विशेष साक्षात्कार: डीजी सुदीप लखटकिया बोले, एनएसजी नई चुनौतियों के लिए पूरी तरह तैयार
पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर आतंकी हमले के बाद देश में बहुत कुछ बदला है। नजरिया और सोच दोनों।
पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर आतंकी हमले के बाद देश में बहुत कुछ बदला है। नजरिया और सोच दोनों। आतंकवाद के प्रति सरकार का कड़ा रुख सामने आया तो सुरक्षा एजेंसियों और सुरक्षा बलों दोनों की जिम्मेदारी को भी बढ़ाया गया है। इस संबंध में जागरण संवाददाता वसीम अख्तर ने नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) के डीजी सुदीप लखटकिया से बात की। वह पिछले दिनों शहर स्थित अपने घर आए हुए थे। उनका स्पष्ट कहना है कि आतंकवादियों की बदलती रणनीति में चुनौतियां बढ़ी हैं, जिसके लिए हम पूरी तरह तैयार हैं। अपनी क्षमताओं को हर एतबार से लगातार उन्नत कर रहे हैं।
सवाल : आप सीआरपीएफ के स्पेशल डायरेक्टर रहे हैं। पुलवामा हमले के बाद इस बल को अभी और कितना ज्यादा प्रशिक्षित किए जाने की जरूरत महसूस कर रहे हैं?
जवाब : पुलवामा हमला आतंकवादियों का निंदनीय कार्य था। जहां तक सवाल अर्द्धसैनिक बलों को प्रशिक्षित किए जाने का है तो एनएसजी का फोकस राज्य सैनिक बलों के क्षमता निर्माण पर है। उसके लिए आतंकवाद विरोधी विशेषज्ञता को साझा करते हैं। नियमित रूप से प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलता रहता है।
सवाल : वर्तमान परिदृश्य में एनएसजी की भूमिका को किस रूप में देख रहे हैं?
जवाब : जिस तरह से आतंकवादियों की रणनीति बदल रही है, उसे देखते हुए एनएसजी की चुनौतियां निश्चित बढ़ गई हैं। ट्रेनिंग को और अपडेट किए जाने की जरूरत है। हम ऐसा कर भी रहे हैं। देशभर में किसी भी गंभीर चुनौती से निपटने के लिए सदैव तत्पर भी हैं।
सवाल : अभी और क्या किए जाने की जरूरत है?
जवाब : एनएसजी के पास ऑपरेशंस कार्यो के संचालन को नवीनतम तकनीक है। सरकार ने महानिदेशक को विशेष अनुमति भी प्रदान की है। वह बदलते खतरों के आधार पर गैजेट और हथियारों की खरीद कर सकते हैं। उपकरणों का आधुनिकीकरण होना है। ऐसा किया भी जा रहा है।
कौन हैं सुदीप लखटकिया
1984 बैच के आइपीएस सुदीप लखटकिया मूल रूप से मुहल्ला जकाती के रहने वाले हैं। उनके पिता स्व. हरि बहादुर लखटकिया थे। बड़े भाई अजय इंडियन बरेली में ही रहते हैं। 12 साल एसपीजी के आइजी रहते तीन प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी की सुरक्षा की जिम्मेदारी को बाखूबी अंजाम दे चुके हैं। नक्सली गढ़ अदिलवाद, छत्तीसगढ़, खमम, वारंगल में भी तैनात रहे। नक्सलावादी एवं माओवादी ऑपरेशन में एक्सपर्ट माने जाते हैं। उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार इत्यादि से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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