फर्जीवाड़ा : क्रय केंद्र के रजिस्टर में दर्ज किसान के माेबाइल नंबर पर बोले, सीएआरआइ के वैज्ञानिक Bareilly News
इनका काकस (सिंडिकेट) इतना मजबूत कि खाद्य रसद एवं नागरिक आपूर्ति राज्यमंत्री के शाहजहांपुर दौरे में हकीकत सामने आने के बावजूद अनाज के ठेकेदारों को कोई फर्क नहीं पड़ता।
जेएनएन, बरेली : किसानों की मेहनत और सरकारी सोच भ्रष्टाचार की कुंडली में किस तरह दम तोड़ती है..यह देखना है तो धान क्रय केंद्र इसके मुफीद उदाहरण हैं। इनका काकस (सिंडिकेट) इतना मजबूत कि खाद्य, रसद एवं नागरिक आपूर्ति राज्यमंत्री के शाहजहांपुर दौरे में हकीकत सामने आने के बावजूद अनाज के ठेकेदारों को कोई फर्क नहीं पड़ता। सरकारी तंत्र को बेवकूफ बनाते हुए यह सिस्टम अपने ही अंदाज में घालमेल करने में जुटा है। ‘दैनिक जागरण’ ने बरेली जिले की कुछ तहसीलों पर धान क्रय केंद्रों में हो रही खरीद की हकीकत जानने की कोशिश की। रजिस्टर में दर्ज नंबरों के रेंडमली चेक किया। अधिकतर जगह किसान और दर्ज मोबाइल नंबर फर्जी मिले। यानी बड़े स्तर पर गड़बड़झाले सामने आए। एक रिपोर्ट..
1100 रुपये में धान तुला, फिर मिठाई का डिब्बा
भोगपुर के घुड़ी सिंह का नाम, नंबर और डिटेल सही मिली। लेकिन उनकी पीड़ा दूसरी थी। घुड़ी सिंह बताते हैं कि क्रय केंद्र पर धान बेचने में काफी समय लगा। 20 रुपये प्रति कुंतल रेट पर 54 कुंतल धान तौला गया। इस हिसाब से केंद्र प्रभारी को 1100 रुपये दिए। वहीं, कर्मचारियों ने इसके बाद भी मिठाई का डिब्बा मांगा।
दैनिक जागरण ने पड़ताल में किसान क्रय केंद्रों पर दर्ज करीब 24 किसानों के मोबाइल नंबरों पर कॉल किया। इनमें से दस नंबर स्विच ऑफ या पहुंच से बाहर थे। इसके अलावा तीन नंबर मौजूद नहीं यानी नॉट रीचबल थे।
रजिस्टर में दर्ज किया सीएआरआइ वैज्ञानिक का नंबर
दिनरा मिर्जापुर के धान क्रय केंद्र पर रखे रजिस्टर में दर्ज डाटा के मुताबिक सातवें नंबर पर गोकलपुर के किसान रामस्वरूप का नाम था। मोबाइल नंबर पर कॉल किया तो फोन सीएआरआइ के वैज्ञानिक ने उठाया।
नंबर पवन विहार की महिला के नाम, बनाया भूपराम
भुता के अहरौल चौराहा धान क्रय केंद्र में बने रजिस्टर में उमेदपुर भुता के भूपराम नाम से एक किसान का नाम दर्ज था। सामने दिए मोबाइल नंबर पर बात की तो एक महिला ने फोन उठाया। उनसे कहा कि भूपराम जी से बात करनी है। जवाब मिला कि वह पवन विहार में रहती हैं। भूपराम नाम के किसी शख्स को नहीं जानतीं।
अलग-अलग केंद्रों पर धान बिक्री की स्थिति खुद चेक करते हैं। कई बार किसान ही गलत मोबाइल नंबर दर्ज करा देते हैं। जहां नाम और मोबाइल नंबर दोनों गलत हैं, वहां केंद्रों का डाटा चेक कराया जाएगा। वीके सिंह, एडीएम प्रशासन और नोडल अधिकारी धान खरीद, बरेली