बरेली के धान खरीद घोटालेे में 74 बिचौलियों पर मुकदमा दर्ज, जानिये कौन है मुख्य आरोपित, उस पर क्यों नहीं हो रही कार्रवाई
Bareilly Paddy Purchase Scam नवाबगंज क्षेत्र में धान खरीद में गोलमाल में कुल 74 बिचौलियों पर मुकदमा दर्ज कराया गया है। जबकि पूरे प्रकरण में धान तौल करने वाले केेंद्र प्रभारियों और खतौनी का सत्यापन करने वाले राजस्व कर्मियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
बरेली, जेएनएन। Bareilly Paddy Purchase Scam : नवाबगंज क्षेत्र में धान खरीद में गोलमाल में कुल 74 बिचौलियों पर मुकदमा दर्ज कराया गया है। जबकि पूरे प्रकरण में धान तौल करने वाले केेंद्र प्रभारियों और खतौनी का सत्यापन करने वाले राजस्व कर्मियों के खिलाफ अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। आरोप है कि अधिकारी उन्हें बचाने में जुटे हुए हैं। पूरे प्रकरण में क्षेत्रीय खाद्य विपणन अधिकारी ज्ञान चंद्र वर्मा की तहरीर पर नवाबगंज थाने में छह हजार क्विंटल धान की फर्जी तौल कराने वाले 74 के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।
छह हजार क्विंटल धान की तौल फर्जी तरीके से कराने में घोटालेबाजों ने जमकर खेल किया। मिलीभगत के जरिए कई ऐसे लोगों के नाम पर भी तौल करा दी गई जिनके नाम एक बिस्वा जमीन भी नहीं है। कई लोग तो उस गांव के रहने वाले भी नहीं है जिनके नाम गांव में जमीन दिखाई गई। मिलीभगत के चलते राजस्व कर्मचारियों ने धान खरीद आवेदन पत्र को बिना जांचे ही सत्यापित कर दिया। आरटीआइ के जरिए इन लोगों के नाम पर धान बिक्री दर्ज होने पर मामले की शिकायत के बाद पूरा घोटाला सामने आया।
हालांकि धान खरीद घोटाले में खुलासे के करीब ढाई महीनें बाद एफआइआर दर्ज होने के बावजूद अब भी घोटाले में शामिल कई लोग बेखौफ होकर घूम रहे हैं। 85 लोगों की फर्जी खतौनी लगाकर धान तुलवाने के पूरे कागज अधिकारियों को दिए जाने के बाद एफआइआर में सिर्फ 74 लोगों का नाम शामिल किया गया।आरएमओ राममूर्ति वर्मा ने बताया कि अभी एफआइआर दर्ज कराई गई है। मामले में अभी विभागीय जांच जारी है। जांच के आधार पर अभी अन्य के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। कोई भी आरोपित बख्शा नहीं जाएगा।
यह था पूरा मामला : नवाबगंज क्षेत्र में बीते दिनों यूपीएसएस के चार, एसएफसी के तीन, फार्मर प्रो आर्गेनाइजेशन के दो क्रय केन्द्रों पर छह हजार क्विंटल धान की फर्जी तौल कराने का मामला सामने आया था। शिकायतकर्ता का आरोप है जिन खतौनियों के आधार पर तौल की गई हैं उनमें से ज्यादातर लोग गांव में रहते ही नहीं। जांच के दौरान भी इस बात की पुष्टि हुई कि धान खरीद फर्जी खतौनियों पर की गई।