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Jagran Special : सावधान ! जानवर पालने का शौक बना सकता है नपुंसक, जानि‍ए कैसे

अगर पशुओं को पालना आपका शौक है तो थोड़ा सतर्क हो जाएं। पशुओं के कुछ रोग मनुष्यों के लिए खतरनाक हो सकते हैं। इनमें से ऐसा ही एक रोग है जो पुरुषों को नपुंसक बना सकता है ।

By Edited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 02:17 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 05:51 PM (IST)
Jagran Special : सावधान ! जानवर पालने का शौक बना सकता है नपुंसक, जानि‍ए कैसे
Jagran Special : सावधान ! जानवर पालने का शौक बना सकता है नपुंसक, जानि‍ए कैसे

 बरेली, [अखिल सक्सेना] । गाय, भैस, बकरी आदि पालने का शौक आपकाे भारी पड़ सकता है। जरा सी लापरवाही से आप नपुंसकता जैसे गंभीर रोग का शिकार भी हो सकते है। आपको सुनने में या यह जानकर अजीब लगेगा। थोड़ा हैरानी भी होगी। लेकिन आइवीआरआइ के विशेषज्ञों की मानें तो इन पशुओं में होने वाला ब्रूसीलोसिस रोग आपके लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। पालतु पशुओं में होने वाले इस रोग पर जब शोध किया गया तो हैरान करने वाली यह रिपोर्ट सामने आई। विश्व पशुजन्य रोग दिवस पर जब इस शोध में शामिल रहे आइवीआरआइ के पशुजन स्वास्थ्य विभाग के हेड डा एसवीएस मलिक से दैनिक जागरण ने बात की तो उन्होंने इस बीमारी के चपेट में आने से बचाव के रास्ते भी बताए।

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 सन 2019 में आइवीआरआइ ने हिसार के लाला लाजपत राज्य कृषि विश्वविद्यालय के साथ मिलकर 22 जिलों के 2,225 पालतू पशुओं में पाए जाने वाले ब्रूसीलोसिस रोग की जांच की। जांच के दौरान पता चला कि इनमें से 272 पशु इस रोग से संक्रमित है। जिनकी मौत के बाद अगर इनको दफनाने में जरा सी भी लापरवाही की तो मनुष्य भी इस रोग की चपेट में आ सकता है। डॉ मलिक के अनुसार इस बीमारी की वजह से पशुओं में तीसरे महीने में ही गर्भपात हो जाता है।

खतरनाक होता है पीडित जानवर का दूध

अक्सर लोग पशुओं की बिना जांच करवाएं ही खरीद लाते है। फिर उसके दूध को बेचते है। डॉ एसवीएस मलिक बताते है कि अगर ब्रूसीलोसिस रोग से ग्रसित होने की वजह से पशुओं का तीन माह में गर्भपात हो चुका है। तो उस पशु के कच्चे दूध का इस्तेमाल पनीर, क्रीम, आइसक्रीम, कुल्फी, दूध, आदि में सबसे हानिकारक है। क्योंकि उसमें जीवाणु होते है। जिसके सेवन से व्यक्ति नपुंसकता का शिकार हो सकता है।

पशुओं से इंसानों में फैलता है ब्रूसीलोसिस

ब्रूसीलोसिस बीमारी एक संक्रामक रोग है जो पशुओं से इंसानों में फैलती है। जो ब्रूसेला बैक्टीरिया के जरिए होता है। इस बीमारी को लहरदार बुखार या माल्टा ज्वर के नाम से भी जाना जाता है। यह रोग मुख्यत: शूकर, बकरी, भेड़ और कुत्तों में होता है। यह रोग बीमारी संक्रमित जानवर के संपर्क में आने से हो सकती है।

इन लक्षणों को नजरअंदाज करना पडे़गा भारी

इस रोग के लक्षणों मेें मुख्यत: बुखार आना, अत्याधिक पसीना आना, कमजोरी लगना है। इसके साथ ही अंडकोष में सूजन आने व जोडों में दर्द की शिकायत होने काे बिल्कुल नजरअंदाज न करें। डा मलिक के अनुसार मनुष्यों को प्रभावित करने वाले 1415 रोगों में से 61 फीसद रोग ऐसे है जो जानवरों से फैलते है। इन्हें जूनोसिस कहते है।

ऐसे किया जा सकता है बचाव

पशु खरीदने से पहले हीे ब्रूसीलोसिस की जांच कराने पर।

पशु मे तिमाही गर्भपात होने पर।

गर्भपात के दौरान मरे हुए पशुओं को उठाने से लेकर गढ्ढे में दफनाते वक्त सावधानी बरतें।

आसपास की जगह को तुरंत सेनिटाइज कराएं।

पशुओं को आवास से दूर बांधे।


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