Corona Side Effect : कोरोना काल में दाने को मोहताज हुआ CARI, बेचेगा आठ हजार मुर्गियां
कभी मुर्गियों के जरिए अपने अलग-अलग शोध को लेकर देश भर में नाम कमाने वाले केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (सीएआरआइ) के पास अब 40 हजार मुर्गियों को दाना खिलाने के लिए बजट का संकट खड़ा हो गया है। माली हालत इतनी खराब हो गई है।
बरेली, अखिल सक्सेना। कभी मुर्गियों के जरिए अपने अलग-अलग शोध को लेकर देश भर में नाम कमाने वाले केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (सीएआरआइ) के पास अब 40 हजार मुर्गियों को दाना खिलाने के लिए बजट का संकट खड़ा हो गया है। माली हालत इतनी खराब हो गई है कि संस्थान ने नए चूजों की पैदावार पर रोक लगा दी। दाने में लगे मजदूरों की संख्या भी कम कर दी। अब 40 हजार में से करीब आठ हजार मुर्गियां बेंचने की मजबूरी है।
सीएआरआइ में इस समय गिनी फाउल मिलाकर करीब 40 हजार के आसपास मुर्गे-मुर्गियां हैं। संस्थान को हर साल केंद्र सरकार की ओर से बजट आवंटित होता है। इससे मुर्गियों के दाने, रख रखाव आदि शामिल है। प्रत्येक माह इनके दाने व लेबर आदि के करीब 35 लाख रुपये खर्च होते हैं। इस बार अप्रैल में संस्थान को 13 करोड़ 55 लाख रुपये बजट आवंटन का आदेश जारी किया गया। जो पिछले साल 15 करोड़ 22 लाख रुपये के सापेक्ष 11 फीसद कम है।
दाना खिलाना मुश्किल : इस बार अप्रैल में जो बजट आवंटित हुआ था उसमें सालाना 10 करोड़ 90 लाख रुपये मुर्गियों के दाने आदि के लिए तय किए गए। छह महीने में अब तक 4 करोड़ 21 लाख रुपये ही संस्थान को मिल पाए। जबकि सात करोड़ 85 लाख रुपये मिलना चाहिए था। ऐसे में सभी मुर्गियों को दाना खिलाना संस्थान के लिए मुश्किल हो गया है।
केंद्र सरकार से संस्थान को 11 फीसद कम बजट आवंटित हुआ है। इसलिए मजदूरों की संख्या घटायी जा रही है। मुर्गियों की संख्या भी कम करना मजबूरी है, ताकि जितनी बचेंगी, उनका रख-रखाव ठीक से किया जा सके। डॉ संजीव कुमार, निदेशक, सीएआरआइ बरेली