Chinmayanand Case : पर्दे के पीछे से चल रहे Blackmaling के खेल में ये भाजपा नेता Mastermind Shahjahanpur News
भाजपा सरकार में गृह राज्य मंत्री रह चुके चिन्मयानंद से जुड़े प्रकरण में पर्दे के पीछे भाजपा नेताओं ने बड़ा खेल किया। जांच में ऐसे चेहरे सामने आए जिन्हें बहुत करीबी माना जाता है।
जेएनएन, शाहजहांपुर : केंद्र की भाजपा सरकार में गृह राज्य मंत्री रह चुके चिन्मयानंद से जुड़े प्रकरण में पर्दे के पीछे भाजपा नेताओं ने बड़ा खेल किया। एसआइटी ने जांच की तो ऐसे चेहरे सामने आए, जिन्हें चिन्मयानंद का करीबी कहा जाता था। इन्हीं लोगों ने छात्रा से वीडियो हासिल किए और चिन्मयानंद से सवा करोड़ रुपये की मांग कर ली। रुपये दे दें तो सबकुछ रफा-दफा करा दिया जाएगा।
ये है पर्दे के पीछे के चेहरे : ब्लैकमेलिंग का खेल करने वाले ये दो चेहरे हैं जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन डीपीएस राठौर और अजीत सिंह। डीपीएस राठौर खुद तो कद्दावर हैं ही, वह राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन और भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर के भाई भी हैं। वहीं अजीत भाजयुमो का जिला महामंत्री रह चुका है। चिन्मयानंद का वह भी करीबी रहा।
वीडियो वायरल होने के बाद से संपर्क में रहे छात्रा : 24 अगस्त को छात्रा ने चिन्मयानंद के वीडियो वायरल किए और दोस्त संजय के साथ राजस्थान के दौसा चली गई। प्रकरण चर्चा में आया, तभी से डीपीएस राठौर छात्राके संपर्क में आ गए थे। 30 अगस्त को जब एसआइटी ने छात्राव संजय को दौसा से बरामद किया, उस समय छात्राने वहां पहुंचे डीपीएस राठौर व अजीत को वीडियो क्लिप वाली पेन ड्राइव सौंप दी थी। हालांकि एक कॉपी अपने पास भी रख ली थी। डीपीएस राठौर ने उसी वीडियो क्लिप का हवाला देकर सवा करोड़ रुपये मांगे थे।
पूर्व विधायक का नाम भी आया : पूर्व विधायक व भाजपा नेता देवेंद्र पाल सिंह का नाम भी सामने आया था। उनकी भूमिका चिन्मयानंद की मदद तक निकली। उनसे भी एसआइटी ने पूछताछ की थी।
आश्रम में था आना-जाना : काफी समय से निष्क्रिय चिन्मयानंद 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही फिर से सक्रिय हो गए थे।
भाजपा ने किया था किनारा : जब चिन्मयानंद पर दुष्कर्म के आरोप लगे तब भाजपा ने पल्ला झाड़ लिया था। जब एसआइटी ने जांच और ब्लैकमेलिंग में भाजपा के ही नेताओं के नाम सामने आए तो जवाब देते नहीं बन रहा। भाजपाइयों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संपूर्ण जानकारी दे दी गई है। शुरुआत में चिन्मयानंद की ओर से भी मुख्यमंत्री तक जानकारी पहुंचाई गई थी।
प्रदेश उपाध्यक्ष के भाई का मामला, पार्टी चुप्पी साधे रही : डीपीएस राठौर भाजयुमो के जिलाध्यक्ष, भाजपा के जिला महामंत्री समेत पार्टी में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। उनके बड़े भाई जेपीएस राठौर पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष होने के साथ ही राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं। माना जा रहा है कि कोई भी बड़ा कदम उठाने से पहले बड़े भाई की सलाह लेने वाले डीपीएस राठौर के इस कदम की जानकारी कहीं न कहीं जेपीएस को भी दी होगी। लेकिन, एसआइटी जांच के बाद बचने का कोई रास्ता नहीं बचा। मामला भाजपा नेताओं से जुड़ा होने के चलते स्थानीय नेता चुप्पी साधे रहे। कहा जा रहा है कि छात्राका दोस्त संजय व अन्य आरोपित भारतीय जनता युवा मोर्चा के ही पूर्व जिला महामंत्री अजीत सिंह के रिश्तेदार हैं। अजीत के जरिये ही पूरा प्रकरण डीपी सिंह तक पहुंचाया गया। अब दोनों पर शिकंजा कस सकता है।
डीपी व अजीत को जाएगा समन : वीडियो वायरल करने के बाद छात्रादिल्ली होते हुए राजस्थान चली गई थी। चार्जशीट में कहा गया कि बाद में जिला सहकारी बैंक (डीसीबी) चेयरमैन डीपीएस राठौर और भाजयुमो के पूर्व जिला महामंत्री अजीत सिंह ने वीडियो का हवाला देकर और मामला निपटाने के बदले सवा करोड़ रुपये की मांग चिन्मयानंद से की थी। इन दोनों का नाम बाद में चार्जशीट में शामिल किया।
आगे की कार्रवाई कोर्ट तय करेगी : एसआइटी ने दोनों मामलों की जांच की है। वह चार्जशीट भी दाखिल कर चुकी है। इसलिए मुङो इस प्रकरण में कुछ नहीं कहना है। अब आगे की कार्रवाई कोर्ट तय करेगी।
जेपीएस राठौर, अध्यक्ष राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।
ऐसे बनाया गया ब्लैकमेलिंग का प्लान : चिन्मयानंद के वीडियो क्लिप की बात संजय सिंह ने अपने चचेरे भाई विक्रम सिंह को बतायी थी। दोनों ने रुपये मांगने का प्लान बनाया। संजय के मौसेरे भाई सचिन सेंगर को इसमें शामिल किया। बात नहीं बनी तो विक्रम सिंह ने अपने बहनोई अजीत सिंह को पूरा प्रकरण बताया। अजीत सिंह डीपी सिंह के दूर के रिश्तेदार भी हैं। बातचीत हुई तो डीपी सिंह भी ब्लैकमेलिंग की योजना में शामिल हो गए। इस बीच छात्राव युवक जब दौसा चले गए थे तब जानकारी होते ही अजीत सिंह व डीपीएस राठौर भी फरुखाबाद के रास्ते वहां पहुंच गए। जहां छात्रासे पेन ड्राइव लेकर वापस शाहजहांपुर आ गए। इसके बाद चिन्मयानंद से पेन ड्राइव के बदले डीलिंग शुरू हुई, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और चिन्मयानंद ने इन्कार कर दिया।
अजीत ने की थी रुपयों की मदद: वीडियो वायरल करने के बाद छात्राव संजय दिल्ली, शिमला व अन्य स्थानों पर रहे। होटलों में रुकने पर खर्च आदि का इंतजाम विक्रम ने किया। माना जा रहा है कि विक्रम को खर्च के लिए रुपयों की मदद अजीत के जरिए ही की गई थी।
अब शुरु होगा सीजेएम कोर्ट में ट्रायल : चार्जशीट दाखिल करने के साथ ही चिन्मयानंद प्रकरण में पांचों आरोपितों की न्यायिक हिरासत खत्म हो गई। अब सीजेएम कोर्ट में ट्रायल चलेगा। दुष्कर्म मामले में चिन्मयानंद को 18 नवंबर व छात्रासमेत रंगदारी के चारों आरोपितों को 19 नवंबर को पेश किया जाएगा। चिन्मयानंद को एसआइटी ने बीस सितंबर को छात्रासे दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया था। जबकि उनसे रंगदारी मांगने के आरोप में संजय सिंह, सचिन सेंगर व विक्रम सिंह को भी उसी दिन गिरफ्तार करते हुए न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था। इसके पांच दिन बाद छात्राको भी रंगदारी मांगने के आरोप में जेल भेजा गया। दोनों प्रकरण में आरोपितों की न्यायिक हिरासत खत्म हो गई। अब पांचों लोगों पर दर्ज मुकदमे में कोर्ट ट्रायल चलेगा। वहां से जो फैसला होगा उसके आधार पर पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी।
साथ रहे लेकिन नहीं मिलाई आपस में नजर : करीब तीन माह पहले चारों लोग कुछ समय तक एक साथ रहे। चिन्मयानंद के अलावा पुलिस से बचने के लिए हर कोशिश कर रहे थे, लेकिन गिरफ्तारी के बाद उनका आपस में मिलना नहीं हुआ। करीब सवा महीने से जेल परिसर में ही बंद होने के बाद भी आमना-सामना नहीं हुआ। बुधवार को एसआइटी ने चार्जशीट दाखिल की तो चारों एक ही समय पर कोर्ट में पेश किए गए। तीनों युवक को कटघरे में खड़ा किया गया, जबकि छात्रापास में ही खड़ी थी। पर उन लोगों की आपस में नजर तक नहीं मिली। कुछ ही देर में वहां पर कांस्टेबल पहुंच गई और कटघरे व छात्राके बीच खड़ी हो गई।