यात्रियों को नहीं भा रहा डिब्बा बंद भोजन, बोले गुणवत्ता की नहीं है गारंटी
ट्रेनों की पैंट्रीकार से मिल रहा पैक्ड भोजन (रेडी टू ईट मील) यात्रियों को रास नहीं आ रहा है। यात्री ताजा दाल-चावल और थाली की मांग कर रहे हैं। उधर वेंडरों के सामने संकट है कि उन्हें सिर्फ पैक्ड व्यंजन बेचने के निर्देश हैं।
बरेली, जेएनएन। ट्रेनों की पैंट्रीकार से मिल रहा पैक्ड भोजन (रेडी टू ईट मील) यात्रियों को रास नहीं आ रहा है। यात्री ताजा दाल-चावल और थाली की मांग कर रहे हैं। उधर वेंडरों के सामने संकट है कि उन्हें सिर्फ पैक्ड व्यंजन बेचने के निर्देश हैं। वेंडरों का कहना है कि इसको लेकर यात्रियों से काफी नोकझोंक होती है।
यात्रियों का कहना है कि डिब्बा बंद (रेडी टू ईट) भोजन की शुद्धता और गुणवत्ता की कोई गांरटी नहीं है। ऐसे में भोजन की थाली ही बेहतर विकल्प है। एक जून से शुरू हुई ट्रेन सेवा में जिन ट्रेनों में पैंट्रीकार की व्यवस्था है उनमें सिर्फ पैक्ड आइटम और रेडी टू ईट मील की ही सप्लाई दी जा रही है। चिप्स, बिस्किट तो यात्री ले रहे हैं, लेकिन डिब्बा बंद भोजन से तौबा कर रहे हैं। जंक्शन में स्टाल लगाए वेंडरों के मुताबिक ट्रेन रुकने पर कई यात्री उनसे दाल, चावल, नाश्ते में पूड़ी सब्जी की डिमांड कर रहे हैं। जबकि सभी वेंडर भी इस समय पैक्ड आइटम ही रख रहे हैं। ट्रेन प्लेटफार्म पर रुकने पर कुछ ही लोग पैक्ड आइटम खरीद रहे हैं। जबकि दाल-चावल पूछने वालों की संख्या अधिक रहती है।
रेडी टू ईट से नहीं भर रहा पेट
ट्रेनों में मिल रहे रेडी टू ईट खाने से यात्रियों का पेट नहीं भर रहा है। इसके लिए लोगों ने अपनी शिकायत इंटरनेट मीडिया के माध्यम से डीआरएम मुरादाबाद से की है। जीके मिश्रा ने ट्वीट करते हुए रेल मिनिस्ट्री ऑफ इंडिया व डीआरएम मुरादाबाद, महाप्रबंधक उत्तर रेलवे, उत्तर रेलवे, पीयुष गोयल ऑफिस को ट्वीट किया है। जिसमें 90 रुपये में मिलने वाले इस खाने से एक आदमी का पेट न भरने व गरीब आदमी के लिए कोई विकल्प न होने की बात कही गई है।रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी राजेंद्र सिंह का कहना है कि संक्रमण से बचाव के लिए सिर्फ पैक्ड आइटम ही देने की व्यवस्था है। रेल बोर्ड के आदेशों का पालन कराया जा रहा है।