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पीलीभीत में 'गांधी युग' पीछे छूटा, न वरुण और न ही मेनका; नए अध्याय की राजनीति पर क्या कहती है यहां की जनता

Lok Sabha Election 2024 सुनिए भाई साहब... यह पीलीभीत है। इसने अलग भाषा-संस्कृति वाले उत्तराखंड-नेपाल की सीमाओं को जोड़ा है। जल-जंगल की विविधता को प्राकृतिक सौंदर्य में पिरोया है। यह अपनाना-निभाना जनता है और समय के साथ चलना भी। पीलीभीत लोकसभा सीट वरुण गांधी का टिकट कटने के बाद यहां सियासी हलचल तेज है। पढ़ें क्या कहती है पीलीभीत की जनता...

By Abhishek Pandey Edited By: Abhishek Pandey Published: Thu, 04 Apr 2024 10:17 AM (IST)Updated: Thu, 04 Apr 2024 10:17 AM (IST)
पीलीभीत में 'गांधी युग' पीछे छूटा, न वरुण और न ही मेनका

अभिषेक पांडेय, पीलीभीत। (Lok Sabha Election 2024) सुनिए भाई साहब... यह पीलीभीत है। इसने अलग भाषा-संस्कृति वाले उत्तराखंड-नेपाल की सीमाओं को जोड़ा है। जल-जंगल की विविधता को प्राकृतिक सौंदर्य में पिरोया है। यह अपनाना-निभाना जनता है, और समय के साथ चलना भी।

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असम चौराहा पर फल के ठेले के पास खड़े शिवकुमार सूर्य की चौंध को हथेलियों के पीछे छिपाकर बात जारी रखते हैं- आप जिले की राजनीति के बारे में क्या जानना चाहते हैं ?

35 वर्ष बाद यह नए अध्याय की ओर बढ़ रही है। इस लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी (Maneka Gandhi) या वरुण गांधी (Varun Gandhi) के नाम वाले नारे नहीं सुनाई दे रहे मगर, मैदान तो सजा ही है। इन्हीं में कोई एक सांसद बनेगा।

एक लाइन के सवाल पर व्यापारी शिवकुमार 10 मिनट अनवरत बोलते रहे। जिले के राजनीतिक समीकरण उनकी हथेली पर रखे थे और जातिगत गणित अंगुलियों पर। उनका अंदाज यहां के मतदाताओं की हाजिर जवाबी का हस्ताक्षर था, जो राजनीति से दूर नहीं भागता, साथ चलता है।

वह अनुमान जताते गए कि भाजपा प्रत्याशी जितिन प्रसाद की दौड़ कहां तक हो सकती है, सपा प्रत्याशी भगवत सरन गंगवार के दौड़ने की गति क्या होगी और बसपा के अनीस अहमद किसे टंगड़ी लगाकर बढ़ना चाह रहे। मतदाता की हाजिर जवाबी का प्रमाण चौराहे से 15 किमी दूर न्यूरिया में भी मिला।

वहां कलीमुल्ला इच्छा जताते हैं कि गठबंधन को अवसर मिलना चाहिए मगर, राह आसान नहीं है। इसका कारण पूछने पर जवाब आता है ' सही बात तो यह है कि राजनीति वर्गों के बीच बंट चुकी। मुद्दों पर बात कोई नहीं करता।'

उनकी बात को 10 किमी दूर रुपपुर गांव में बैठे अनिल गंगवार इस तरह खंडित करते हैं ' बताइए, किस मुद्दे पर बात करें। बाघों से सुरक्षा और बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में बचाव का स्थायी समाधान चाहिए मगर, यह चुनाव के दौरान तो हो नहीं जाएगा। मजबूत सांसद तो बनने दीजिए, उन्हें केंद्र से ताकत मिलेगी तभी तो मुद्दे हल होंगे। अब तक हो हुआ, उसे भूलना पड़ेगा।'

वह सरकार की योजनाएं गिनाकर गांव की ओर इशारा करते कि वहां देख आइए। किसी का कच्चा घर नहीं बचा, सब आवास योजना में पक्के हो गए हैं। औरतें चूल्हा फूंकने के लिए जंगलों में लकड़ियां नहीं तलाश रहीं। शहर वापस आने पर स्‍टेशन चौराहा के पास भी कई लोग इसी तरह चुनावी चर्चा करते दिखते हैं।

जिले का राजनीतिक परिदृश्य

इस क्षेत्र से मेनका गांधी पहला चुनाव 1989 में जीतीं, तब से छह बार सांसद बनीं। वर्ष 2009 और 2019 में उनके बेटे वरुण गांधी विजयी हुए थे। जीत के कुछ समय बाद वरुण गांधी सरकार को असहज करने वाले सवाल करने लगे।

सभाओं के मंच तो कभी इंटरनेट मीडिया पर उनके तेवर देखकर स्थानीय भाजपा नेता आसमान की ओर ताककर रह जाते थे। इस बार टिकट की बारी आई तो नेतृत्व ने उनके बजाय प्रदेश के लोक निर्माण विभाग मंत्री जितिन प्रसाद को प्रत्याशी बना दिया।

जितिन पड़ोसी जिला शाहजहांपुर के राजनीतिक परिवार से हैं। कांग्रेस से राजनीति शुरू कर दो बार सांसद रह चुके। वर्ष 2021 में भाजपा में शामिल होने के बाद से प्रदेश सरकार में मंत्री हैं।

सपा ने पड़ोसी जिले बरेली के नवाबगंज से पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार को मैदान में उतारा है। इस क्षेत्र में वर्ष 1991 में भाजपा के परशुराम गंगवार चुनाव जीते थे, दो बार गंगवार प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रह चुके हैं। सपा जातिगत कार्ड के सहारे है मगर, भाजपा ने इसकी काट के लिए प्रदेश के गन्ना राज्यमंत्री संजय गंगवार को आगे किया है। कुर्मी बहुल क्षेत्रों में उनके प्रवास हो रहे हैं।

बसपा ने पूर्व मंत्री अनीस अहमद को प्रत्याशी बनाया है। वह बीसलपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। भाजपाई उस ओर देखकर ठंडी सांस लेते हैं। वह भांपना चाहते हैं कि अनीस मुस्लिम मतों को कितना प्रभावित करेंगे, क्योंकि इस वोट बैंक पर तो सपा भी दावा करती है।

पिछले पांच चुनावों का मत प्रतिशत

वर्ष- भाजपा- सपा- कांग्रेस-बसपा

2019- 59.34- 37.81-(प्रत्याशी नहीं)

2014- 32.73- 22.85-1.75-18.68

2009- 32.03- 09.00- 10.54- 08.59

2004- 21.54- 12.89- 08.95-10.22

1999- 57.94- 07.86-00- 25.88

पिछले दो चुनावों का परिणाम

वर्ष 2019

विजेता- वरुण गांधी

दल - भाजपा

मत मिले- 704549

दूसरे स्थान पर- हेमराज वर्मा

दल- सपा

मत मिले- 448922

(अब हेमराज भाजपा में हैं।)

वर्ष 2014

विजेता- मेनका गांधी

दल- भाजपा

मत मिले - 546934

दूसरे स्थान पर - बुद्धसेन वर्मा

मत मिले- 239882

जिले की पहचान

जिले की पहचान टाइगर रिजर्व क्षेत्र में 72 से अधिक बाघ हैं। शारदा नदी किनारे चूका पिकनिक स्पाट पर्यटकों को आकर्षित करता है। जिले की सीमा नेपाल से जुड़ी है, जिसके आसपास बड़ी संख्या में शरणार्थी परिवार रहते हैं। यहां की बांसुरी देश-दुनिया में पहचान रखती है, जिसे ओडीओपी में भी शामिल किया गया है। तराई क्षेत्र होने के कारण कृषि सबसे बड़ा उद्यम है।

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