रिश्वत का खेल : 'साहब' के तंत्र में बाबुओं की 'बलि' Bareilly News
अधिकतर किसी न किसी विभाग का बाबू ही पकड़ा जाता हैं। जबकि गौर करने वाली बात है कि कोई भी काम बिना साहब के दस्तखत के नहीं होता। वह भी इसके बराबर के हिस्सेदार होते हैं!
जेएनएन, बरेली : पटल सहायक, कनिष्ठ लिपिक और वरिष्ठ लिपिक सहित ऐसे कई और पदों पर आसीन व्यक्ति को बाबू के नाम से ही जाना जाता है। कोई छोटे बाबू कहलाता है तो कोई बड़े बाबू। हमने इतनी भूमिका सिर्फ इसलिए बनाई क्योंकि इन दिनों बाबू काफी चर्चा में हैं। एंटी करप्शन टीम छापा मारती है तो पकड़े जाते हैं बाबू। एंटी करप्शन टीम ने दो वर्षों कुल चौदह कार्रवाई की हैं। इनमें अधिकतर किसी न किसी विभाग के बाबू पकड़े गए हैं। जबकि गौर करने वाली बात है कि कोई भी काम बिना साहब के दस्तखत के नहीं होता। वह भी इसके बराबर के हिस्सेदार होते हैं, लेकिन भ्रष्ट बाबू ही बनते हैं और साहब अपनी कॉलर साफ बचाते रहते हैं। यह बात सही है कि सभी एक जैसे नहीं होते, लेकिन कार्रवाई के बाद जो बातें सामने आतीं हैं वह साहब के साफ कॉलर में गंदगी होने का दावा करतीं हैं। यह दो मामले इसके उदाहरण हैं।
एआरएम की सह पर बाबू ले रहा था रिश्वत
सितंबर माह में एंटी करप्शन टीम ने रोडवेज के बाबू राजीव कुमार सक्सेना को 15 हजार की रिश्वत लेते पकड़ा था। इस मामले में एआरएम सतेंद्र कुमार वर्मा भी शामिल थे। एसीबी की टीम ने बाबू को पकडऩे के साथ एआरएम के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कराया था।
मिलकर खेल कर रहे थे लेखपाल-कानूनगो
वर्ष 2018 में किसान की शिकायत पर लेखपाल सत्यदेव और कानूनगो अमर सिंह को गिरफ्तार किया था। दोनों के खिलाफ बहेड़ी थाने में रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई थी। इसमें भी पूरा खेल कानूनगो का था लेकिन लेनदेन का जिम्मा लेखपाल को दे रखा था।
तलाशते हैं विभाग के सबसे मजबूत माध्यम
अधिकारी किसी से भी सीधे रुपये या रिश्वत नहीं लेते हैं। इसके लिए वह विभाग में सबसे मजबूत माध्यम की तलाश करते हैं। इसके बाद वह उसे जरूरी पटल देकर उसके माध्यम से खेल करते हैं। यही कारण है कि रिश्वत लेते बाबू ही पकड़े जाते हैं।
इस पर दर्ज कराए अपनी लिखित शिकायत
अगर कोई रिश्वत मांगता है तो आप उस पर कार्रवाई करा सकते हैं। इसके लिए बरेली स्थित भ्रष्टाचार निवारण इकाई में लिखित शिकायत करनी होगी। मोबाइल नंबर 9454401653 पर भी शिकायत कर सकते है।
ऐसे करती है एंटी करप्शन टीम अपनी कार्रवाई
शिकायत के बाद एंटी करप्शन टीम मामले को समझती है। इसके बाद रिश्वत तय रकम को एकत्र कर नोटों की संख्या नोट कर उन पर फिनाफ्थलीन पाउडर लगाया जाता है। इसके बाद जिलाधिकारी से दो सरकारी गवाह लेते हैं और तय स्थान पर शिकायतकर्ता के साथ पहुंचते हैं। बाद में टीम के सदस्य ऐसी जगह खड़े होते हैं जहां आरोपित दिखाई दे। इसके बाद शिकायतकर्ता के रुपये देते ही आरोपित को पकड़ लिया जाता है। बाद में सोडियम कार्बोनेट के घोल से आरोपित के हाथ धुलवाए जाते हैं। घोल का रंग गुलाबी होते ही यह साबित हो जाता है कि रिश्वत लेने वाला यही व्यक्ति है।
भ्रष्टाचार के मामले में एसीबी खुद करती विवेचना
भ्रष्टाचार करने वाले आरोपी को पकड़वाने के बाद शिकायतकर्ता स्वतंत्र हो जाता है। वह इस मामले में वादी भी नहीं बनता है। इसकी जांच खुद एसीबी की टीम ही करती है। दो सालों में किसी भी मामले में आरोपित छूट नहीं सके हैं।
भ्रष्टाचार हर जगह है, लेकिन लोग शिकायत करने से बचते हैं। अधिकारी कम इसलिए पकड़े जाते हैं क्योंकि वह बाबू को माध्यम बनाते हैं। लोग अगर शिकायत करें तो और भ्रष्टाचारी पकड़े जाएंगे। इसके लिए लोग मोबाइल नंबर पर भी संपर्क कर सकते हैं। - सुरेंद्र सिंह, इंस्पेक्टर, एसीबी