बरेली में लालफाटक ओवरब्रिज को रक्षा मंत्रालय की एनओसी
बरेली-बदायूं रोड पर निर्माणाधीन लालफाटक ओवरब्रिज को तीन साल की जिद्दोजहद के बाद रक्षा मंत्रालय की एनओसी मिल गई। रक्षा मंत्रालय से वर्किंग परमिशन की औपचारिकता पूरी होने का संदेश कमिश्नर रणवीर प्रसाद तक पहुंच गया।
बरेली, जेएनएन: बरेली-बदायूं रोड पर निर्माणाधीन लालफाटक ओवरब्रिज को तीन साल की जिद्दोजहद के बाद रक्षा मंत्रालय की एनओसी मिल गई। रक्षा मंत्रालय से वर्किंग परमिशन की औपचारिकता पूरी होने का संदेश कमिश्नर रणवीर प्रसाद तक पहुंचने के बाद प्रबल संभावना हो गई कि ओवरब्रिज 6-7 माह में तैयार हो जाएगा।
दरअसल सेना के अधिपत्य में आने वाली जमीन पर फंसे पेच की वजह से सेतु निगम के तीन पिलर नहीं बन पा रहे थे। अगस्त 2017 में शुरू हुए ओवरब्रिज को मार्च 2020 में पूरा करना था। ओवरब्रिज के लिए सेतु निगम को कैंट एरिया में करीब 6500 वर्गमीटर भूमि की जरूरत थी। कमिश्नर रणवीर प्रसाद के निर्देश पर एसडीएम सदर ईशान प्रताप सिंह ने लालफाटक पर जमीन अधिग्रहण के लिए सर्वे कराया। रिपोर्ट में करीब 4500 वर्गमीटर जमीन कैंट बोर्ड और बाकी 2000 वर्गमीटर जमीन सेना की मिली थी। इस भूमि के मूल्य के बराबर प्रशासन द्वारा दूसरी जगह जमीन देने पर रजामंदी बनी, लेकिन लेटलतीफी के चलते एस्टीमेट रिवाइज करना पड़ा। 955 मीटर लंबे इस पुल के लिए 2017 में 82.5 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे। अब शासन ने इसे बढ़ाकर 96.67 करोड़ कर दिया।
रेलवे की लापरवाही में होगा सुधार
सेतु निगम ने बदायूं रोड की तरफ पीडब्ल्यूडी के हिस्से वाली सड़क पर ओवरब्रिज का निर्माण तकरीबन पूरा कर दिया। रेलवे ने दोनों क्रासिग शिफ्ट कर ली। अब रेलवे आरओबी का निर्माण करा रहा था। रेलवे को अपने हिस्से में पांच पिलर भी तैयार कराने है। निर्माण की सुस्त रफ्तार को लेकर अधिकारियों ने रेल मंत्रालय को भी पत्र लिखा है।
केंद्रीय मंत्री, आंवला सांसद, डीएम की मजबूत पैरवी आई काम
रक्षा संपदा अधिकारी और सेना के अधिकारियों की तरफ से सहमति प्रशासन को मिल चुकी थी, लेकिन रक्षा मंत्रालय की तरफ से एनओसी नहीं मिलने से निर्माण अधूरे थे। इसके लिए केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने मजबूत पैरवी की। आंवला सांसद धर्मेंद्र कश्यप ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी। डीएम नितीश कुमार ने रक्षा मंत्री से फोन पर एनओसी जल्दी दिलाने के लिए लंबी पैरवी की।
एनओसी मिलने से होंगे ये फायदे
- सेतु निगम कैंट बोर्ड की जमीन पर एप्रोच रोड के साथ तीन पिलर तैयार कराएगा। इन पिलर पर छत डलवाएगा।
- रेलवे अपने हिस्से में आरओबी और बदले हुए डिजाइन के साथ पांच पिलर तैयार कराएगा।
ओवरब्रिज एक नजर में
2017 अगस्त में शुरू हुआ निर्माण
2020 मार्च तक होना था पूरा
6500 वर्गमीटर भूमि की जरूरत सेतु निगम को कैंट एरिया में
955 मीटर पुल की लंबाई
82.50 करोड़ रुपये 2017 में हुए थे मंजूर
96.67 का रिवाइज एस्टीमेट
वर्जन
रक्षा मंत्रालय से वर्किंग परमिशन मिल गई है। औपचारिक पत्र भी जल्दी आ जाएगा। इसके बाद रेलवे और सेतु निगम एक साथ निर्माण कर सकेंगे।
- रणवीर प्रसाद, कमिश्नर