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Festival : यहां तो बसे ही बीमार है कैसे मिलेगी यात्रियों को सुविधा Bareilly News

फिर भैया दूज। बाहर कार्यरत लोग शहर स्थित अपने घर आएंगे तो यहां बसे लोग अपने शहर जाएंगे। रोडवेज पर इन्हें सुलभ परिवहन संसाधन मुहैया कराने की बड़ी चुनौती है।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Fri, 18 Oct 2019 09:22 AM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2019 09:22 AM (IST)
Festival : यहां तो बसे ही बीमार है कैसे मिलेगी यात्रियों को सुविधा Bareilly News
Festival : यहां तो बसे ही बीमार है कैसे मिलेगी यात्रियों को सुविधा Bareilly News

जेएनएन, बरेली : दिवाली, फिर भैया दूज। बाहर कार्यरत लोग शहर स्थित अपने घर आएंगे तो यहां बसे लोग अपने शहर जाएंगे। रोडवेज पर इन्हें सुलभ परिवहन संसाधन मुहैया कराने की बड़ी चुनौती है। लेकिन, जिम्मेदारी से पहले ही 50 बसें मैदान से बाहर हैं। मरम्मत के इंतजार में कार्यशाला में खड़ी हैं। खास बात, इसी दौरान आला हजरत का 101वां उर्स भी है, जिसमें तमाम जिलों व राज्यों से जायरीन शहर आएंगे-जाएंगे।

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25 अक्टूबर को धनतेरस से ही यात्रियों का भार रोडवेज पर बढ़ने लगेगा। इसके बाद दीपावली से लेकर फिर भैयादूज तक यही स्थिति रहेगी। बरेली में दिल्ली, आगरा, मथुरा और मेरठ रूट से यात्रियों का भार रहेगा तो यहां से लखनऊ, कानपुर, फरुखाबाद रूट पर लोड अधिक होने की संभावना है। इसके लिए उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के बरेली परिक्षेत्र ने रुहेलखंड व बरेली डिपो दोनों के बेड़ों की सभी 323 बसों को सड़क पर दौड़ाने का निर्णय लिया है। 25 अक्टूबर से तीन नवंबर तक चालक, परिचालक और कर्मचारियों के अवकाश भी निरस्त कर दिए हैं।

रोज मरम्मत को पहुंचती हैं 45-50 बसें: रोडवेज की तैयारी और दावे तो बहुत हैं, लेकिन खटारा बसों के भरोसे यह पूरे होने मुमकिन नहीं। इसलिए क्योंकि हर रोज औसतन 45-50 बसें रुहेलखंड और बरेली डिपो के वर्कशॉप में मरम्मत के लिए पहुंचती हैं। गुरुवार को भी सेटेलाइट स्थित वर्कशॉप में लगभग 50 बस खड़ी थीं। कुछ की मरम्मत हो चुकी थी तो अधिकांश में काम चल रहा था। इन सभी के त्योहारी सीजन में सड़क पर उतरने के आसार कम ही हैं।

दिल्ली-आगरा मार्ग पर रहेगी चुनौती: रुहेलखंड और बरेली डिपो के बेड़े में पुरानी बसों की संख्या अधिक है। ज्यादातर बसें दस लाख किलोमीटर से भी अधिक का सफर कर चुकी हैं। इन्हें ही सबसे अधिक मरम्मत की जरूरत है। चालक बताते हैं कि लंबे मार्ग पर पुरानी बसें दौड़ाई गईं तो कई रास्ते में ही खड़ी हो सकती हैं।

मरम्मत के लिए सामान की भी किल्लत: वर्कशॉप के कर्मचारियों के मुताबिक रिपेयरिंग के लिए सामान समय से नहीं मिल रहा। स्थानीय स्तर पर खरीद कम होती और निगम मुख्यालय से भी सामान देरी से आता है।

अभी हमारे पास छह-सात दिन हैं। लखनऊ से टायर, बैट्री व अन्य सामान की आपूर्ति एक-दो दिन में हो जाएगी। त्योहार पर सभी बसें संचालित होंगी। मरम्मत कार्य तेज किया गया है। सभी बसें चेकिंग कर निकालते हैं ताकि रास्ते में कोई समस्या न आए। -एसके बनर्जी, क्षेत्रीय प्रबंधक रोडवेज


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