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ऐ भाई.. जरा हेलमेट लगाकर चलो

जान है तो जहान है - 369 लोग इस साल हादसे में मारे गए, कोई नहीं लगाए था हेलमेट प्वाइंटर 369 लोग इस साल हादसे में मारे गए, कोई नहीं लगाए था हेलम

By Edited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 09:21 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 01:50 PM (IST)
ऐ भाई.. जरा हेलमेट लगाकर चलो
ऐ भाई.. जरा हेलमेट लगाकर चलो

बरेली(जेएनएन)। लाख कवायद के बाद भी लोग हेलमेट व सीट बेल्ट नहीं लगा रहे। पुलिस की मानें तो सड़क हादसों में मरने वाले 90 फीसद दो पहिया चालक हेलमेट नहीं लगाए थे। कुछ तो हादसे ऐसे भी हुए जिसमें वाहन चालक हेलमेट बाइक पर टांगे था। हादसे में उसकी जान चली गई। पुलिस ने महज तीन महीने में हेलमेट न होने पर छह हजार से ज्यादा चालान काटे हैं। इस साल वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस का सबसे ज्यादा फोकस हेलमेट पर रहा। हेलमेट को लेकर कार्रवाई पर पुलिस वालों पर भी लगे कि उनका चालान नहीं किया जा रहा। इसके बाद पुलिस लाइन्स में स्पेशल अभियान चलाकर पुलिस वालों कार्रवाई हुई।

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हेलमेट न होने पर ताबड़तोड़ चालान

हम अपनी जान को लेकर कितने बेपरवाह हैं, आंकड़े देखें। पिछले तीन महीने में ट्रैफिक पुलिस ने 6038 बाइक सवारों के चालान हेलमेट न होने के कारण काटे। जान जाने की बड़ी वजह भी हेलमेट न लगाना कितना खतरनाक है, अब यह आंकडे़ जानें। इस साल अब तक हुए सड़क हादसों में करीब 369 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें एक भी बाइक सवार ऐसा नहीं था जो हेलमेट पहने था। चौपुला पुल पर करीब आठ महीने पहले हुए एक सिपाही के एक्सीडेंट के मामला और भी चौंकाने वाला था। उसके पास हेलमेट था मगर, सिर के बजाए बाइक पर टंगा था। लोगों का कहना था अगर सिपाही हेलमेट लगाया होता तो जान बच जाती।

सीट बेल्ट न लगाने की भी होड़

बाइक वालों की तरह नियम तोड़ने में कार वाले भी पीछे नहीं हैं। हालांकि, उनके चालान की तादात काफी कम है। तीन महीने में बगैर सीट बेल्ट को लेकर महज 281 चालान ही हुए। उसकी मुख्य वजह यह है कि शहर में कारों की चेकिंग कम ही होती है।

आइएसआइ मार्का हेलमेट मतलब जान बचने की गारंटी

पुलिस ने जब से जागरूकता अभियान चलाना शुरू किया है, हेलमेट बेचने वालों की बाढ़ सी आ गई है। जगह-जगह सड़क किनारे हेलमेट बेचते हुए लोग दिख जाएंगे। आपको बता दें यह हेलमेट किसी काम के नहीं। इन हेलमेट की गुणवत्ता इतनी अच्छी नहीं होती कि जान बचा सकें। लिहाजा आइएसआइ मार्का हेलमेट ही पहनें। इसके लिए पहले यह जानना पड़ेगा कि आइएसआइ का मतलब क्या है। आइएसआइ (इंडियन स्टैंडर्ड इंस्टीट्यूशन) भारतीय मानक संस्थान हैं। इसमें किसी भी उत्पाद को सुरक्षा व गुणवत्ता की कसौटी पर बारीकी से परखा जाता है। जांच में पास होने के बाद ही आइएसआइ का लोगो लगाकर इन हेलमटों को बाजार में बिक्री के लिए लाया जाता है। इसके विपरीत सड़क किनारे बगैर आइएसआइ के लोगो लगे हेलमेट की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं।

एक हजार से दो हजार रुपये के बीच कीमत

बाजार में आइएसआइ मार्का हेलमेट एक हजार से दो हजार रुपये के बीच काफी बेहतरीन मिल जाएंगे। इसके बाद आप अपनी पंसद के हिसाब से महंगे व स्टाइलिस्ट हेलमेट भी ले सकते हैं।

कार की फ्रंट सीट पर न बैठाएं बच्चों को

कार चलाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि कभी भी बच्चों को आगे की सीट पर नहीं बैठाना चाहिए। अभियान के दौरान ट्रैफिक पुलिस कार चालकों को इस बाबत भी जानकारी दे रही है। दरअसल, बच्चों को आगे वाली फ्रंट सीट पर बैठाने पर हादसे की आशंका ज्यादा बढ़ जाती है। वजह यह है कि बच्चे की जरासी लापरवाही से गलत गियर पड़ सकता है। इससे हादसा हो सकता है। इसके अलावा अगर कार का डोर लॉक नहीं है तो बच्चों की शरारत से दरवाजा खुल सकता है। खास बात यह कि बच्चे की गतिविधियों को लेकर ड्राइवर का ध्यान भी भटकता रहेगा। लिहाजा बेहतर यही होगा कि बच्चों को कभी भी आगे की सीट पर न बैठाएं।

छात्राओं को पुलिस ने किया जागरूक

मंगलवार को पुलिस ने स्कूली छात्राओं को जागरूक किया। साहू गोपीनाथ कन्या इंटर कॉलेज व मैथोडिस्ट कन्या इंटर कॉलेज में जाकर ट्रैफिक पुलिस ने यातायात नियमों, संकेतों के बारे में बताया। दो पहिया वाहन पर हेलमेट पहनकर व कार में सीट बेल्ट लगाकर चलने के लिए प्रेरित किया गया। इस दौरान ट्रैफिक पुलिस ने छात्राओं के सवालों के जवाब भी दिए। इसके अलावा पुलिस ने सेटेलाइट चौराहे पर पंफलेट बांटकर व रेडियम स्टीकर्स लगाकर लोगों को जागरूक किया।


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