रुढियों की जंजीरों को तोड़ मुस्लिम जुड़वा बहनें खेल की दुनिया में बना रही अलग मुकाम Bareilly News
कर दिखाओ कुछ ऐसा कि दुनिया करना चाहे आपके जैसा..। 17 साल की जुड़वा बहनें मुबशारा और गजाला भी ऐसी ही मिसाल हैं।
जेएनएन, बरेली : कर दिखाओ कुछ ऐसा कि दुनिया करना चाहे आपके जैसा..। 17 साल की जुड़वा बहनें मुबशारा और गजाला भी ऐसी ही मिसाल हैं। गरीबी के बावजूद दोनों ने रूढ़िवादी मानसिकता की दहलीज पार और आगे बढ़ती गईं। मजदूर पिता ने भी दोनों को पंछी की तरह आजादी दी। आज वे खेल के जरिये दुनिया अपनी मुठ्ठी में करने को तैयार हैं। अवंतीबाई राजकीय गर्ल्स डिग्री कॉलेज से दोनों बीए की पढ़ाई कर रही हैं। एथलेटिक्स टीम का अहम हिस्सा बन चुकी ये बेटियां अब उन लाखों लोगों के लिए नजीर हैं जो बेटियों के सपने पूरे नहीं होने देते हैं ।
मजदूर पिता ने दिखाई तरक्की की राह : मुबशारा और गजाला यहां कांकरटोला गौसिया मस्जिद की रहने वाली हैं। पिता अब्दुल सलीम मजदूरी करते है। गजाला कहती हैं कि आज भी समाज में लड़कियों को घर से बाहर निकलने की आजादी कम है। इसी मानसिकता को बदलने के लिए परिवार ने उन्हें आगे बढ़ाया। संसाधन नहीं थे लेकिन हौसला दिया। हर कदम पर पूरा परिवार साथ रहा।
अभ्यास में हाथ टूट गया लेकिन हौसला नहीं : मुबशारा बताती हैं कि इंटर की पढ़ाई के दौरान वह स्कूल की वॉलीबाल टीम में चयनित हो गईं। अभ्यास के दौरान उनका हाथ टूट गया। फिर भी घरवालों ने उन्हें आगे बढ़ने का हौसला दिया। महाविद्यालय में एडमिशन लेने के बाद यहां एथलेटिक्स की प्रैक्टिस करने लगीं। दोनों जुड़वा बहनें महाविद्यालय की प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन करती हैं और इंटर यूनिवर्सिटी में भी दमखम दिखाने को बेताब है।