Bareilly News: इंटरनेट के बढ़ते प्रयोग से वहम का शिकार हो रहे लोग, इस वजह से खुद को समझने लगते बीमार
जिला अस्पताल के मन कक्ष के मनोचिकित्सक डा. आशीष का कहना है कि सोमेटोफोम डिसआर्डर की प्रमुख वजह इंटरनेट है। यदि किसी भी व्यक्ति को पेट में भी दर्द होता है तो वह सबसे पहले इंटरनेट पर पेट दर्द की वजह ढूंढता है।
बरेली, (रजनेश सक्सेना)। आज के समय में बहुत ही कम ऐसे लोग होंगे जो इंटरनेट का प्रयोग न कर रहे हों। मगर यही इंटरनेट लोगों में वहम की बीमारी पैदा कर रहा है। लोग बीमार नहीं होते हुए भी खुद को बीमार समझ रहे हैं और डाक्टरों के पास इलाज के लिए लाइन में लगे हैं। फायदा नहीं मिलने पर न जाने कितने डाक्टरों को बदल देते हैं। इसके बाद भी वह खुद को ठीक महसूस नहीं करते। जबकि उन्हें कोई बीमारी नहीं है। बल्कि वह सोमेटोफोम डिसआर्डर का शिकार हुए हैं। उन्हें मनोवैज्ञानिकों द्वारा काउंसिलिंग के बाद ठीक किया जा रहा है।
जिला अस्पताल के मन कक्ष के मनोचिकित्सक डा. आशीष का कहना है कि सोमेटोफोम डिसआर्डर की प्रमुख वजह इंटरनेट है। यदि किसी भी व्यक्ति को पेट में भी दर्द होता है तो वह सबसे पहले इंटरनेट पर पेट दर्द की वजह ढूंढता है। जिसमें उसे तमाम बड़ी बीमारियों के लक्षण दिखाई देते हैं। इंटरनेट पेट दर्द के लक्षणों में अल्सर, आंतों में इंफेक्शन से लेकर कैंसर तक के कई लक्षण दिखा देता है। जिससे लोग खुद को ये बीमारियां होना समझ लेते हैं। इतना ही नहीं, कोई व्यक्ति अगर सिर दर्द की इंटरनेट पर वजह तलाशता है तो उसे माइग्रेन से लेकर डिप्रेशन तक के तमाम लक्षण देखने को मिल जाते हैं। जिसकी वजह से लोगों में वहम बढ़ जाता है तो वह डाक्टरों के पास आकर इलाज कराने लगते हैं। आइए ऐसे ही कुछ केसों पर नजर डालते हैं...
केस नंबर एक: बीते दिनों शहर की रहने वाली एक लड़की मन कक्ष में पहुंची। उसके पेट में दर्द रहता था। उसका कहना था कि उसे कैंसर, अल्सर या फिर उसकी किडनी फेल हो सकती है। मगर डाक्टर की किसी भी रिपोर्ट में यह पुष्टि नहीं थी। उस लड़की के हालात यह थे कि उसे यह लगने लगा था कि अब वह ज्यादा दिनों तक नहीं जी सकती। मगर मनोवैज्ञानिक खुशअदा और मनोचिकित्सक डा. अशीष ने उसकी काउंसिलिंग कर उसे ठीक किया।
केस नंबर दो: सेटेलाइट का रहने वाला एक व्यक्ति अपनी नौकरी से संतुष्ट नहीं था। धीरे-धीरे उसके सिर में दर्द होने लगा। जब उसने इंटरनेट पर सिर में दर्द की वजह तलाशी तो उसमे माइग्रेन से लेकर साइनस, ब्रेन ट्यूमर जैसे न जाने कितनी बीमारियों के लक्षण दिखाए देने लगे। जिसकी वजह से वह खुद को इन बीमारियों से पीड़ित समझने लगा। बरेली से लेकर दिल्ली तक न जाने कितने न्यूरोलाजिस्ट बदल दिए। मगर कोई फायदा नहीं हुआ। बाद में उसे मन कक्ष में मनोचिकित्सक के पास भेजा गया। कांउसलिंग हुई तो पता लगा कि वह अपनी नौकरी से संतुष्ट नहीं था।
केस नंबर तीन: सिविल लाइंस की रहने वाली एक महिला को रीढ़ की हड्डी में दर्द की समस्या थी। जब उसने इंटरनेट पर सर्च किया तो उसमें मोटापा, कमजोर हड्डियां, तनाव समेत न जाने कितने लक्षण दिखा दिए। इसकी वजह से वह खुद को इन बीमारियों से ग्रस्त समझने लगी। बाद में डाक्टरों से इलाज कराने पर कुछ भी नहीं मिला। इसके बाद भी वह ठीक होने में नहीं आ रही थी। अंत में काउंसिलिंग कर उसे ठीक किया गया।
युवाओं में ज्यादा आ रही समस्या: मन कक्ष की मनोवैज्ञानिक खुशअदा ने बताया कि यह समस्या सबसे ज्यादा युवाओं में आ रही है। 18 से 28 साल के लोग किसी भी चीज को सबसे पहले इंटरनेट पर सर्च करते हैं। इसलिए वह सबसे ज्यादा इस डिसआर्डर का शिकार हो रहे हैं।