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बरेली में अब कोविड में इस्तेमाल होने वाली एक-एक दवा का दुकानदारों को देना होगा हिसाब

कोविड संक्रमण के बाद अस्पतालों में बेड और आक्सीजन के लिए मरीज परेशान हो रहे है। शिकायतें हैं कि रेमडेसिविर इंजेक्शन महंगी कीमतों वसूलने के बाद मरीजों को लगाए जा रहे हैं। कोविड मरीजों को होम आइसोलेशन में दी जाने वाली दवा फैबिफ्लू भी कालाबाजारी का शिकार हो चुकी है।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Thu, 22 Apr 2021 10:49 AM (IST)Updated: Thu, 22 Apr 2021 10:49 AM (IST)
बरेली में अब कोविड में इस्तेमाल होने वाली एक-एक दवा का दुकानदारों को देना होगा हिसाब
सहायक आयुक्त ड्रग हुए सख्त, ड्रग और फूड विभाग के अधिकारियों की टीमें तैनात।

बरेली, जेएनएन। कोविड संक्रमण के बाद अस्पतालों में बेड और आक्सीजन के लिए मरीज परेशान हो रहे है। शिकायतें हैं कि रेमडेसिविर इंजेक्शन महंगी कीमतों वसूलने के बाद मरीजों को लगाए जा रहे हैं। कोविड मरीजों को होम आइसोलेशन में दी जाने वाली दवा फैबिफ्लू भी कालाबाजारी का शिकार हो चुकी है। मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाकर दवाओं को एमआरपी यानी मिनिमम रिटेल प्राइज से अधिक पर बेचा जा रहा है।

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शासन तक ऐसे मामले पहुंचने के बाद सहायक ड्रग आयुक्त संजय कुमार ने बुधवार देर शाम बरेली के दवा स्टाकिस्ट की बैठक बुलाई। पूछताछ के बाद ड्रग और खाद्य विभाग के कर्मचारियों की चार टीमों को गठन किया गया है। इनका काम दवाओं के स्टॉक की एक-एक गोली और इंजेक्शन का हिसाब लेना होगा। सभी बड़े दवा कारोबारियों को देर रात ही लेटर जारी किए गए है।

रेमडेसिविर इंजेक्शन की बिक्री खुले बाजार में प्रतिबंधित है। बावजूद इसके डॉक्टर पर्चों पर रेमडेसिविर इंजेक्शन लिख रहे है, जिसको लेकर तीमारदार दवा बाजार में भटक रहे है। कोविड अस्पताल को स्वास्थ विभाग की तरफ से रेमडेसिविर इंजेक्शन मुहैया करवाया जा रहा है। फर्क है कि थोड़ी सीमित मात्रा में ही मिलने वाले इंजेक्शन को लेकर खींचतान है। जिला सर्विलांस अधिकारी से लेकर डीएम ऑफिस तक सिफारिश पहुंच रही है। अब कोविड अस्पतालों को भी बताना होगा कि उन्हें कितने इंजेक्शन की खेप मिली, कितने मरीजों को लगाए और उनकी जानकारी क्या है।

फेबिफ्लू के लिए मनमानी वसूली

होम आइसोलेशन में कोविड मरीजों को दी जाने वाली फेबिफ्लू कई कंपनियां अलग-अलग अंकित मूल्य के साथ बाजार में देती है। 600 रुपये के पत्ते से लेकर 1250 रुपये के अंकित मूल्य वाले दवा के पत्ते बाजार में उलपब्ध रहते हैं। अब इस दवा की कालाबाजारी शुरू हो चुकी है। बमुश्किल मिलने वाली दवा के लिए लोग ज्यादा कीमत देने को भी तैयार है। ड्रग अथॉरिटी तक ऐसी शिकायत भी पहुंची है। इंटरनेट मीडिया पर भी ऐसी पोस्ट वायरल हो रही है।

दवा कारोबारियों को स्टॉक के दस्तावेज दुरुस्त देेने होंगे

बैठक में सहायक आयुक्त ड्रग संजय कुमार, ड्रग विभाग के इंस्पेक्टर उर्मिला और विवेक, खाद्य विभाग के चार इंस्पेक्टर, केमिस्ट एसोसिएशन के पदाधिकारी विजय कुमार, मनीष प्राजपति, शोभित गोयल, दुर्गेश खटवानी, रितेश मोहन गुप्ता इस बैठक में मौजूद रहे। चार टीमों को दवाओं के स्टॉक को जांचने के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई। इससे दवा कारोबारियों में हड़कंप भी मचा है। क्योंकि उन्हें स्टॉक के दस्तावेज दुरुस्त करने होंगे। सहायक आयुक्त ड्रग संजय कुमार ने बताया कि कोविड से संबंधित दवाओं की कालाबाजारी नहीं होने दी जाएगी। चार टीमों का गठन किया गया है। दवाओं का स्टॉक जांचा जा रहा है। 


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