FAKE Coronavirus Test News : बरेली में स्वास्थ्य विभाग का बड़ा खेल, जो कभी बरेली आया नहीं उसकी भी कर दी गई कोरोना जांच
FAKE Coronavirus Test News कोरोना जांच का आंकड़ा बढ़ाने के लिए बरेली में फर्जीवाड़ा हुआ है। पिछले तीन महीने में कई ऐसे नाम और फोन नंबर दर्ज कर लिए गए जिनका बरेली से कोई वास्ता नहीं है। कुछ नंबरों पर कॉल की गई तो हकीकत सामने आ गई।
बरेली, (अंकित गुप्ता)। FAKE Coronavirus Test News : कोरोना जांच का आंकड़ा बढ़ाने के लिए बरेली में फर्जीवाड़ा हुआ है। पिछले तीन महीने में कई ऐसे नाम और फोन नंबर दर्ज कर लिए गए, जिनका बरेली से कोई वास्ता नहीं है। इन्हीं में से कुछ नंबरों पर कॉल की गई तो हकीकत सामने आ गई। इन लोगों ने कहा कि वे या उनके परिवार के लोग बरेली गए ही नहीं तो फोन नंबर कैसे दर्ज हो गया। कोई मेरठ का रहने वाला है तो कोई महाराष्ट्र का। दर्ज नाम का शख्स उनके परिवार में है ही नहीं।आंकड़ों में कई नाम ऐसे हैं, जिनके पतेे के सामने सिर्फ बीएलवाई लिखा हुआ है। जबकि नियमानुसार जांच कराने वाला का पूरा पता होना चाहिए। ऐसे 12 संदिग्ध नंबरों पर कॉल की गई तो उनमें चार-पांच फोन नंबर गलत पाए गए। बाकी ने बरेली से कोई वास्ता नहीं होने की बात कही। इनमें कोई गाजीपुर, कोई असोम तो कोई महाराष्ट्र का रहने वाला है। आइये उदाहरण से समझते हैं कैसे फर्जीवाड़ा हुआ।
केस -1 : बरेली से कोई वास्ता नहीं, जांच की बात तो दूर
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में करीब दो महीने पहले कोरोना जांच कराने के नाम पर अनारकली नाम दर्ज किया गया। पता कालम में सिर्फ बीएलवाई लिखा है। मोबाइल नंबर 63......78 दर्ज है। इस नंबर पर कॉल की गई तो रिसीव करने वाला ने अपना नाम जोगिंदर बताया। कहा कि वह सिपाही है और अनारकली नाम की कोई महिला उनके घर में नहीं है। उनका बरेली से कोई वास्ता नहीं रहा।
केस-2 : पोर्टल पर नाम लिखा रेखा, फोन नंबर राम सिंह का
निगेटिव आने वालों में एक अन्य नाम रेखा का है। उनका मोबाइल नंबर 63......85 दर्ज है। इस नंबर कॉल करने पर किसी रामसिंह ने रिसीव किया। कहा कि वह मेरठ रहते हैं। घर में रेखा नाम की कोई महिला या बेटी नहीं है। पत्नी का नाम सुखदेवी है। परिवार खेती करता है, बरेली कभी नहीं जाना हुआ जो जांच कराने की नौबत आती। हां, कोरोना बचाव का टीका मेरठ
इस तरह फर्जीवाड़ा
माना जा रहा है कि जांच कराने वाले असल शख्स के फोन नंबर की डिजिट के आखिरी दो-तीन अंकों का इस्तेमाल फर्जीवाड़ा में किया गया। मसलन, जांच कराने वाले शख्स के मोबाइल नंबर के आखिरी तीन अंक 545 हैं। उसके नंबर की सात डिजिट असली उठाईं और आखिरी दो या तीन अंक अंदाज से लिख दिए। जैसे- 546 या 548। ऐसे नंबर मान्य तो हैं, मगर डायल किसी दूसरे शहर में हुए।
सीएमओ ने बनाई जांच कमेटी
इससे पहले जागरण ने नौ अप्रैल के अंक में भी इस तरह का फर्जीवाड़ा उजागर किया था। बताया था कि जांच कराने वाले 7,343 लोगों के नाम के आगे एक ही मोबाइल नंबर दर्ज कर लिया गया। अंदेशा जताया गया कि इतने फर्जी नाम चढ़ाकर एक ही मोबाइल नंबर बार-बार लिखकर अनिवार्य कॉलम की पूर्ति कर ली गई। इस प्रकरण में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. एसके गर्ग ने जांच बैठा दी है। कमेटी पता करेगी कि एक ही नंबर इतने नामों के आगे किस वजह से दर्ज किया गया। फर्जी नामों के बहाने उन एंटीजन किट का क्या हुआ, यह भी मालूम किया जा रहा है।सीएमओ डा. एस के गर्ग ने बताया कि कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। ज्यादा से ज्यादा लोगों की कोविड जांच कराई जा रही है। दूसरे जिलों के लोगों के नंबर पर एंट्री की गई है तो गलत है। मामले की जांच करा रहे हैं।