक कमरा व आंगन है। बड़े बेटे संजय ने बताया कि अशोक व राजीव ने एक बेड भी उनसे लेकर अपने कब्जे में ले लिया था। जिसे इसी कमरे में बंद करके रखा गया था। बावजूद इसके उसकी रुपयों की डिमांड खत्म नहीं हुई।

सूदखोरी के आरोपित रिटायर्ड दारोगा समेत दो को भेजा जेल

पोस्टमार्टम के बाद हरिप्रसाद मीणा की लाश बीडीए कालोनी उनके घर पहुंची तो परिवार में कोहराम मच गया। इंस्पेक्टर सुभाष नगर भी घर पहुंच गए। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शव का अंतिम संस्कार हुआ। पुलिस ने आरोपित अशोक व राजीव सक्सेना के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें बुधवार रात गिरफ्तार कर लिया। गुरुवार को दोनों को जेल भेज दिया गया। पुलिस ने मुकदमे में आत्महत्या के लिए मजबूर करने की धारा 306 भी बढ़ा दी।

करगैना स्थित बीडीए कालोनी निवास पर मृतक हरिप्रसाद का यही वो कमरा है जिसे पुलिस वाले ने कब्जे में ले रखा था। जागरण

बीडीए कॉलोनी में रहने वाले फर्नीचर कारोबारी हरिप्रसाद मीणा ने सूदखोर रिटायर्ड दारोगा व उसके रिश्तेदार से तंग आकर बुधवार दोपहर को एसएसपी आफिस में जहर खा लिया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी। हरिप्रसाद के पांच लड़के हैं। सभी सोफा बनाने का काम करते हैं। एक लड़की है जिसकी शादी अलीगढ़ में हुई है। पिता के शव को देखकर सभी का रो-रोकर बुरा हाल था। हरिप्रसाद का एक लड़का देवेन्द्र दिल्ली से गुरुवार देर शाम यहां पहुंचा। इसके बाद शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया। कहीं कोई हंगामा न हो इसके लिए इंस्पेक्टर सुभाष नगर हरीश चंद्र जोशी दोपहर में ही मृतक के घर पहुंच गए। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शव का देर शाम दाह संस्कार हुआ।

एक दिन पहले आ जाता देवेंद्र तो बच जाते हरिप्रसाद

हरिप्रसाद मीणा का एक लड़का देवेंद्र दिल्ली में फर्नीचर का काम करता है। वह एक दिन पहले ही आने वाला था। उसने मां-बाप को दिल्ली में अपने साथ रखने की बात बड़े भाई से कही थी। वह घर से चल भी दिया था लेकिन आ नहीं पाया। अगर देवेंद्र एक दिन पहले आ जाता तो शायद हरिप्रसाद उसके साथ दिल्ली चले जाते और उनकी जान बच जाती।


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