बरेली स्मार्ट सिटी में एक गांव ऐसा भी है जहां कच्चे रास्तों पर जख्मी होते पांव, जल निकासी की नहीं व्यवस्था, टूटे रास्तों पर भरता है पानी
करीब 40 साल पहले नगर निगम ने 48 गांवों को अपने में समाहित किया। विकास का जिम्मा भी नगर निगम का बना। अब अपना शहर स्मार्ट सिटी बन गया है ऐसे में यह ऐसा गांव है जहां कच्चे रास्तों पर लोगों के पांव जख्मी हो रहे हैं।
बरेली, जेएनएन। करीब 40 साल पहले नगर निगम ने 48 गांवों को अपने में समाहित किया। बढ़ती जनसंख्या के कारण यहां के विकास का जिम्मा भी नगर निगम का बना। अब जबकि अपना शहर स्मार्ट सिटी बन गया है, ऐसे में बीच शहर का एक यह गांव अपनी बदहाली पर रो रहा है। यह ऐसा गांव है, जहां कच्चे रास्तों पर लोगों के पांव जख्मी हो रहे हैं। रास्तों पर गड्ढे और कीचड़ से लोग परेशान हैं।जागरण आपके द्वार कार्यक्रम के तहत रविवार को जागरण की टीम ने वार्ड का निरीक्षण किया। यूं तो वार्ड में कुर्मांचल नगर, आइवीआरआइ, रेलवे समेत अन्य आधा दर्जन कालोनियां हैं। सबसे बुरा हाल कुर्मांचल नगर के पास के गांव परतापुर जीवनसहाय का है। गांव की मुख्य रोड वर्ष 2002 में बनी थी। आज सड़क काफी बदहाल है। कई जगह से टूट चुकी है और पानी की निकासी कच्चे नाले से हो रही है। पूरे गांव में एक भी सड़क सही नहीं है। जगह-जगह पानी व कीचड़ भरा हुआ है।
चार माह से रास्ते पर पड़े सिर्फ पत्थर
गौसिया मस्जिद के पास शिराज के घर से कब्रिस्तान गेट तक करीब 220 मीटर सड़क को सीसी टाइल्स की बनाने के लिए 14 लाख रुपये का एस्टीमेट पास हुआ था। चार महीने पहले ठेकेदार ने काम भी शुरू करवा दिया। ठेकेदार ने वहां पत्थर बिछा दिया और फिर काम छोड़कर फरार हो गया। इसके साथ ही तमाम गलियां कच्ची ही बनी हुई है। जल निकासी की व्यवस्था भी गांव में नहीं है।
1.19 करोड़ की सड़क गई उधड़
नगर निगम ने इंद्रप्रस्थ कालोनी के गेट के सामने से कंजादासपुर टावर तक सड़क निर्माण किया था। इसमें करीब एक किलोमीटर की सड़क कोलतार से बनी जो ठीक है। करीब सात सौ मीटर सड़क सीसी (कंक्रीट, सीमेंट) से बनाई गई, जो पूरी उधड़ चुकी है। इसकी शिकायत पर ठेकेदार ने मरम्मत का काम लगा रखा है, लेकिन सड़क की ठीक से मरम्मत नहीं हो पा रही है। इस सड़क के निर्माण में करीब 1.19 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।
कुर्मांचल नगर में जल निकासी की समस्या
वार्ड में पड़ने वाली कुर्मांचल नगर कालोनी के अंदर अलमा मैटर स्कूल के पास जलभराव की समस्या रहती है। वह हिस्सा कालोनी का दूसरे चरण का हिस्सा है। पहले हिस्से में नाला निर्माण होना है, जो नहीं बन पाने के कारण पीछे के हिस्से में पानी भरने की समस्या रहती है।
पार्षद की बात
पार्षद शुगरा बेगम ने बताया कि वार्ड में कालोनियों की स्थिति तो ठीक है, लेकिन परतापुर जीवनसहाय में समस्या अधिक है। यहां मुख्य रोड भी सही नहीं है। करीब आधा दर्जन सड़कों के प्रस्ताव दिए हैं, लेकिन अब तक पास नहीं हो पाए हैं। पहले वार्ड में सिर्फ एक स्ट्रीट लाइट थे। अब करीब 30 लग चुकी है। करीब आधा दर्जन छोटी सड़कें बन पाई हैं।