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RTI : नोटबंदी के राज खोलने से केंद्रीय वित्त मंत्रालय का इन्कार

नोटबंदी ने केंद्र सरकार की छवि कड़े फैसले लेने की गढ़ी है मगर कुछ सवाल अब भी राज हैं। केंद्रीय वित्त मंत्रालय दो साल बाद भी राजफाश करने से कतरा रहा है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 09:39 PM (IST)Updated: Thu, 22 Nov 2018 02:04 PM (IST)
RTI : नोटबंदी के राज खोलने से केंद्रीय वित्त मंत्रालय का इन्कार
RTI : नोटबंदी के राज खोलने से केंद्रीय वित्त मंत्रालय का इन्कार

जेएनएन, बरेली नोटबंदी से केंद्र सरकार की छवि कड़े फैसले लेने वाली बनी लेकिन कुछ सवाल अब भी राज बने हैं। उनका उत्तर देने में केंद्रीय वित्त मंत्रालय दो साल बाद भी कतरा रहा है। राइट टू इंफॉर्मेशन एक्ट (आरटीआइ) में पूछे कुछ सवालों से यह साफ हुआ। आठ नवंबर 2016 यानी नोटबंदी से एक दिन पहले तक इस फैसले की खबर किन लोगों को थी? नोटबंदी से पहले क्या तैयारियां थीं..? वित्त मंत्रालय ने नुकसान से जुड़े सवालों से तो किनारा कर लिया मगर इसके कुछ फायदे जरूर जवाब में गिनाए हैं। 

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मंत्रालय का तर्क है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा, देशहित, एकता और अखंडता से जुड़ा मसला है। लिहाजा, जानकारी नहीं दी जा सकती है। मंत्रालय के वित्त और आर्थिक मामलों के मुद्रा विभाग में अंडर सेक्रेटरी जीके सिन्हा ने नोटबंदी के फायदे समेत अन्य सवालों के जवाब में यह लिखा है। 

आतंकियों को फंडिंग रुकी 

बुखारा गांव निवासी शिवम कुमार ने आरटीआइ के तहत पांच सवाल पूछे। इसमें एक सवाल नोटबंदी से जुड़े फायदे और नुकसान पर था, जिस पर जवाब नहीं आया। फायदे में मंत्रालय ने कुछ बिंदुओं का जिक्र करते हुए कहा कि नोटबंदी से पहले जाली करेंसी चलन में थी। इसे ट्रैस करना मुश्किल था। दूसरा भारतीय मुद्रा आतंकी गतिविधियों और मानव तस्करी में इस्तेमाल होती थी। अब इस पर रोक लगी है। 

18 फीसद बढ़ा प्रत्यक्ष कर 

मंत्रालय ने बताया कि नोटबंदी का ही कमाल है कि वर्ष 2017-18 में प्रत्यक्ष कर वसूली में 18 फीसद की बढ़ोतरी हुई है, जो पिछले सात सालों में सर्वाधिक है। इसमें 10.03 लाख करोड़ कर जमा हुआ है। इसके अलावा पर्सनल इनकम टैक्स में भी इजाफा हुआ है। इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या भी 25 फीसद तरक्की के साथ 6.86 करोड़ तक पहुंच गई है। 

पीएमओ ने कहा, सूचना के दायरे में नहीं 

शिवम कुमार ने एक दूसरी आरटीआइ में प्रधानमंत्री कार्यालय से यह पूछा था कि प्रधानमंत्री को किस कानून के तहत नोटबंदी लागू करने का अधिकार है। इसके जवाब में पीएमओ कार्यालय में अवर सचिव प्रवीन कुमार ने लिखा कि यह सूचना के अधिकार के दायरे में नहीं आता है। 


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