Bareillys Crematorium News : श्मशान घाट पर टंगी अस्थियों की पोटलियां कुछ कहती हैं
मां की ममता पिता का प्यार बहन का विश्वास और पति का साथ भले ही जीते जी कितना गहरा क्यों न हो। लेकिन श्मशान घाटों में उनकी ही अस्थियां मोक्ष पाने के लिए अपनों की राह ताक रहीं हैं। श्मशान भूमि में सर्वाधिक अस्थियां कोविड से मरने वालों की हैं।
बरेली, जेएनएन। मां की ममता, पिता का प्यार, बहन का विश्वास और पति का साथ भले ही जीते जी कितना गहरा क्यों न हो। लेकिन, श्मशान घाटों में उनकी ही अस्थियां मोक्ष पाने के लिए अपनों की राह ताक रहीं हैं। श्मशान भूमि में सर्वाधिक अस्थियां कोविड से मरने वालों की हैं।
व्यवस्थपकों का कहना है कि अन्य स्थिति में मरने वालों के परिजन एक या दो दिन बाद अस्थियां ले जा रहे हैं। मगर, कोविड से मरने वालों की अस्थियां 15-20 दिन से श्मशान में जस की तस रखी हुईं हैं। सिटी श्मशान भूमि में व्यवस्थापक राकेश जैसवाल ने बताया कि कोविड से दम तोड़ने वालों के परिजन मृत्यु प्रमाण पत्र लेने तो आ रहे हैं। लेकिन, अस्थियां लेने के नाम पर टालमटोली कर रहे हैं।
आलम यह है कि अस्थियां रखने वाली जगह भर गई। इसलिए बाकी अस्थियों को यह सोचकर दीवार पर टांग दिया है कि हिंदू पंरपरा के अनुसार मरने के बाद तभी मोक्ष की प्राप्ति होती है, जब उसके (फूल) अस्थियां गंगा या किसी पवित्र नदी में बहा दिए जाते हैं। संजयनगर श्मशान भूमि में 75 से अधिक कोविड शवों की अस्थियां रखीं हैं।
व्यवस्थापक जेपी सिंह ने बताया कि इस स्थिति को देखकर तो घबराहट होती है। ऐसा प्रतीत होता है कि सभी रिश्ते-नाते झूठे हैं। यही हाल गुलाबबाड़ी श्मशान घाट का है। यहां परिसर प्रभारी जीसी सिन्हा ने बताया कि सामान्य शवों को दो दिन बाद स्वजन ले जा रहे हैं। लेकिन, कोविड शवों की करीब 60 से अधिक अस्थियां अभी तक नहीं उठ सकी हैं।