Chinmayanad Case : अब लखनऊ में हाेगी छात्रा से दुष्कर्म और पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद से ब्लैकमेलिंग केस की सुनवाई Shahjahanpur News
पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद के खिलाफ चल रहे छात्रा से दुष्कर्म व उनसे ब्लैकमेलिंग के मुकदमों की सुनवाई लखनऊ में होगी।
जेएनएन, शाहजहांपुर : पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद के खिलाफ चल रहे छात्रा से दुष्कर्म व उनसे ब्लैकमेलिंग के मुकदमों की सुनवाई लखनऊ में होगी। हाईकोर्ट के आदेश पर दोनों मुकदमों की पत्रवलियां लखनऊ की सेशन कोर्ट में स्थानांतरित कर दी गई हैं। बुधवार को चिन्मयानंद की पहली पेशी अब वहीं होगी।
चिन्मयानंद पर लगे दुष्कर्म के आरोप के मुकदमे की सुनवाई एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट एडीजे तृतीय में चल रही थी। तीन फरवरी को जमानत हाईकोर्ट से मंजूर हुई थी। हाईकोर्ट ने दुष्कर्म व चिन्मयानंद से ब्लैकमेलिंग के मुकदमों की सुनवाई शाहजहांपुर के बजाय लखनऊ सेशन कोर्ट में कराने के आदेश भी दिए थे। पांच फरवरी को चिन्मयानंद की जेल से रिहाई हुई थी।
सितंबर माह में हुई थी गिरफ्तारी
वर्ष 2019 सितंबर महीने में स्वामी चिन्मयानंद की गिरफ्तारी उनके मुमुक्ष आश्रम से हुई थी। स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) टीम ने यूपी पुलिस के साथ मिलकर चिन्मयानंद को आश्रम से गिरफ्तार किया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो सदस्यीय विशेष पीठ गठित करवा कर पूरे मामले की जांच के लिए एसआइटी गठित करने का निर्देश दिया था।
वीडियो वायरल होने पर सामने आया था, मामला
मुमुक्षु अाश्रम के एसएस लॉ कॉलेज की छात्रा ने फेसबुक पर वीडियों पाेस्ट कर वायरल किया था। जिसमें उसने स्वामी चिन्मयानंद पर यौन शोषण करने का आरोप लगाया था। जिसके दूसरे दिन छात्रा लापता हो गई थी। छात्रा के परिजननों ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पर अगवा कराने का आरोप लगाया था। थाने में तहरीर दी थी। जिसके बाद स्वामी चिन्मयानंद के वकील ओम सिंह ने अज्ञात नंबर से ब्लैकमेंलिंग कर पांच करोड़ रुपये मांगे जाने का खुलासा किया था।
छात्रा के मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था केस
एसपी ने छात्रा की बरामदगी के लिए तीन टीमें गठित की थी, पुलिस ने स्वामी चिन्मयानंद सहित अन्य के खिलाफ अपहरण, आपराधिक धमकी सहित कई धाराओं में मामला दर्ज किया था। जिसके बाद यूपी पुलिस ने दौसा (राजस्थान) में मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के पास लॉ छात्रा को उसके एक दोस्त के साथ पाया था। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने लॉ छात्रा को पेश करने के आदेश दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित हुई थी एसआइटी
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि मामले में स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) टीम का गठन किया जाए। जो दुष्कर्म के लगे आरोपों की जांच करेगी। कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से मामले में दर्ज दो क्रॉस एफआइआर में जांच की निगरानी के लिए एक बेंच गठित करने का आग्रह किया था। जिसके बाद यूपी के डीजीपी ने आइजी नवीन अरोड़ा के अधीन एसआइटी का गठन किया।
छात्रा के पिता ने एसआइटी को सौंपी थी पेन ड्राइव
चिन्मयानंद ने अपने शैक्षणिक संस्थानों को बदनाम करने व स्वयं के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया था।जिसके बाद चिन्मयानंद का मालिश करते हुए एक और वीडियो वायरल हुआ। एसआइटी ने स्वामी से पूछताछ की। उनका कमरा सील करने के साथ ही बिना अनुमति आश्रम से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी थी। छात्रा के पिता ने एसआटी को चिन्मयानंद के 43 वीडियो क्लिप वाली पेन ड्राइव सौंपी थी।
दुष्कर्म का केस दर्ज न होने पर हाईकोर्ट पहुंची थी छात्रा
छात्रा को कोर्ट लाया गया। जेएम प्रथम कोर्ट में बयान दर्ज कराए गए। कड़ी सुरक्षा के बीच छात्रा को घर भेजा गया था। बयान दर्ज होने के बाद देर शाम स्वामी चिन्मयानंद की हालत अचानक बिगड़ी। मेडिकल कॉलेज और प्राइवेट डॉक्टरों की टीम आश्रम में उनके आवास दिव्य धाम पहुंची थी, और उपचार किया था ।चिन्मयानंद के खिलाफ दुष्कर्म का केस दर्ज न होने से नाराज छात्रा इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंची थी, जहां उसने गिरफ्तारी न होने पर आत्महत्या करने की बात कहीं थी।
चार्जशीट दाखिल कर भाजपा नेता को बनाया था आरोपित
एसआइटी ने चिन्मयानंद को गिरफ्तार कर14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा था। चिन्मयानंद से ब्लैकमेलिंग में संजय, विक्रम और सचिन को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा था। नवंबर में एसआइटी ने मामले में अपनी चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री डीपीएस राठौर और भाजयुमो के पूर्व जिला महामंत्री अजीत सिंह को भी ब्लैकमेलिंग का आरोपित बनाया था।