किशोरों में 6.08 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा डिप्रेशन Bareilly News
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ सर्वे इन इंडिया की 2015-16 की रिपोर्ट के मुताबिक किशोरों में 6.08 की दर से डिप्रेशन के रोगी बढ़ रहे हैं।
बरेली, जेएनएन : यह दो केस हमारे समाज में परिवारों की बच्चे से अपेक्षाएं और बच्चे पर उन अपेक्षाओं को पूरा करने के दबाव को बखूबी बयां करते हैं। यही दबाव उन्हें कम उम्र में ही डिप्रेशन का शिकार बना रहा है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ सर्वे इन इंडिया की 2015-16 की रिपोर्ट के मुताबिक किशोरों में 6.08 की दर से डिप्रेशन के रोगी बढ़ रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने कक्षा नौ से 12वीं तक के विद्यार्थियों को मनोरोग शिक्षा देने का आदेश जारी किया है।
केस नंबर 1
एक कांवेंट स्कूल की 11वीं कक्षा की छात्र के माता-पिता पढ़ाई के सिवा उसे कोई दूसरा काम नहीं करने देते। छात्र इसी दबाव के चलते अवसाद में चली गई। काउंसिलिंग कराई गई। माता-पिता का दबाव कम हुआ तो छात्र सामान्य हो गई।
केस नंबर 2
हिंदी माध्यम से पढ़े एक छात्र को परिवार ने कक्षा नौ में कांवेंट स्कूल में भर्ती करा दिया। वहां अंग्रेजी न बोल पाने की अपनी कमी के चलते अवसाद में आ गया। काउंसिलिंग में बताया कि हिंदी माध्यम में ही पढ़ना चाहता है।
डीआइओएस ने भेजा पत्र
शासन के निर्देश पर अमल के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक ने सभी माध्यमिक विद्यालयों को पत्र भेजा है। इसमें स्पष्ट किया है कि वह जागरूकता और प्रशिक्षण प्रक्रिया शुरू कराएं। सिर्फ राजकीय और सहायता प्राप्त ही नहीं प्राइवेट इंटर कॉलेज को भी कार्यक्रम करना अनिवार्य है।
प्रतिस्पर्धा का दौर है। हर अभिभावक की ख्वाहिश रहती कि उनका बच्चा अपने क्षेत्र में चैंपियन बने। इस दबाव से बच्चे तनाव में आ जाते हैं। अभिभावकों को चाहिए कि बच्चों की क्षमता परखें। उन्हें प्रोत्साहित करें। -डॉ. सुविधा शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर-मनोविज्ञान विभाग, बरेली कॉलेज
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