Black Fungus Update News : ब्लैक फंगस के इलाज में फायदेमंद एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन किडनी को पहुंचा सकता है नुकसान
Black Fungus Update News हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन रेमडेसिविर फैबिफ्लू और आइवरमैक्टिन जैसी दवाओं और इंजेक्शन के बाद अब एंबिसोम यानि लाइपोसोमल एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की डिमांड तेजी से बढ़ी है। ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) बीमारी के इलाज के लिए इस इंजेक्शन का ही इस्तेमाल किया जाता है।
बरेली, (अंकित गुप्ता)। Black Fungus Update News : हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन, रेमडेसिविर, फैबिफ्लू और आइवरमैक्टिन जैसी दवाओं और इंजेक्शन के बाद अब एंबिसोम यानि लाइपोसोमल एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की डिमांड तेजी से बढ़ी है। ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) बीमारी के इलाज के लिए इस इंजेक्शन का ही इस्तेमाल किया जाता है। ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल किए जा रहे यह इंजेक्शन किडनी पर असर करते हैं, इसलिए चिकित्सक इसे लेकर बेहद सावधानी बरत रहे हैं। ईएनटी स्पेस्लिस्ट के साथ ही किडनी रोग विशेषज्ञ की देखरेख में इन इंजेक्शन का दिया जा रहा है।
कोविड के बाद अब ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) भी महामारी का रूप ले चुका है। बरेली में भी इसके केस दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। रविवार दोपहर तक जिले में कुल 47 केस रिपोर्ट किए गए थे। इनमें 24 केस जिले के जबकि 23 केस दूसरे जिलों के थे। जिले में अब तक 40 मरीजों के ऑपरेशन किए जा चुके हैं। ब्लैक फंगस के मरीज का इलाज ऑपरेशन और एंबिसोम यानि लाइपोसोमल एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन से ही संभव है। मरीज को एक दिन छह इंजेक्शन दिए जाते हैं। एक इंजेक्शन में 50 मिली ग्राम डोज होती है, ऐसे में प्रतिदिन 300 एमएल डोज दी जाती है।
यह इंजेक्शन चार से छह सप्ताह तक लगातार चलते हैं। एसआरएमएस मेडिकल कालेज के ईएनटी सर्जन बताते हैं कि यह इंजेक्शन किडनी के लिए काफी स्ट्रांग होते हैं। इसलिए प्रतिदिन ब्लड टेस्ट कराया जाता है, इसमें देखा जाता है कि यूरिक एसिड की स्थिति क्या है।यूरिक एसिड अगर बढ़ा होता है तो यह इंजेक्शन रोक दिए जाते हैं। ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज कर रहे चिकित्सक बेहद सावधानी बरत कर इंजेक्शन दे रहे हैं। जरा सी लापरवाही घातक साबित हो सकती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि देश के कई हिस्सों में ब्लैक फंगस के मरीजों में किडनी डैमेज और फेल्योर जैसी शिकायततें भी आई हैं।
एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन: एसआरएमएस मेडिकल कालेज के ईएनटी सर्जन डा. रोहित शर्मा बताते हैं कि एंबिसोम यानी लाइपोसोमल एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन का इस्तेमाल कालाजार (ब्लैक फीवर) के इलाज में कई सालों से हो रहा है। इसे नेक्सस्टार फार्मास्यूटिकल्स ने डिवेलप किया था जिसे 1999 में गिलीड साइंसेज ने खरीद लिया। एंफोटेरिसिन-बी में एक ऐंटीफंगल दवा है जो गंभीर फंगल इंफेक्शंस के इलाज में भी इस्तेमाल होती है। म्यूकरमाइकोसिस के अलावा कई अन्य फंगल इन्फेक्शंस का इलाज भी एंफोटेरिसिन-बी के जरिए होता है।
साइड इफेक्ट्स : शहर के प्रमुख ईएनटी विशेषज्ञ डा. गौरव गर्ग बताते हैं कि एंफोटेरिसिन-बी के साइड इफेक्ट्स भी कई हैं इसलिए इसे गंभीर इन्फेक्शंस की स्थिति में या ऐसे मरीजों को दिया जाता है जिनका इम्युन सिस्टम बेहद कमजोर हो। बताते हैं कि कई मरीजों में इंजेक्शन लगने के कुछ देर बाद ही तेज बुखार, हाइपोटेंशन, जी मितलाना, सिरदर्द, सांस फूलना जैसी दिक्कतें आती हैं। धीरे-धीरे रिएक्शन धीमा पड़ता जाता है। बताते हैं कि कुल मामलों में किडनी डैमेज भी देखने को मिला है।