नोटबंदी के समय एसबीआइ ने ठिकाने लगाए थे करोडों, पर्तें उधेड रही सीबीआइ
नोटबंदी के दौरान सफेदपोशों का काला धन खपाने के आरोप की जांच को आए सीबीआइ के अधिकारियों ने पूछताछ की।
By Edited By: Published: Fri, 15 Feb 2019 12:59 AM (IST)Updated: Fri, 15 Feb 2019 12:59 AM (IST)
जेएनएन, बरेली : नोटबंदी के दौरान सफेदपोशों का काला धन खपाने के आरोप की जांच को आए सीबीआइ के अधिकारी ने गुरुवार को दूसरे दिन भी बैंक स्टाफ से पूछताछ की। एसबीआइ की मुख्य शाखा में उस समय तैनात रहे अफसरों व कर्मचारियों को अन्य जनपदों से बुलाया गया था। उनसे भुगतान व जमा करने की जानकारी जुटाई गई। उनके बयान भी दर्ज किए। देश भर में आठ नवंबर 2016 को पांच सौ और एक हजार रुपये के पुराने नोटों को प्रतिबंधित कर दिया गया था। इसका मुख्य मकसद काला धन बाहर निकालना था। जिन लोगों के पास पुराने नोट थे, उन्हें बदलने व जमा करने का काम बैंकों के हवाले किया गया। लोगों की सुविधा के लिए रुपये बदलने, खातों में जमा करने व भुगतान की लिमिट तय कर दी गई। इसमें बैंकों ने खेल करना शुरू कर दिया। एसबीआइ की मुख्य शाखा के खिलाफ बड़ी संख्या में काला धन खपाने का आरोप लगा। फर्जी आइडी पर नोट बदलने, खातों में लिमिट से अधिक रुपया जमा व भुगतान करने समेत नए खाते खोलने आदि आरोप लगाए गए। इस पर केंद्र स्तर से जांच शुरू की गई। बुधवार को सीबीआइ के एक अधिकारी ने मुख्य शाखा में आकर जांच की। नोटबंदी के दौरान मुख्य शाखा में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों से पूछताछ की। भुगतान, जमा व बदले गए नोटों के रिकार्ड भी जुटाए। नोटबंदी के दौरान के कई अधिकारी व कर्मचारी के तबादले हो गए हैं। ऐसे अधिकारियों व कर्मचारियों को गुरुवार को मुख्य शाखा में बुलाकर पूछताछ की गई। शाम तक सीबीआइ अधिकारी ने जानकारी जुटाई। भुगतान व जमा पर की पूछताछ सीबीआइ अधिकारी ने नोटबंदी के दौरान खातों में जमा कराई गई बड़ी रकम के बारे में जानकारी ली। उन्होंने शादी, बीमारी व अन्य इमरजेंसी के लिए अधिक मात्रा में हुई निकासी के रिकार्ड भी लिए। आरबीआइ की गाइडलाइन के अनुसार किए गए कार्यो की पूछताछ की। इस तरह गड़बड़ी करने का आरोप नोटबंदी के दौरान कई बैंकों पर गड़बड़ी के आरोप लगाए गए। आरोप हैं कि नए खाते खोलकर करोड़ों रुपये खपाए गए। वर्षो से निष्क्रिय पड़े खातों में भी रुपया जमा कराया गया। नोट बदलने की प्रक्रिया में तमाम फर्जी आइडी का भी इस्तेमाल किया गया। खातों में निर्धारित सीमा से अधिक रकम जमा की गई और शादी, बीमारी या फिर अन्य इमरजेंसी नाम पर लोगों को अधिक भुगतान किया गया।
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