विकास के बड़े प्रोजेक्ट अटके, जनता खा रही ‘झटके’, Bareilly News
अब जब सरकार ने प्रभारी कानून मंत्री ब्रजेश पाठक के स्थान पर प्रभारी मंत्री की जिम्मेदारी ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को दी है तो बाशिंदों को उम्मीद जगी है कि बड़ी परियोजनाओं का काम
जेएनएन, बरेली: शहर के विकास में मील का पत्थर साबित होने वाले बड़े प्रोजेक्ट किसी न किसी वजह से लटके हुए हैं। आमजन को इंतजार है कि काम पूरे हों और उन्हें सुविधाओं का लाभ मिले पर जिम्मेदारों की गति ऐसी कि न काम पूरा हो रहा है और न ही इंतजार। इससे पहले प्रभारी मंत्री जब शहर आते, उनके सामने बड़ी परियोजनाओं की धीमी रफ्तार के मामले उठते। कार्रवाई के निर्देश भी दिए जाते लेकिन विकास कार्यो में तेजी नहीं आई।
श्रीकांत शर्मा से जगी उम्मीद
अब जब सरकार ने प्रभारी कानून मंत्री ब्रजेश पाठक के स्थान पर प्रभारी मंत्री की जिम्मेदारी ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को दी है तो बाशिंदों को उम्मीद जगी है कि बड़ी परियोजनाओं का काम गति पकड़ेगा। सिविल एंक्लेव से उड़ान शुरू होने से हवा में उड़ने का ख्वाब पूरा हो जाएगा। बरेली से सीतापुर तक सुहाने सफर की आस पूरी होगी। झटकों से छुटकारा मिल जाएगा। स्मार्ट सिटी के रुके हुए काम भी तेजी से होते दिखाई देंगे। निर्माणाधीन पुलों के अड़ंगों का भी संजीदगी से समाधान होगा। प्रभारी मंत्री श्रीकांत शर्मा पहली बार बुधवार को शहर आ रहे हैं।
हादसों की राह सीतापुर फोरलेन
बरेली से लेकर सीतापुर तक 157 किलोमीटर लंबे राजमार्ग को फोरलेन करवाने का काम एनएचएआइ ने करीब नौ साल पहले शुरू किया था। करीब दो हजार करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट को इरा कंपनी ने करीब 80 फीसद ही पूरा किया। डेढ़ साल पहले कंपनी अधूरे प्रोजेक्ट को छोड़कर फरार हो गई। एनएचएआइ की ओर से कंपनी के खिलाफ कार्रवाई कर दी गई, लेकिन आज तक अधूरा फोरलेन पूरा नहीं कर पाई। एनएचएआइ के अधिकारियों ने अब पूरे मार्ग को तीन हिस्सों में बांटकर काम पूरा करने की तैयारी की है। इसके लिए सर्वे किया जा रहा है। बचे हुए काम में करीब एक हजार करोड़ का खर्च होने की संभावना है।
अटका है सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल
शासन ने करीब आठ साल पहले शहर में सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल मंजूर किया था। राजकीय निर्माण निगम ने वर्ष 2014 के आखिर में काम शुरू किया। फरवरी 2017 में शासन ने 72.50 करोड़ रुपये का पुनरीक्षित बजट पास किया। बावजूद इसके अब तक सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल शुरू नहीं हो पाया है। इस अस्पताल के शुरू होने पर जिला अस्पताल से मरीजों का भार कम हो जाएगा। लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं आसानी से मुहैया हो पाएंगी। पिछले महीने तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने निरीक्षण किया था। तब कार्यदायी संस्था ने नवंबर में बिल्डिंग स्वास्थ्य विभाग को हैंडओवर करने का आश्वासन दिया।
नहीं है सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट
शहर से निकलने वाले कूड़े के निस्तारण को रजऊ परसपुर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की स्थापना वर्ष 2012 में की गई। इसे लगाने के लिए 48 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हुए। केंद्र सरकार ने 13.86 करोड़ रुपये दिए। शुरुआत में प्लांट कुछ समय ही चल सका। मार्च 2014 में प्लांट पूरी तरह बंद हो गया। इसके अलावा नगर निगम ने बाकरगंज खड्ड में अहमदाबाद की अमेजो वेस्ट मैनेजमेंट सोल्यूशन कंपनी ने कूड़े से तेल निकालने का प्लांट लगाया। वह भी अब तक नहीं शुरू हो पाया है। निगम ने फरीदपुर में प्लांट लगाने को जमीन भी ली, लेकिन अब तक कोई प्लांट नहीं है जिसमें शहर से निकलने वाले कूड़ा का निस्तारण किया जा सके। पूरा शहर कूड़े की समस्या से परेशान हैं।
बढ़ी बिजली दरें है बड़ा सवाल
जिले के प्रभारी मंत्री श्रीकांत शर्मा ऊर्जा मंत्री भी है। उनके जिला प्रभारी मंत्री बनने के बाद लोगों को सुधार की उम्मीद है। बिजली विभाग के अफसरों की सक्रियता भी बढ़ी है। वसूली के साथ ही आपूर्ति को लेकर भी सर्तकता बरती जा रही है। इसके साथ ही जर्जर तारों, पोलों के साथ ही खराब और कम क्षमता के ट्रांसफार्मर भी एक बड़ी चुनौती है। पिछले दिनों विधान परिषद की कमेटी और केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार भी नाराजगी जता चुके हैं। संतोष गंगवार ने इसके लिए बिजली अफसरों को सर्वे करने के निर्देश दे रखे हैं। इसके साथ ही आम उपभोक्ता बढ़ी बिजली दरों और पांच किलोवाट से ऊपर के उपभोक्ताओं की बढ़ाई गई सिक्योरिटी मनी से परेशान हैं।