चोरी करके सिर्फ पांच हजार में बेंचते थे बाइकें, पकड़ में न आए बाइक इसलिए बदल देते थे इंजन
हर दूसरे दिन बाइक चोरी की वारदात को अंजाम देने वाले गैंग का मंगलवार को राजफाश हुआ। बरामद की गईं बाइकें बहेड़ी के साथ उत्तराखंड से चोरी की गईं थी। पुलिस ने 14 बाइकों के साथ गैेंग के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है जबकि मुखिया फरार हो गया।
बरेली, जेएनएन। हर दूसरे दिन बाइक चोरी की वारदात को अंजाम देने वाले गैंग का मंगलवार को राजफाश हुआ। बरामद की गईं बाइकें बहेड़ी के साथ उत्तराखंड से चोरी की गईं थी। पुलिस ने 14 बाइकों के साथ गैेंग के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है जबकि मुखिया फरार हो गया।
गैंग के ज्यादातर सदस्य बहेड़ी के ही रहने वाले हैं। इटौआं धुरा का रहने वाला गैंग का सरगना संजीव के इशारे पर चारों आराेपित बाइक चोरी की वारदातों को अंजाम देते थे। चारों आरोपितों में इटौआ धुरा के रहने वाले दिनेश, दानिश, ललित व भोजीपुरा फरीदपुर के संतोष का नाम शामिल है। यह गैंग बहेड़ी व उत्तराखंड से बाइक चोरी करता था और गांव के लोगों को बेंच देता था। चोरी की बरामद की गईं यह बाइकें आरोपितों द्वारा दो माह के भीतर चोरी की गईं हैं। इनमें छह बाइकें बहेड़ी के लोगों की हैं जबकि आठ बाइकों की शिनाख्त नहीं हो सकी है। पुलिस को अंदेशा है कि फरार मुखिया के पकड़े जाने के बाद चोरी की और बाइकें बरामद हो सकती हैं। एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने इस बाबत प्रेस कांफ्रेंस कर जानकारी दी। यह गुडवर्क बहेड़ी पुलिस का है।
स्पेलेंडर थी पहली पसंद, महज पांच हजार में देते थे बेच
आराेपित हर एक बाइक को नहीं छूते थे। स्पेलेेंडर उनकी पहली पंसद थी। बरामद की गईं ज्यादातर गाड़ियां स्पेलेंडर ही हैं। चोरों के मुताबिक, पहली पसंद होने का एक प्रमुख कारण था। इस बाइक का लॉक आरोपित आसानी से खोल लेते थे। यही नहीं गांव वालों को खुद की बाइक बताने के साथ पैसे की तत्काल जरूरत होने की बात कहकर महज पांच हजार रुपये में बाइक बेंच देते थे।
परिवार करता है ट्रांसपोर्ट का काम, भतीजा बाइक चोर
पकड़े गए दानिश के परिवार के पास ट्रांसपोर्ट का काम है। उनके स्वजनों के पास कई ट्रक हैं। दानिश के मुताबिक, आरोपितों के चलते वह गलत संगत में पड़ गया और बाइक चोरी करनेे लगा। जेल जाने से पहले उसके चेहरे पर पछतावे का भाव दिखा।
आरोपित ललित बदल देता था इंजन
आराेपित ललित ने बाइक का काम सीखने के लिए बाइक मैकेनिक की दुकान पर कुछ दिन काम किया। इसके बाद वह मिस्त्री बन गया। लिहाजा, ललित चोरी की बाइकों का इंजन बदल देता था जिससे आसानी से चोरी पकड़ी न जा सके।