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संसाधनों के अभाव में प्रभावित नहीं होगी बच्चों की पढ़ाई, बरेली में पहुंची 18 लाख से अधिक पुस्तकें

कोविड संक्रमण के चलते परिषदीय स्कूल बंद हैं। बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए आनलाइन कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। लेकिन संसाधनों के अभाव में 90 फीसदी बच्चे इससे दूर हैं। ऐसे में शिक्षकों का मानना है कि अगर बच्चों को नए सत्र की किताबें मिल जाती हैं

By Ravi MishraEdited By: Published: Mon, 19 Jul 2021 04:20 PM (IST)Updated: Mon, 19 Jul 2021 04:20 PM (IST)
संसाधनों के अभाव में प्रभावित नहीं होगी बच्चों की पढ़ाई, बरेली में पहुंची 18 लाख से अधिक पुस्तकें
संसाधनों के अभाव में प्रभावित नहीं होगी बच्चों की पढ़ाई, बरेली में पहुंची 18 लाख से अधिक पुस्तकें

बरेली, जेएनएन। : कोविड संक्रमण के चलते परिषदीय स्कूल बंद हैं। बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए आनलाइन कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। लेकिन संसाधनों के अभाव में 90 फीसदी बच्चे इससे दूर हैं। ऐसे में शिक्षकों का मानना है कि अगर बच्चों को नए सत्र की किताबें मिल जाती हैं तो उनको घर में रहते हुए पढ़ने में आसानी होगी। जिले में भले ही पिछले माह से किताबें पहुंचनी शुरू हो गयी हों। लेकिन, अभी तक बच्चों के हाथों में किताबें नहीं आई हैं। यह स्थिति तब है जब शासन ने हर हाल में जुलाई में बच्चों को किताबें उपलब्ध कराने का दावा किया था। बच्चों की पढ़ाई को जारी रखने के लिए शिक्षकों से जितना हो सकता है वे प्रयास कर रहे हैं। बच्चों से पुरानी किताबें लेकर पिछली कक्षा के बच्चों को असाइनमेंट दे रहे हैं।

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बेसिक शिक्षा परिषद के बच्चों को विभाग की तरफ से निशुल्क किताबें उपलब्ध कराई जाती हैं। नया सत्र अप्रैल में शुरू हो गया था, चार महीने होने आए अभी तक विभाग बच्चों को किताबें उपलब्ध नहीं करा पाया है। जिले में करीब साढ़े तीन लाख बच्चे परिषदीय विद्यालयों में अध्यनरत हैं। कोरोना काल में आनलाइन के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई कराई जा रही है। मिशन प्रेरणा के तहत ई- पाठशाला संचालित कर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। इसके माध्यम से बच्चों को ई-कंटेंट उपलब्ध कराए जा रहे हैं। दूरदर्शन पर कक्षाएं प्रसारित की जाती हैं। दीक्षा एप के माध्यम से भी आडियो-वीडियो ई-कंटेंट उपलब्ध कराए जा रहे हैं, लेकिन परिषदीय विद्यालयों के बच्चों के पास ऐसे संसाधन नहीं हैं जिसके माध्यम से वे ई-पाठशाला का लाभ उठा सकें। विभागीय गणना के मुताबिक केवल दस फीसदी छात्र ही आनलाइन माध्यम से जुड़े हैं। बाकी सभी बच्चे आनलाइन पाठशाला से दूर हैं। ऐसे में बच्चों को किताबों की बेहद जरूरत महसूस की जा रही है।

किताब के लिए स्कूल आते हैं बच्चे

प्राथमिक विद्यालय सूफी टोला में सहायक अध्यापक ने बताया कि नई किताबों की चाह लेकर बच्चे विद्यालय में आ रहे हैं। बताया कि अपने स्तर से काफी बच्चों को पुरानी किताबें उपलब्ध कराई गई हैं। अभिभावकों को बुलाकर अगली कक्षा में गए बच्चों की पुरानी किताबें उपलब्ध कराई गई। अभिभावकों को बुलाकर असाइनमेंट और वर्कशीट दी जा रही है। लेकिन अभिभावक भी पूछते हैं कि नई किताबें कब मिलेंगी ताकि बच्चे किताबों से पढ़ना शुरू कर सकें।

जिले में अब तक पहुंच चुकी 18 लाख किताबें

पुस्तक गोदाम कांधरपुर के गोदाम प्रभारी प्रवेश पांडे ने बताया कि जिले में अब तक करीब 18 लाख किताबें पहुंच चुकी हैं। अब सिर्फ दो लाख पुस्तक ही आनी बाकी हैं। किताबों को लगातार बीआरसी पर पहुंचाया जा रहा है। ताकि समय से विद्यालयों को पुस्तकें उपलब्ध हो सकें। जिला बेसिक शिक्षाधिकारी विनय कुमार ने बताया कि कुछ स्कूलों में किताबें पहुंचनी शुरू हो गयी हैं। जल्द ही सभी स्कूलों को पुस्तकें उपलब्ध हो जाएंगी। 


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