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Food Gain Purchase Scam : जांच उनको ही, जिनके सामने हुआ था गोलमाल

सरकार के कंज्यूमर अफेयर फूड एंड डिस्टिब्यूशन की क्वालिटी कंट्रोल सेल ने जब प्रदेशभर के एफसीआइ गोदामों से गेहूं व चावल के नमूने लिए तो उस समय डीपी शुक्ला बतौर महाप्रबंधक थे।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 07 Jan 2019 01:19 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jan 2019 01:30 PM (IST)
Food Gain Purchase Scam : जांच उनको ही, जिनके सामने हुआ था गोलमाल

बरेली, जेएनएन। प्रदेश भर में भारतीय खाद्य निगम(एफसीआइ) के गोदामों में खराब खाद्यान्न खरीद घोटाले की जांच तो मंत्रलय ने बैठा दी लेकिन, जिम्मेदारों को बचाने के लिए खेल भी शुरू हो गया है। प्रदेश भर में जिन महाप्रबंधक की नाक के नीचे गोलमाल हुआ, उन्हें ही नमूने भरने व जांच करने वाले क्वालिटी कंट्रोल (क्यूसीआइ) विभाग की जिम्मेदारी सौंप दी है। ऐसे में निष्पक्ष जांच और कार्रवाई पर सवाल खड़े हो गए हैं।

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भारत सरकार के कंज्यूमर अफेयर फूड एंड डिस्टिब्यूशन की क्वालिटी कंट्रोल सेल ने जब प्रदेशभर के एफसीआइ गोदामों से गेहूं व चावल के नमूने लिए तो उस समय डीपी शुक्ला बतौर उत्तर में महाप्रबंधक थे। उन्हीं के कार्यकाल में सभी नमूने फेल हुए। गोदामों में करीब 33 करोड़ के 163620 क्विंटल घटिया खाद्यान्न पाया गया। बरेली के गोदामों का सवा सात करोड़ का घटिया गेहूं व चावल शामिल था।

जागरण की पड़ताल के बाद शुरू हुई जांच

करीब पांच माह तक मामला फाइलों में दबा रहा लेकिन, दैनिक जागरण के खुलासे पर खलबली मच गई। खराब खाद्यान्न खरीदने की गूंज मंत्रलय तक पहुंची तो नोएडा उत्तर आंचलिक कार्यालय को जांच सौंपी गई। कार्रवाई की जद में आला अफसरों के आते ही विभाग में खलबली मच गई। साथ ही आला अधिकारियों की गर्दन बचाने का खेल भी शुरू हो गया। इस मामले में आनन-फानन इंद्र कुमार नेगी को हटाकर उप्र महाप्रबंधक डीपी शुक्ला को उत्तर आंचलिक कार्यालय नोएडा के क्वालिटी कंट्रोल सेल में लगा दिया गया।

504 में से 101 नमूने हुए थे फेल

एफसीआई ने चालू वित्तीय वर्ष में प्रदेशभर के गोदामों के लिए लाखों कुंतल गेहूं व चावल विभिन्न खरीदा था। मई में भारत सरकार के कंज्यूमर अफेयर फूड एंड डिस्टिब्यूशन की क्वालिटी कंट्रोल सेल ने शाहजहांपुर, बरेली, सहारनपुर, मुरादाबाद, फैजाबाद, गोरखपुर, आजमगढ़ के गोदामों में छापेमारी करके गेहूं व चावल के 504 नमूने जांच के लिए भरे। इनमें से 72 गेहूं व 29 चावल समेत कुल 101 नमूने जांच में फेल हुए।

बरेली परिक्षेत्र के पांच गोदामों के 27 नमूने हुए फेल

बरेली परिक्षेत्र के पांच एफसीआइ गोदामों में 136 नमूने भरे गए। इनमें गेहूं के 41 व चावल के 95 नमूने थे। जांच में 18 गेहूं व नौ चावल के नमूने निर्धारित माप दंड से बाहर पाए गए। इन नमूनों की लाट में रखा 2395 मीटिक टन गेहूं व 1274 मीटिक टन चावल गुणवत्ता परक नहीं मिला।

अनाज वापसी शुरू

आइएएस अधिकारी वीना कुमार ने बताया कि भारतीय खाद्य निगम के गोदामों से लिए गए फेल हुए नमूनों के अनाज की वापसी प्रारंभ हो गई है। एफसीआइ ने राज्य की एजेंसियों के माध्यम से अनाज की खरीद की थी। अनाज की गुणवत्ता में गड़बड़ी पाए जाने पर उनकी जानकारी दी गई। घटिया अनाज को वापस कराया जा रहा है। भारतीय खाद्य निगम की तरफ से केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रलय की जांच में फेल अनाज के नमूनों की फिर से जांच कराई जा रही है। स्वास्थ्य के लिहाज के बेहद खराब अनाज की पहचान हो सके।

गोदामों में 163620 क्विंटल अनाज होने का अनुमान

केंद्रीय खाद्य व आपूर्ति मंत्रलय की क्वालिटी कंट्रोल टीम की ओर से गोदाम में जिस लॉट से नमूना एकत्र किया गया, वहां करीब 163620 क्विंटल अनाज होने का अनुमान है। जिसकी कीमत अनुमानत: 33 करोड़ रुपये है। जांच में गुणवत्ता से खराब अनाज पाए जाने के बाद मंत्रलय की तरफ से अनाज को नष्ट करने व जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। दिल्ली मुख्यालय ने उत्तर प्रदेश का मामला होने से नोएडा सेक्टर 24 स्थित भारतीय खाद्य निगम (उत्तर आंचल) के कार्यकारी निदेशक को कार्रवाई के लिए लिखा। मंत्रलय की तरफ से लगातार पत्र व मेल आने के बाद भी भारतीय खाद्य निगम ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस मामले को दैनिक जागरण ने उजागर किया था।

बरेली परिक्षेत्र में भी नहीं हटाए कर्मी

जिन गोदामों में खराब खाद्यान्न मिलता है, वहां के कर्मचारियों की जवाबदेही तय करते हुए नियमानुसार उन्हें हटाया जाता है। बरेली परिक्षेत्र में अभी तक ऐसी कोई कार्रवाई सामने नहीं आई है। जबकि अफसर जांच का राग अलाप रहे हैं। ऐसे में उनकी भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है।

अभी कार्रवाई नहीं

एफसीआइ के एरिया मैनेजर अखिलेश्वर ओझा ने बताया कि क्यूसीआइ की रिपोर्ट के बाद एफसीआइ गोदामों में मिले खराब खाद्यान मामले की उच्च स्तरीय जांच की जा रही है। फिलहाल बरेली परिक्षेत्र में अभी किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। 


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