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कोर्ट ने युगवीणा फायरिंग मामले में इंस्पेक्टर कैंट को किया तलब, एफआइआर का दिया था आदेश

युगवीणा फायरिंग केस में दारोगा की रिपोर्ट न लिखने के मामले में अदालत ने कैंट के इंस्पेक्टर को तलब किया है। सीजेएम कोर्ट ने कैंट में ही तैनात रहे दारोगा संजय सिंह की अर्जी पर इंस्पेक्टर सीओ दरोगा व एक सिपाही के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे।

By Sant ShuklaEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 04:15 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 04:15 PM (IST)
कोर्ट ने युगवीणा फायरिंग मामले में इंस्पेक्टर कैंट को किया तलब, एफआइआर का दिया था आदेश
आदेश की एक प्रति वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रोहित सिंह सजवाण को भी भेजी गई है।

 बरेली, जेएनएन।  युगवीणा फायरिंग केस में दारोगा की रिपोर्ट न लिखने के मामले में अदालत ने कैंट के इंस्पेक्टर को तलब किया है। पिछले वर्ष सीजेएम कोर्ट ने कैंट में ही तैनात रहे दारोगा संजय सिंह की अर्जी पर इंस्पेक्टर, सीओ, दरोगा व एक सिपाही के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे। काफी समय बीतने के बावजूद मुकदमा दर्ज नहीं किया गया तो दारोगा ने आरोपितों के खिलाफ अदालत की अवमानना की अर्जी कोर्ट में दायर की। जिस पर अदालत ने इंस्पेक्टर कैंट को आदेश दिया है कि वे कोर्ट में आकर बताएं कि एफआइआर अभी तक लिखी गई या नहीं। अगर लिखी गई तो उसकी तफ्तीश कहां तक पहुंची है और अगर नहीं लिखी गई तो ऐसा अब तक क्यों नहीं हुआ। अदालत ने 25 जनवरी को निजी तौर पर जवाब देने को कैंट इंस्पेक्टर को तलब कर लिया है। कैंट पुलिस की करतूत की जानकारी देने को आदेश की एक प्रति वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रोहित सिंह सजवाण को भी भेजी गई है।

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वादकारों के खिलाफ वारंट न जारी करने को सौंपा ज्ञापन

बरेली: जिला जज रेणु अग्रवाल से अधिवक्ताओं के एक शिष्टमंडल ने ज्ञापन देकर वादकारों के खिलाफ कोई विपरीत आदेश पारित न करने की मांग की है। अधिवक्ताओं ने ज्ञापन में कहा है कि लॉकडाउन के दौरान से बंद चल रही मुकदमों की दैनिक सुनवाई पुनः शुरू होने की सूचना वादकारों तक नहीं पहुंच सकी है। ऐसे में वादकारों के खिलाफ कोई विपरीत आदेश पारित किया जाना न्यायोचित नहीं है। उन्होंने मांग की है कि अदालतों में कार्य सुचारू रुप से होने की सूचना नोटिस बोर्ड पर भी चस्पा नहीं की गई है। जिससे अधिवक्ताओं को भी नियत तिथियों की जानकारी नहीं हो पाई है। अदालत के दफ्तरों से पत्रावलियां कोर्ट में पहुंचने की जानकारी भी नहीं हो पाई है। इसलिए उनके खिलाफ वारंट जारी न किए जाए। ज्ञापन में वीपी ध्यानी, मोबिन अंसारी, आरके सिंह समेत एक दर्जन अधिवक्ताओं के हस्ताक्षर हैं।


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