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बरेली का शिक्षा विभाग एक भी शिक्षक की मौत कोरोना संक्रमण से नहीं मान रहा, कोविड पोर्टल पर नहीं एक भी नाम

प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों की मौत को लेकर हाहाकार मचा हुआ है।शिक्षक संगठन सरकार को हर रोज घेर रहे हैं। शासन से जारी पत्र के अनुसार बेसिक शिक्षा विभाग ने पंचायत चुनाव की ड्यूटी के बाद कुल तीन शिक्षकों की ही मौत कोविड से होना माना था।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Sat, 29 May 2021 08:30 AM (IST)Updated: Sat, 29 May 2021 08:30 AM (IST)
बरेली का शिक्षा विभाग एक भी शिक्षक की मौत कोरोना संक्रमण से नहीं मान रहा, कोविड पोर्टल पर नहीं एक भी नाम
पंचायत चुनाव के बाद से जिले में 36 शिक्षकों की हुई मौत, पोर्टल पर मौत दर्ज न कर छिपाए आंकड़े।

बरेली, (अंकित गुप्ता)। प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों की मौत को लेकर हाहाकार मचा हुआ है।शिक्षक संगठन सरकार को हर रोज घेर रहे हैं। शासन से जारी पत्र के अनुसार बेसिक शिक्षा विभाग ने पंचायत चुनाव की ड्यूटी के बाद कुल तीन शिक्षकों की ही मौत कोविड से होना माना था। लेकिन जिले का स्वास्थ्य विभाग तो इससे भी ऊपर है। वह एक भी शिक्षक की मौत कोविड से नहीं मानता। शायद यही वजह है कि विभागीय पोर्टल पर जिले के एक भी शिक्षक की मौत नहीं दर्शाई गई है, जबकि जिले में अब तक 36 शिक्षकों की मौत कोविड से हुई। उनके स्वजनों के पास कोविड पॉजिटिव की रिपोर्ट भी है, वहीं कुछ तो ऐसे थे, जिनकी मौत तीन सौ बेड अस्पताल में ही हुई।

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36 में 33 शिक्षकों के नाम अपलोड नहीं : पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने के बाद जिले में अब तक 36 शिक्षकों की कोविड संक्रमण के चलते मौत हो चुकी हैं। जिले में 15 अप्रैल को पंचायत चुनाव के लिए मतदान हुआ और इसके बाद से ही शिक्षकों की मौत होना शुरू हुई। जिले में पहले शिक्षक की मौत 18 अप्रैल को पुष्पा सक्सेना की हुई। पंचायत चुनाव के बाद उनकी हालत बिगड़ गई थी। बड़ी बात यह कि इन 36 में 33 शिक्षकों के नाम तो पोर्टल पर दर्ज ही नहीं है। जो तीन नाम दर्ज है वह भी कन्फर्म नहीं है कि शिक्षकों के ही हैं।सीएमओ डा. एस के गर्ग ने बताया कि अब तक जिन लोगों की मौत हुई है। उन सभी की मौत का डेटा पोर्टल पर चढ़ाया गया है। शिक्षकों की मौत का डेटा पोर्टल पर नहीं चढ़ाया गया, इसकी अभी जानकारी नहीं है। इसकी जानकारी की जाएगी।

इन शिक्षकों की हुई मौत : कंचन कनौजिया, नीतू सिंह, मीनू कौशल, शिखा श्रीवास्तव, पुष्पा सक्सेना, हरिओम सिंह, अनुज कुमार, अनिल सिंह, सोमपाल गंगवार, कोमल अरोड़ा, फरहा रईस, चंद्र पाल गंगवार, मोहित सिंह, महेंद्र पाल सागर,मोहम्मद अलीम, चंद्रपाल, मुकेश शुक्ला, विजय कुमार सिंह, राकेश चंद्र शर्मा, यासमीन सिद्दीकी, श्वेता शर्मा, प्रीति गोस्वामी, जलीस अहमद, भगवती चौहान, अजीत कुमार यादव, रितु द्विवेदी, सत्यपाल सिंह, ऋतुराज गर्ग, अंजू गंगवार, सतीश चंद्र गंगवार, जफर अहमद, कविता सेठी, यामिनी सक्सेना आदि शिक्षकों की मौत कोविड के चलते हुई।

स्वजनों की बात : राहुल श्रीवास्तव ने बताया कि उनकी पत्नी सहायक अध्यापिका शिखा श्रीवास्तव को गर्भवती होने के बावजूद चुनाव ड्यूटी के प्रशिक्षण में बुलाया गया। प्रशिक्षण के दौरान पत्नी संक्रमित हुई थीं। 23 अप्रैल को गंगाशील अस्पताल वह दुनिया को अलविदा कह गईं। विभाग माने न माने मेरी पत्नी की मौत कोविड की वजह से हुई, उसकी रिपोर्ट भी मेरे पास है। कमला सागर ने बताया कि चुनाव ड्यूटी करने के बाद ही उनके पति की तबीयत बिगड़ी। इसके बाद उनकी कोविड जांच कराई थी। पॉजिटिव आने के अगले दिन उनकी हालत बिगड़ी तो तीन सौ बेड अस्पताल में भर्ती कराया। जहां 27 अप्रैल को उनकी मौत हो गई। स्वास्थ्य विभाग भले अपने पोर्टल पर दर्ज न करे, हमारे पास कोविड रिपोर्ट है। 

शिक्षक संगठनों की बात : प्रा. शि. संघ के ब्लाक अध्यक्ष केसी पटेल का कहना है कि शिक्षकों की मौत का डेटा छिपाना गलत है। जब पोर्टल पर दर्ज ही नहीं करेंगे तो मानेंगे क्यों। शिक्षकों के साथ सरकार और स्वास्थ्य विभाग धोखा दे रही है।यूटा के मीडिया प्रभारी सतेंद्र सिंह ने बताया कि जिले में चुनाव ड्यूटी के बाद अब तक 36 शिक्षकों की मौत हुई है। शिक्षकों की मौत को कोविड पोर्टल पर न चढ़ाकर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग गलत कर रही है। ऐसे में शिक्षकों को सरकार से मिलने वाला मुआवजा कैसे मिलेगा। प्राथमिक शिक्षा संघ के जिलाध्यक्ष नरेश गंगवार ने बताया कि जिन शिक्षकों ने चुनाव ड्यूटी के दौरान संक्रमित होकर अपनी जान गवाई है, उसका प्रमाण हमारे साथ ही उनके परिवार वालों पर भी है। अगर सरकार मृतक शिक्षकों के साथ में नाइंसाफी करते हैं या हमारी मांगे पूरी नहीं करती है तो शिक्षक संगठन आंदोलन के लिए मजबूर होगा।  


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