बांस को बढ़ावा देने के लिए बरेली के सीबीगंज में बनेगा कॉमन फैसिलिटी सेंटर, किसानों को मिलेगा लाभ, बढ़ेगी आमदनी
एक आम इंसान की जिंदगी में उसके जन्म से लेकर मृत्यु तक के सफर में बांस का किस तरह से उपयोग होता है। उन्होंने किसानों से बांस उत्पादन बाजार एवं निर्यात पर विशेष बल दिया। पूरे प्रदेश में सात सीसीएफ सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं।
बरेली, जेएनएन। प्रदेश में बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए बुधवार को एक राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के अंतर्गत किया गया। जिसमें अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक केपी दुबे मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। कार्यशाला में मंडल के अलग-अलग जिलों से आए किसानों ने प्रतिभाग किया। सभी को वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिये बांस विशेषज्ञों द्वारा बांस की खेती के बारे में जानकारी दी गई।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि ने बताया कि एक आम इंसान की जिंदगी में उसके जन्म से लेकर मृत्यु तक के सफर में बांस का किस तरह से उपयोग होता है। उन्होंने किसानों से बांस उत्पादन, बाजार एवं निर्यात पर विशेष बल दिया। वहीं, वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुनील पांडेय ने बताया कि पूरे प्रदेश में सात सीसीएफ सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं। जिसमें से एक बरेली में भी स्थापित किया जा रहा है। इस पर मुख्य वन संरक्षक डॉ मनोज चंद्र ने बांस एवं रेशा बोर्ड परिषद देहरादून की तरफ से बांस की प्रजातियों को तैयार करने की तकनीकी के बारे में जानकारी दी। साथ ही कहा की बांस की खेती को सभी किसान आय का एक मजबूत स्रोत बना सकते हैं। इस मौके पर मुख्य वन संरक्षक ललित कुमार वर्मा, डीएफओ भरत लाल, वन संरक्षक जावेद अख्तर, वन संरक्षक मुरादाबाद विजय सिंह, रेंजर वैभव चौधरी, रविंद्र सक्सेना आदि मौजूद रहे।
बांस का विश्व में 72 बिलियन डॉलर का होता है व्यापार
कार्यशाला में संयुक्त आयुक्त उद्योग ऋषि रंजन गोयल ने कहा कि बांस का विश्व 72 बिलियन डॉलर का व्यापार होता है। जो कि 2026 तक 99 बिलियन डॉलर पहुंच जाएगा। इसमें 30 प्रतिशत बांस का उत्पादन चीन के बाद भारत में किया जाता है। 2020 में बांस को राज्य सरकार द्वारा ओडीओपी योजना के तहत जिले में चयनित किया गया है।
वैज्ञानिकों ने दी जानकारी
मुख्य वन संरक्षक डा. के इलंगो ने कार्यशाला में बांस मिशन के अंतर्गत विभिन्न प्रभागों द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। वहीं अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक डा. अभय कुमार पाटिल ने बांस के विकास एवं उसकी संभावनाओं को विस्तार से बताया। वैज्ञानिक मध्य कृषि वानिकी संस्थान झांसी के डा. हांडा ने बांस को खेतों में लगाने की तकनीक तथा बांस पर्यावरण के सरंक्षण में उपयोगिता बताई। वहीं ऑनलाइन बेंगलुरु, डा. अजय ठाकुर वैज्ञानिक देहरादून ने अपने विचार रखे।