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मीरगंज में मुश्किल हालात, 45 गांवों में पानी जहरीला

जागरण संवाददाता, बरेली : बहरोली में जहरीले पानी से कैंसर के कारण पिछले कुछ सालों में कई लोगों की मौत

By JagranEdited By: Published: Tue, 08 May 2018 09:49 AM (IST)Updated: Tue, 08 May 2018 09:49 AM (IST)
मीरगंज में मुश्किल हालात, 45 गांवों में पानी जहरीला
मीरगंज में मुश्किल हालात, 45 गांवों में पानी जहरीला

जागरण संवाददाता, बरेली : बहरोली में जहरीले पानी से कैंसर के कारण पिछले कुछ सालों में कई लोगों की मौतें हो चुकी हैं। अब उस जैसे ही हालात मीरगंज ब्लॉक में बन रहे हैं। एक दो नहीं बल्कि 45 गांवों के भूजल में आर्सेनिक पूरी तरह से समा चुका है। 115 हैंडपंपों के पानी की जांच में यह खुलासा हुआ। हैरानी इस बात की है कि अब भी इन गांवों की बड़ी आबादी यही जहरीला पानी पीने को मजबूर है। लोगों पर पानीजनित रोगों का खतरा मंडरा रहा है।

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राष्ट्रीय पेयजल स्वच्छता कार्यक्रम के तहत वाटर एंड सेनिटेशन सपोर्ट आर्गनाइजेशन की ओर से की गई भूगर्भ की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। 12 गांव के करीब 25 हैंडपंप के पानी की जांच सबसे चौंकाने वाली रही। इनमें डब्ल्यूएचओ से निर्धारित सामान्य मात्रा के पांच गुना 0.025 माइक्रोग्राम प्रति लीटर आर्सेनिक पाया गया। सैंजना ग्राम पंचायत के आठ हैंडपंप में सामान्य से पांच गुना आर्सेनिक पाया गया। इतनी ही मात्रा में आर्सेनिक बहादुरपुर, संजरपुर और तिलमास ग्राम पंचायतों में दो-दो हैंडपंप में मिला। वहीं, सामान्य से दोगुना 0.010 माइक्रोग्राम आर्सेनिक 33 गांवों में पाया गया। 0.025 माइक्रोग्राम प्रति लीटर आर्सेनिक वाले गांव

बहादुरपुर, भटौलीनगला, गुगई, लभारी, मनकरा, सैजना, सैजनी गौटिया, पंछवा, समसपुर, संजरपुर, तिलमास, धुल्तिया पूर्वी।

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इन गांवों में 0.010 माइक्रो ग्राम प्रति लीटर आर्सेनिक मिला

बल्लिया, देवरिया, अब्दुल्लागंज, दिवना, गहबरा, करौरा, गुलड़िया, हल्दी खुर्द, हुरहुरी, जटपुरा, सहासा, कपूरपुर, कुल्छाखुर्द, मंडनपुर, मंडवा, बांशीपुर, मोहम्मदपुर मुस्तकिल, हरदोई, नगरिया कल्यानपुर, नगरिया सादात, नंदगांव, नौसना, पहुंचाखुर्द, पैगानगरी, रैयानगला, तातारपुर, सिंधौली, खिरकटी, ठिरिया ब्रह्मनान, सिलारपुर, ठिरिया खुर्द, कुतुबपुर, गौटिया पंचम।

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घातक है आर्सेनिक

विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने पीने के पानी में 0.005 माइक्रोग्राम प्रतिलीटर से अधिक आर्सेनिक की मात्रा को मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। आर्सेनिक युक्त पेयजल से त्वचा, किडनी, आंत और मूत्राशय संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। इसके अलावा कैंसर भी हो सकता है। शहर के फिजिशियन डॉ. सुरेश सोंधी का कहना है कि आर्सेनिक मानव की प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करता है। समय से पहले वृद्धावस्था के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। व्यक्ति को लगातार बुखार बने रहना और सांस संबंधित रोग भी हो जाते हैं।

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बहरोली में कई को हुआ था कैंसर

कुछ साल पहले मीरगंज का बहरोली गांव कैंसर से कई लोगों की असमय मौत के लिए चर्चा में आया था। लगभग 53 लोगों की मौत कैंसर से हुई और अभी भी कई लोगों को कैंसर है। गांव में आर्सेनिक भी मिला था लेकिन पेयजल स्वच्छता से जुड़े विभाग के जिम्मेदार तब आर्सेनिक की मात्रा कम बताकर पानी से कैंसर होने की बात नकारते रहे। इसके बावजूद बहरोली के 16 हैंडपंप के पानी की जांच के बाद उन पर लाल निशान लगाए गए और इनसे पानी पीना प्रतिबंधित कर दिया गया। इसलिए मीरगंज आर्सेनिक हाईरिस्क

मीरगंज के जिन गांवों में आर्सेनिक मिला है कि वे गांव रामगंगा से सटे हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि रामगंगा प्रदूषित है इसलिए उसका प्रदूषित पानी आसपास के भूजल में समा चुका है। आर्सेनिक और फ्लोराइड मिश्रित पानी लोग हैंडपंप के जरिये पीने को मजबूर हैं।

जिले में जहां-जहां आर्सेनिक मिला है, ऐसे गांवों में आर्सेनिक शोधन उपकरण लगाए जाने का प्रस्ताव तैयार करके शासन को भेजा जाएगा। ऐसे गांवों में आर्सेनिक वाले हैंडपंपों पर लाल निशान लगाकर उनका पेयजल के तौर पर प्रयोग प्रतिबंधित किया गया है।

-सत्येंद्र कुमार, सीडीओ


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