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Court Verdict : पासपोर्ट में जन्मतिथि सही करने को लेकर कोर्ट ने सुनाया फैसला, बाेला- नाबालिग पर लागू नहीं हाेता ये बंधन

Court Verdict on Passport Date of Birth सिविल जज सीनियर डिवीजन ने पासपोर्ट में जन्मतिथि सही करने का एक फैसला वादी के पक्ष में सुनाया है। वादी महिला ने जन्मतिथि को पासपोर्ट आफिस में ठीक न करने पर वाद दायर किया था।

By Ravi MishraEdited By: Published: Wed, 27 Oct 2021 07:59 AM (IST)Updated: Wed, 27 Oct 2021 07:59 AM (IST)
Court Verdict : पासपोर्ट में जन्मतिथि सही करने को लेकर कोर्ट ने सुनाया फैसला, बाेला- नाबालिग पर लागू नहीं हाेता ये बंधन
Court Verdict : पासपोर्ट में जन्मतिथि सही करने को कोर्ट ने सुनाया फैसला,

बरेली, जेएनएन। Court Verdict on Passport Date of Birth : सिविल जज सीनियर डिवीजन ने पासपोर्ट में जन्मतिथि सही करने का एक फैसला वादी के पक्ष में सुनाया है। वादी महिला ने जन्मतिथि को पासपोर्ट आफिस में ठीक न करने पर वाद दायर किया था। जिसके बाद कोर्ट ने पासपोर्ट पर जन्मतिथि सुधार के लिए अपना फैसला देते हुए इस बात को कहा कि विदेश मंत्रालय का यह नियम नाबालिगो पर लागू नहीं होता।

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वादी कविता भट्ट के मुताबिक जब उन्होंने पासपोर्ट बनवाया था, तब वह अवयस्क थीं। उनकी जन्मतिथि गलती से एक साल कम लिख गयी। व्यस्क होने के बाद उनका विवाह हुआ और पति के कनाडा शिफ्ट हो जाने की वजह से उन्हें भी वहां की नागरिकता के लिए आवेदन करना था। उस समय उनके संज्ञान में यह बात आई कि उनकी हाईस्कूल की मार्कशीट में जन्मतिथि और पासपोर्ट में लिखी जन्मतिथि अलग हैं। इस कारण से उनके पासपोर्ट का नवीनीकरण नहीं हो पा रहा है।

पासपोर्ट कार्यालय का कहना था कि वह स्वयं जन्मतिथि सही नहीं कर सकता। इसलिए कविता ने कोर्ट में अपने वकील रजत बिंदल के जरिए केस दायर किया। कोर्ट में कविता ने अपनी जन्मतिथि वर्ष 1989 की पैदाइश होने का डिक्लेरेशन मांगा। पासपोर्ट कार्यालय ने कहा कि उस जन्मतिथि में सुधार नहीं किया जा सकता। क्योंकि विदेश मंत्रालय के पत्र के अनुसार यह सुधार गलती होने के पांच साल के अंदर ही करवाया जा सकता है और यह केस पांच वर्ष के बाद दायर किया गया है।

इसके अलावा कविता ने पूर्व में पासपोर्ट के लिए आवेदन करते हुए अपनी जन्मतिथि को प्रमाणित करने के लिए जो कागजात प्रस्तुत किए थे उनके अनुसार ही पासपोर्ट में जन्मतिथि लिखी गई है। कोर्ट ने कविता के वकील रजत की इस दलील को मानते हुए कि विदेश मंत्रालय के पत्र में नाबालिग के केस में पांच वर्ष का बंधन लागू नहीं होता उक्त केस में काेर्ट ने कविता के हक में फैसला कर दिया।


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