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अपनों के लिए भूल गए अपनी फिक्र, अस्पताल के बाहर पेड़ की छांव में काट रहे दिन, देखें बरेली के अस्पतालों की अव्यवस्था

किसी की मां तो किसी के पिता संक्रमित हैं। कोई पत्नी के लिए फिक्रमंद तो किसी की बेटी का ऑक्सीजन लेवल 90 से कम है। सभी को अपनों की फिक्र है अस्पताल में हलचल होते ही गेट के सामने पहुंच जाते हैं। स्वजन को फोन लगाने लगते हैं।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Mon, 03 May 2021 08:10 AM (IST)Updated: Mon, 03 May 2021 08:10 AM (IST)
अपनों के लिए भूल गए अपनी फिक्र, अस्पताल के बाहर पेड़ की छांव में काट रहे दिन, देखें बरेली के अस्पतालों की अव्यवस्था
अस्पताल की अव्यवस्थाओं को देखते हुए स्वजनों को न हो तकलीफ इसलिए रुक रहे स्वजन।

बरेली, जेएनएन। किसी की मां तो किसी के पिता संक्रमित हैं। कोई पत्नी के लिए फिक्रमंद तो किसी की बेटी का ऑक्सीजन लेवल 90 से कम है। सभी को अपनों की फिक्र है, अस्पताल में हलचल होते ही गेट के सामने पहुंच जाते हैं। स्वजन को फोन लगाने लगते हैं। पूछते हैं वहां सब ठीक है, आपकी ऑक्सीजन तो चल रही है। यह कुछ नजारे हैं जो तीन सौ बेड कोविड अस्पताल में रविवार को देखे गए। कई ऐसे लोग मिले जो अपनों के लिए अपनी फिक्र भूल गए। अस्पताल के अंदर रुकने नहीं दिया गया तो बाहर ही पेड़ की छांव में खुले आसमान के नीचे डेरा जमा लिया। यहीं से अस्पताल में भर्ती अपने स्वजनों की देखभाल के लिए पूरी तरह मुस्तैद हैं।

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पत्नी की फिक्र में बेटी संग तीन दिन से रुके

शहर के राजेंद्र नगर निवासी डीसी भंज रबर फैक्ट्री में नौकरी करते थे। रबर फैक्ट्री बंद होने के बाद किसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं। एक बेटा और बेटी के साथ पति पत्नी का किसी तरह गुजारा हो रहा है। कुछ दिन पहले परिवार के सभी लोगों की तबीयत खराब हुई। डॉक्टर ने कोरोना जांच कराने की बात कही। जांच कराई तो शुगर की बीमारी से जूझ रहीं डीसी भंज की पत्नी पॉजिटिव आईं। ऑक्सीजन लेवल कम था तो तीन सौ बेड कोविड अस्पताल में भर्ती करा दिया। यहां अव्यवस्थाएं देखीं तो डीसी भंज का उन्हें छोड़कर जाने का मन नहीं हुआ। घर से एक चादर मंगाई और अस्पताल के बाहर ही एक किनारे चादर डालकर तीन दिन से डटे हैं। उनकी बेटी भी उनके साथ है। कभी पत्नी को दूर से देख आते हैं तो कभी फोन पर बात हो जाती है। सुकून है कि कैसे भी हैं लेकिन पत्नी के पास हैं।

दूर से ही सही, पिता के पास तो हैं

जाटवपुरा निवासी हिना भी तीन सौ बेड कोविड अस्पताल के बाहर एक किनारे चादर डाले बैठी हुई थी। आसपास पड़े मास्क और गंदगी का ढेर उसे कतई विचलित नहीं कर रहा था। उसे फिक्र थी अपना पिता की। हिना ने बताया कि छह दिन से पिता भर्ती हैं हर रोज कोई न कोई दिक्कत बनी ही रहती है। रविवार को ऑक्सीजन खत्म हो गई तो परेशान हो गए, बाद में ऑक्सीजन का इंतजाम हो गया। बताया कि कभी घर से खाना लाकर पहुंचा देती है तो कभी यहीं इंतजाम हो जाता है। बताया कि मां भी बीमार है। कभी कभार भाई आ जाता है, वह साथ बना रहता है।

प्रतिदिन नहीं हो रही सफाई लगा गंदगी का ढेर

तीन सौ बेड अस्पताल में इन दिनों सबसे अधिक मरीज भर्ती हैं। प्रशासन यहां सभी इंतजाम करने का दावा करता है।मरीजों की देखभाल और खाने पीने से जुड़े कई इंतजाम किए भी गए हैं। लेकिन यहां गंदगी का ढेर लगा हुआ है। अस्पताल भवन के आसपास पड़ी जगह पर जगह जगह इस्तेमाल किए गए मास्क व अन्य कोविड सामग्री पड़ी हुई है। मरीजों के मजबूर स्वजनों को मजबूरी में यहां ही दिन रात गुजारने पड़ रहे हैं।सीएमएस डा. वागीश वैश्य ने बताया कि अस्पताल की तो साफ सफाई प्रतिदिन होती है। बाहरी परिसर में अगर गंदगी है तो इसका निरीक्षण कर तत्काल सफाई कराई जाएगी। कोविड बॉयोवेस्ट के लिए तो कंपनी की गाड़ी भी आती है। परिसर की साफ सफाई पर और गंभीरता से ध्यान दिया जाएगा।


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