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डेंगू की दस्तक, सरकार नहीं गंभीर

संक्रामक रोगों से निपटने के लिए प्रशासन कितना सजग है इसका एक और उदाहरण सामने आया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 11:44 PM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 02:50 AM (IST)
डेंगू की दस्तक, सरकार नहीं गंभीर
डेंगू की दस्तक, सरकार नहीं गंभीर

जागरण संवाददाता, बरेली : संक्रामक रोगों से निपटने के लिए प्रशासन कितना सजग है इसका एक और उदाहरण सामने आया है। डेंगू की रोकथाम के लिए कार्ययोजना तो बनी लेकिन इसे धरातल पर उतरने में शासन से लेकर प्रशासन तक नाकाम रहा। जिसके चलते जिले के 58 तालाबों में गंबूसिया मछली डालने की कवायद साल भर से फाइलों में धूल फांक रही है।

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राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग व जापानी इंसेफलाइटिस रोग के नियंत्रण के लिए मलेरिया अधिकारी ने मत्स्य विभाग को जिले के 58 तालाबों की सूची उपलब्ध कराई थी। जिस पर मत्स्य विभाग ने पिछले साल एक लाख 29 हजार चार सौ रुपये की गंबूसिया मछलियों को इन तालाबों में छोड़ने की कार्य योजना बनाकर शासन को प्रस्ताव भेजा था। इस प्रस्ताव पर शासन की मुहर नहीं लग सकी। जल्द ही शासन स्तर पर होने वाली बैठक में इस पर निर्णय होने की उम्मीद जता रहे हैं। अफसर दे रहे दलील

मत्स्य विभाग के अफसर गंबूसिया मछली को मांसाहारी बताकर इसका पालन नहीं कराने की दलील दे रहे हैं। प्रभारी सहायक निदेशक मत्स्य सोमपाल गंगवार कहना है, डेंगू के लार्वा को नष्ट करने में यह अहम रोल निभाती है। स्वास्थ्य विभाग के अनुरोध पर ही इसकी खरीद कराई जाती है। लेकिन जब शासन से ही कोई निर्देश नहीं मिले तो योजना पर काम शुरू नहीं हो सका।


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